Last updated on : 11 Jul, 2025
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लकवा (Paralysis) एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के शरीर के किसी एक या एक से अधिक भागों की गति आंशिक या पूरी तरह से रुक जाती है। यह आमतौर पर तंत्रिका तंत्र (Nervous System) में किसी प्रकार की क्षति — जैसे मस्तिष्कघात (Stroke), रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोलॉजिकल विकार — के कारण होता है। यदि इसका समय पर और सही इलाज न किया जाए, तो यह व्यक्ति की जीवनशैली, गतिशीलता और आत्मनिर्भरता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इस ब्लॉग में हम लकवा के प्रमुख लक्षण, कारण, निदान की प्रक्रिया, बचाव के उपाय और उपलब्ध उपचार विकल्पों के बारे में विस्तार से जानकारी साझा करेंगे।
लकवा (Paralysis) एक ऐसी चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की क्षति या अवरोध के कारण शरीर के किसी अंग में गति (movement) की क्षमता आंशिक या पूर्ण रूप से समाप्त हो जाती है। यह तब होता है जब मस्तिष्क से शरीर के अंगों तक जाने वाले तंत्रिका संकेत (nerve signals) बाधित हो जाते हैं, जिससे मांसपेशियाँ प्रतिक्रिया देना बंद कर देती हैं।
लकवा मुख्यतः दो प्रकार का होता है:
लकवा (Paralysis) के कई प्रकार हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर का कौन-सा हिस्सा प्रभावित हुआ है और समस्या का स्रोत क्या है। लकवे के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
इसमें शरीर के केवल एक अंग (जैसे एक हाथ या एक पैर) में लकवा होता है। यह ब्रेन या स्पाइनल कॉर्ड के एक हिस्से में क्षति के कारण हो सकता है। व्यक्ति को प्रभावित अंग को हिलाने में कठिनाई या पूरी तरह से अक्षम होने का अनुभव हो सकता है।
इस प्रकार के लकवे में शरीर के एक पूरे साइड (दायां या बायां) — जिसमें चेहरा, हाथ और पैर शामिल हो सकते हैं — में गति की कमी या पूर्ण लकवा हो जाता है। यह स्ट्रोक का एक आम लक्षण है।
यह स्थिति तब होती है जब शरीर के निचले हिस्से — दोनों पैर और कभी-कभी मूत्राशय या आंतों — में लकवा आ जाता है। यह प्रायः रीढ़ की हड्डी में चोट या ट्यूमर के कारण होता है।
इसमें शरीर के दोनों हाथ और दोनों पैर प्रभावित होते हैं। यह स्थिति स्पाइनल कॉर्ड के ऊपरी हिस्से में चोट लगने पर होती है।
यह एक अस्थायी चेहरे का लकवा होता है, जो चेहरे की एक ओर की मांसपेशियों को प्रभावित करता है। व्यक्ति मुस्कुराने, आंख बंद करने या बोलने में कठिनाई महसूस कर सकता है। यह आमतौर पर फेशियल नर्व (Cranial Nerve VII) की सूजन के कारण होता है।
लकवा के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि तंत्रिका तंत्र का कौन-सा भाग प्रभावित हुआ है और कितना नुकसान हुआ है। हालांकि, लकवा के कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
शरीर के किसी एक हिस्से जैसे हाथ, पैर या चेहरे में अचानक कमजोरी आना या संवेदना (feeling) कम हो जाना लकवे का शुरुआती संकेत हो सकता है — विशेषकर जब यह शरीर के एक ही तरफ हो।
व्यक्ति को चलने, खड़े होने या संतुलन बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है। इससे गिरने का खतरा भी बढ़ जाता है।
यदि मस्तिष्क के भाषा-नियंत्रण केंद्र (जैसे ब्रॉका या वेर्निके क्षेत्र) प्रभावित होते हैं, तो व्यक्ति को शब्दों को सही तरह से बोलने या समझने में परेशानी हो सकती है।
लकवा में चेहरे का एक हिस्सा अचानक नीचे लटक सकता है, जिससे मुस्कुराने या आँख बंद करने में असमर्थता हो सकती है।
लकवे के कारण दृष्टि धुंधली हो सकती है, या व्यक्ति को एक या दोनों आँखों से देखने में कठिनाई हो सकती है।
विशेषकर स्ट्रोक के मामले में यह प्रारंभिक संकेत हो सकता है। सिरदर्द सामान्य से ज्यादा तीव्र और अचानक शुरू हो सकता है।
यदि लकवे का प्रभाव तंत्रिका तंत्र के उस भाग पर पड़ा है जो फेफड़ों और डायाफ्राम को नियंत्रित करता है, तो व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है — जो जानलेवा हो सकता है।
लकवा (Paralysis) कई प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों या अचानक हुई घटनाओं के कारण हो सकता है। नीचे लकवे के कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:
स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति अचानक बंद हो जाती है — या तो रक्तस्राव (hemorrhagic stroke) के कारण या रक्त वाहिका के अवरुद्ध (ischemic stroke) होने के कारण। इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती हैं, और प्रभावित हिस्से के अनुसार शरीर में लकवा हो सकता है।
सिर पर गंभीर चोट लगने से मस्तिष्क की नसों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति आमतौर पर सड़क दुर्घटना, गिरने या खेल के दौरान चोट लगने पर हो सकती है और इससे लकवा हो सकता है।
लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहने से मस्तिष्क की रक्तवाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं जिससे स्ट्रोक और फिर लकवा होने की संभावना बढ़ जाती है।
कुछ बीमारियाँ जैसे:
मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में होने वाले संक्रमण, जैसे:
लंबे समय तक अनियंत्रित शुगर स्तर तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है जिसे डायबेटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है। इससे शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी या आंशिक लकवा हो सकता है।
लकवे का सही और जल्दी निदान बहुत महत्वपूर्ण होता है ताकि उपचार प्रारंभ किया जा सके और समस्या को बढ़ने से रोका जा सके। निदान के लिए डॉक्टर विभिन्न प्रकार के परीक्षण करते हैं, जिनमें मुख्यतः निम्न शामिल हैं:
डॉक्टर मरीज की तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली की जांच करते हैं। इसमें मांसपेशियों की ताकत, संवेदनशीलता, संतुलन, रिफ्लेक्स और समन्वय का परीक्षण किया जाता है जिससे लकवे के प्रभाव और कारण का अनुमान लगाया जाता है।
MRI और CT स्कैन मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की विस्तारपूर्वक तस्वीरें प्रदान करते हैं। ये परीक्षण मस्तिष्क में रक्तस्राव, सूजन, ट्यूमर, या नसों की क्षति का पता लगाने में सहायक होते हैं, जो लकवे के कारण हो सकते हैं।
रक्त परीक्षण से संक्रमण, शर्करा का स्तर, रक्त की थक्केबंदी (coagulation), और अन्य संभावित कारणों की जानकारी मिलती है जो लकवे के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
लकवे से बचाव के लिए जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव और सावधानियां अपनाना बेहद आवश्यक है। निम्नलिखित उपाय आपके जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं:
लकवे का इलाज उसकी गंभीरता, कारण और प्रभावित अंगों के आधार पर निर्धारित किया जाता है। आमतौर पर उपचार के लिए निम्नलिखित विकल्प अपनाए जाते हैं:
लकवा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन सही समय पर उचित उपचार और देखभाल से इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लक्षणों को पहचानना, कारणों को समझना और शीघ्र इलाज शुरू करना बेहद आवश्यक है। साथ ही, लकवे से बचाव के उपायों का पालन करना और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना इस बीमारी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।
“लकवा एक जटिल स्थिति होने के बावजूद इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि समय रहते सही तरीके से इसका निदान और उपचार किया जाए, तो इसके प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। लकवे के बाद पुनर्वास में रोगी की जीवनशैली में सुधार, नियमित फिजियोथेरेपी और मानसिक सहयोग की बहुत बड़ी भूमिका होती है।”
– Dr. Sachin Singh
लकवा के शुरुआती लक्षणों में शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी, बोलने में कठिनाई और चेहरे के एक हिस्से का गिरना शामिल हो सकते हैं।
लकवा मुख्यतः मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र में रुकावट के कारण होता है। यह किसी भी कारण से हो सकता है जैसे स्ट्रोक, चोट या उच्च रक्तचाप।
लकवा का उपचार समय पर शुरू करना सबसे महत्वपूर्ण है। दवाइयां, फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी जल्दी शुरू करने से लकवा को ठीक करने में मदद मिल सकती है।
लकवा आमतौर पर मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र में समस्या होने के कारण होता है जैसे स्ट्रोक, तंत्रिका क्षति या रक्तचाप में वृद्धि।
यदि लकवा स्ट्रोक के कारण हुआ हो और समय पर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है और मौत का कारण बन सकता है।
लकवा का समय खत्म होने का निर्धारण उसके कारण और उपचार पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में यह स्थायी हो सकता है जबकि कुछ मामलों में यह उपचार से ठीक हो सकता है।
लकवा के मरीजों के लिए पौष्टिक आहार, जिसमें हरी सब्जियां, फल और पर्याप्त प्रोटीन वाला आहार उपयुक्त है।
लकवाग्रस्त व्यक्ति की मालिश हल्के हाथों से की जानी चाहिए ताकि मांसपेशियों को आराम मिले और रक्त प्रवाह सुधरे।
अस्वीकरण
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। कृपया कोई भी नया स्वास्थ्य सेवा अभ्यास शुरू करने से पहले किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें, खासकर यदि आप पहले से ही किसी स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त हैं या कोई दवा ले रहे हैं।
संदर्भ सूची
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