Last updated on : 10 Nov, 2025
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लहसुन, जिसे अंग्रेज़ी में Garlic कहा जाता है, एक ऐसा प्राकृतिक तत्व है जो खाने में स्वाद जोड़ने के साथ-साथ पारंपरिक रूप से इसके संभावित स्वास्थ्य लाभों के लिए भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Allium sativum है और यह प्याज के परिवार से संबंधित है।
लहसुन का उपयोग सदियों से दुनियाभर की रसोइयों में किया जा रहा है, खासकर भारतीय, मध्य-पूर्वी और एशियाई व्यंजनों में। इसमें प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कुछ यौगिक जैसे एलिसिन (Allicin) पाए जाते हैं, जो इसे इसकी विशिष्ट गंध और गुणों के लिए जाना जाता है।
कुछ अध्ययनों में यह देखा गया है कि लहसुन में मौजूद यौगिकों में एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण हो सकते हैं, जो शरीर को बाहरी कारकों से होने वाले नुकसान से बचाने में भूमिका निभा सकते हैं [1]। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक दृष्टिकोण से यह माना जाता रहा है कि लहसुन का संतुलित सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को समर्थन देने में सहायक हो सकता है।
इस लेख में हम लहसुन के संभावित उपयोगों, इसमें पाए जाने वाले प्रमुख पोषक तत्वों, और इसकी उपयोगिता को बेहतर समझने की कोशिश करेंगे, ताकि आप अपने आहार में इसका उपयोग समझदारी से कर सकें। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह सामग्री केवल जानकारीपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और इसे किसी भी चिकित्सा सलाह या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के लिए हमेशा योग्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से सलाह लें।
लहसुन एक ऐसा प्राकृतिक तत्व है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट और माइक्रोब-रोधी (antimicrobial) गुण संभावित रूप से पाए जाते हैं। इसका नियमित रूप से सेवन करने से प्रतिरक्षा तंत्र को समर्थन मिल सकता है, दिल की सेहत में सुधार हो सकता है, और कई प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों की संभावना को कम करने में सहायता मिल सकती है। आइए जानते हैं लहसुन के कुछ प्रमुख संभावित स्वास्थ्य लाभ।
लहसुन में प्राकृतिक रूप से ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं, जिनमें संभावित रूप से वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता होती है। इसका सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, जिससे मौसमी संक्रमणों की अवधि या गंभीरता कम हो सकती है [2]।
नियमित रूप से लहसुन को भोजन में शामिल करना कुछ लोगों में रक्तचाप को स्थिर रखने और ‘खराब’ कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है [1], [3]। इससे हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा संभावित रूप से कम हो सकता है और रक्त संचार बेहतर बना रहता है।
लहसुन में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट मस्तिष्क की कार्यक्षमता को समर्थन देने में योगदान कर सकते हैं। ये तत्व संभावित रूप से मानसिक थकान को कम करने और उम्र से जुड़ी दिमागी स्थितियों, जैसे अल्ज़ाइमर या डिमेंशिया, के जोखिम को घटाने में सहायक हो सकते हैं [4]।
लहसुन पाचन संबंधी प्रक्रियाओं को सुधारने में संभावित रूप से मददगार साबित होता है। यह आंतों में लाभकारी बैक्टीरिया के विकास को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और गैस, अपच जैसी समस्याएँ संभावित रूप से कम होती हैं।
ब्लड शुगर का संतुलन हर उम्र के लिए महत्वपूर्ण है। लहसुन एक खाद्य विकल्प है जो शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में सहायक हो सकता है [5]। इसमें मौजूद सक्रिय यौगिक, जैसे एलिसिन, रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने में योगदान दे सकता है [5]।
हमारी इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की क्षमता तभी मजबूत रहती है जब सही पोषण मिले। लहसुन, जो रसोई में आसानी से उपलब्ध है, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्राकृतिक तरीके से सशक्त बनाने में मदद कर सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और सल्फर युक्त तत्व संक्रमणों से बचाव में सहायता कर सकते हैं [2]।
लहसुन ना केवल खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि त्वचा के लिए भी संभावित रूप से लाभकारी हो सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा को गहराई से साफ करने में मदद करते हैं और पिंपल्स, झुर्रियों जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक हो सकते हैं।
