क्लैवम ड्रॉप्स मुख्य रूप से जीवाणु संक्रमण को काबू में करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इसका इस्तेमाल आमतौर पर कान, नाक, गले, त्वचा, हड्डियों, मुलायम टिश्यू, जोड़ों, यूरिन ट्रैक्ट और सांस की नली में होने वाले संक्रमण के लिए किया जाता है। यह आम सर्दी या फ्लू जैसे वायरल संक्रमण के इलाज में असरदार नहीं होगी।
यह एक एंटीबायोटिक है जिसमें दो सक्रिय तत्व, एमोक्सिसिलिन और क्लैवुलैनिक एसिड, शामिल हैं। एमोक्सिसिलिन जीवाणु की सेल वॉल बनने को रोक देता है, जिससे सेल मर जाती है। क्लैवुलैनिक एसिड, एक बीटा-लैक्टामेज़ रोकने वाला तत्व है, जो प्रतिरोधी जीवाणु द्वारा बनाए गए बीटा-लैक्टामेज़ एंजाइम्स से एमोक्सिसिलिन को निष्क्रिय होने से रोकता है। इससे एमोक्सिसिलिन जीवाणु को मार सकता है और संक्रमण का असरदार इलाज कर सकता है।
क्लैवम ड्रॉप्स शुरू करने से पहले, डॉक्टर को मरीज़ की मेडिकल हिस्ट्री, एलर्जी और एंटीबायोटिक के प्रति उसकी रिएक्शन के बारे में जानना ज़रूरी है। डॉक्टर मरीज़ की उम्र, वज़न, साइड इफेक्ट्स की संभावना और खास संक्रमण के हिसाब से तय करेंगे कि कितनी दवा देनी है और कितनी देर तक लेनी है। इससे यह पक्का होता है कि दवा अच्छी तरह काम करे और मरीज़ के लिए सुरक्षित हो।