लहसुन में पाए जाने वाले शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स और सल्फर युक्त तत्व शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, जिससे कुछ प्रकार के रोगों के जोखिम को कम करने में सहायता मिल सकती है। आयुर्वेद में इसे एक स्वास्थ्य समर्थक खाद्य के रूप में देखा जाता है, जो शरीर को आंतरिक रूप से मजबूत बनाने में सहायक हो सकता है।
अगर आप वजन कम करने के प्रयास में हैं, तो लहसुन आपके लिए एक पौष्टिक प्राकृतिक उपाय के रूप में सहायक हो सकता है। यह मेटाबॉलिज्म को तेज करने में संभावित रूप से सहायक हो सकता है [6], जिससे शरीर में जमा फैट कम करने में मदद मिल सकती है। यदि रोजाना संतुलित मात्रा में लहसुन लिया जाए, तो यह वजन घटाने के प्रयास में समर्थन दे सकता है [6]।
खेल-कूद या व्यायाम में बेहतर प्रदर्शन के लिए लहसुन को एक प्रभावी प्राकृतिक उपाय के रूप में देखा जाता है। इसमें मौजूद एलिसिन तत्व मांसपेशियों की कार्यक्षमता में मदद कर सकते हैं, जिससे ऊर्जा बढ़ाने और थकान कम करने में सहायता मिलती है और रक्त संचार बेहतर होता है [7]।
लहसुन ना केवल खाने के स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि यह शरीर की कई समस्याओं में भी मददगार साबित होता है। कुछ शोध मानते हैं कि लहसुन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल तत्व मूत्र मार्ग संक्रमण से बचाव में मदद कर सकते हैं [8], [9]।
व्यस्त जीवनशैली में शारीरिक व्यायाम से थकान महसूस होना सामान्य है। लहसुन को थकान कम करने वाला एक प्राकृतिक खाद्य माना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुण मांसपेशियों की तेजी से रिकवरी में मदद कर सकते हैं और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं [10]।
लहसुन को खून को शुद्ध करने वाला एक पारंपरिक घरेलू उपाय माना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और सल्फर युक्त तत्व शरीर से हानिकारक पदार्थों को निकालने में सहायता कर सकते हैं। नियमित रूप से संतुलित मात्रा में लहसुन का सेवन रक्त की सफाई के लिए फायदेमंद हो सकता है।
महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी से हार्मोनल असंतुलन, थकान, मूड स्विंग्स और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लहसुन में पाए जाने वाले कुछ यौगिक शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं, जिससे ये समस्याएं संभावित रूप से कम हो सकती हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस, जो जोड़ों में दर्द और अकड़न का कारण बनती है, के लिए लहसुन एक प्राकृतिक उपाय के रूप में देखा जाता है। इसमें पाए जाने वाले सूजन-रोधी गुण जोड़ों की सूजन और दर्द को धीरे-धीरे कम करने में सहायक हो सकते हैं [11]।
हार्ट ब्लॉकेज यानी हृदय की धमनियों में रुकावट आज एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है। लहसुन खाद्य की तरह काम करता है जो रक्त को साफ रखने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है [1]। रोजाना संतुलित मात्रा में लहसुन का सेवन हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार हो सकता है।
लहसुन का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है, लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभों को पूरी तरह पाने के लिए इसे कुचलकर (crushed) या काटकर कुछ देर हवा में छोड़ने के बाद कच्चा खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से एलिसिन जैसे सक्रिय यौगिकों का निर्माण होता है। आप इसे सलाद, सूप या अन्य व्यंजनों में शामिल कर सकते हैं। साथ ही, लहसुन की कली को सीधे चबाना भी फायदेमंद होता है।
लहसुन के सेवन के कुछ सुझाव:
लहसुन खाने के संभावित नुकसान और सावधानियां
लहसुन एक अत्यंत उपयोगी जड़ी बूटी है, जो खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी अनेक संभावित फायदे प्रदान करती है। इसके पोषक तत्व और जैव सक्रिय यौगिक इसे एक प्रभावशाली प्राकृतिक खाद्य बनाते हैं। नियमित रूप से लहसुन का सेवन करने से कई स्वास्थ्य चुनौतियों से बचाव में सहायक हो सकता है और शरीर में ऊर्जा और ताजगी बनाए रखने में मदद कर सकता है।
इसलिए, इसे अपनी रोज़ाना की संतुलित डाइट में शामिल करना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। लहसुन ना केवल स्वास्थ्य को समर्थन देता है, बल्कि खाने का स्वाद भी बढ़ाता है।
अस्वीकरण: इस लेख की सामग्री पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या या आहार परिवर्तन के लिए हमेशा अपने चिकित्सक या योग्य स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें।
लहसुन का उपयोग उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी समस्याएं, कमजोर इम्यून सिस्टम और पाचन संबंधी दिक्कतों में सहायक माना जाता है [1], [2]।
लहसुन में प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो कई तरह के संक्रमणों से लड़ने में मदद कर सकते हैं [2]।
कुछ पारंपरिक मान्यताएं हैं कि लहसुन को कच्चा या पकाकर दोनों ही रूपों में नियमित रूप से खाने से मर्दाना शक्ति बढ़ाने में मदद मिल सकती है, लेकिन इस पर और वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है।
पुरुषों में लहसुन संभावित रूप से टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को समर्थन देने, इम्यूनिटी मजबूत करने और हृदय स्वास्थ्य सुधारने में सहायक हो सकता है।
सोने से पहले लहसुन लेने से मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है और यह नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है [10]।
महिलाओं में लहसुन हार्मोन संतुलन बनाए रखने, रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और त्वचा की देखभाल में सहायक हो सकता है।
सामान्य तौर पर रोजाना 1 से 2 कली (लगभग 3-6 ग्राम) कच्चा लहसुन लेना उचित होता है, लेकिन किसी भी विशेष स्वास्थ्य स्थिति या सप्लीमेंट के लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
हाँ, लहसुन रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया को धीमा करने में संभावित रूप से मदद कर सकता है, जिससे कुछ हद तक खून पतला होने में मदद मिलती है। यह रक्त-पतला करने वाली दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है [12]।
[1] Reid, K., Frank, O. R., Stocks, N. P., Fakler, P., & Sullivan, T. (2008). Garlic for blood pressure: A systematic review and meta-analysis. BMC Cardiovascular Disorders, 8(1), 13. https://doi.org/10.1186/1471-2261-8-13
[2] Arreola, R., Quintero-Fabián, S., López-Roa, R. I., Flores-López, L. T., Corral-Ferre, R. M., Astroga-García, O., Durán-Barrera, M., Pulido-Morán, M., & Méndez-Clyne, E. (2015). Immunomodulation and anti-inflammatory effects of garlic compounds. Journal of Immunology Research, 2015, 401630. https://doi.org/10.1155/2015/401630
[3] Ried, K., Sullivan, T. R., Fakler, P., Frank, O. R., & Stocks, N. P. (2013). Effect of garlic on serum lipids: an updated meta-analysis. Nutrition Reviews, 71(10), 616–623. https://doi.org/10.1111/nure.12053
[4] Pahan, K., Schmidt-Hmayrova, H., & Singh, I. (2001). Garlic and brain health: Neuroprotective effects. Current Medicinal Chemistry, 8(9), 1355-1361. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/11429116/
[5] Reinhart, K. M., Coleman, C. I., Teevan, C., Vachhani, P., & White, C. M. (2009). Effects of garlic on glycemic control in patients with Type 2 diabetes mellitus: A systematic review and meta-analysis. The Annals of Pharmacotherapy, 43(2), 351–356. https://doi.org/10.1345/aph.1M092
[6] Ettehad-Marvasti, F., Eghtesadi, S.-D., Siadat, S.-D., Soroush, A.-R., Hosseini-Tavassol, Z., Hasani-Ranjbar, S., & Larijani, B. (2022). Effect of garlic extract on weight loss and gut microbiota composition in obese women: A double-blind randomized controlled trial. Frontiers in Nutrition, 9, Article 1007506. https://doi.org/10.3389/fnut.2022.1007506
[7] Morihiro, N., Nishiyama, T., Ushijima, M., Ide, N., Takeda, H., & Hayama, M. (2007). Garlic as an anti-fatigue agent. Molecular Nutrition & Food Research, 51(11), 1329–1334. https://doi.org/10.1002/mnfr.200700062
[8] Anwar, A., Ali, Z., Khan, F. W., & Hussain, A. (2011). Antibacterial potential of garlic against urinary tract infection pathogens. Pakistan Journal of Pharmaceutical Sciences, 24(2), 221-224. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21568110/
[9] Sohn, D. W., Han, C. H., Jung, Y. S., Kim, S. I., Kim, S. W., & Cho, Y.-H. (2009). Anti-inflammatory and antimicrobial effects of garlic and the synergistic effect between garlic and ciprofloxacin in a chronic bacterial prostatitis rat model. International Journal of Antimicrobial Agents, 34(3), 215–219. https://doi.org/10.1016/j.ijantimicag.2009.02.012
[10] Morihiro, N., Nishiyama, T., Ushijima, M., Ide, N., Takeda, H., & Hayama, M. (2007). Garlic as an anti-fatigue agent. Molecular Nutrition & Food Research, 51(11), 1329–1334. https://doi.org/10.1002/mnfr.200700062
[11] Lau, B. H., & Lau, F. L. (2001). Garlic and arthritis. The Journal of Nutrition, 131(3 Suppl), 1103S–1106S. https://doi.org/10.1093/jn/131.3.1103S
[12] Ashraf, R., & Khan, R. A. (2019). Potential roles of garlic (Allium sativum L.) in the management of cardiovascular diseases. Pharmacognosy Reviews, 13(25), 1-6. https://doi.org/10.4103/phrev.phrev_2_19
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