Last updated on : 30 Apr, 2025
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रक्त कैंसर, जिसे ब्लड कैंसर भी कहा जाता है, एक गंभीर और जटिल बीमारी है जो रक्त कोशिकाओं और अस्थि मज्जा को प्रभावित करती है। यह रोग तब शुरू होता है जब असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, जिससे शरीर की सामान्य रक्त कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पातीं। ब्लड कैंसर के लक्षण को समय पर पहचानना और इसका जल्द से जल्द उपचार शुरू करना जीवन रक्षक हो सकता है। इस लेख में हम रक्त कैंसर के कारणों, लक्षणों, निदान, उपचार के विकल्पों, और बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे ताकि आप इस बीमारी को बेहतर ढंग से समझ सकें और जागरूक रहें।
रक्त कैंसर एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त कोशिकाएं, अस्थि मज्जा, या लसीका तंत्र असामान्य रूप से प्रभावित होते हैं। यह बीमारी तब होती है जब शरीर में असामान्य कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं और स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को दबा देती हैं। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है और ऑक्सीजन आपूर्ति व अन्य कार्य बाधित हो जाते हैं। रक्त कैंसर मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:
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रक्त कैंसर के सटीक कारण अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन कई कारक इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ब्लड कैंसर कैसे होता है इसके लिए निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
ब्लड कैंसर के लक्षण शुरुआत में सामान्य बीमारियों जैसे दिख सकते हैं, जिससे लोग अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि, इन लक्षणों को गंभीरता से लेना जरूरी है, क्योंकि समय पर निदान से उपचार की संभावनाएं बढ़ती हैं। लगातार थकान, कमजोरी, और ऊर्जा की कमी, जो आराम से ठीक न हो, प्रमुख लक्षण हैं। बार-बार बुखार, रात में अत्यधिक पसीना, और बिना कारण तेजी से वजन कम होना भी चेतावनी संकेत हैं। त्वचा पर नीले निशान, चकत्ते, या बार-बार खून बहना, साथ ही कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण बार-बार संक्रमण, जैसे सर्दी-खांसी, देखे जा सकते हैं। हड्डी और जोड़ों में दर्द, खासकर रीढ़, पसलियों या कूल्हों में, और लिम्फ नोड्स में दर्द रहित सूजन भी आम है। सांस फूलना, रक्त में ऑक्सीजन की कमी के कारण हो सकता है। रक्त कैंसर के प्रकार, जैसे ल्यूकेमिया में थकान-बुखार या मायलोमा में हड्डी का दर्द, और गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
खून की कमी, जिसे चिकित्सकीय रूप से एनीमिया कहते हैं, रक्त कैंसर का एक प्रमुख लक्षण है। यह तब होता है जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं पर्याप्त मात्रा में नहीं बनतीं या असामान्य कोशिकाएं इन्हें नष्ट कर देती हैं। लाल रक्त कोशिकाएं ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाती हैं और उनकी कमी से कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। एनीमिया के कारण मरीज को लगातार थकान महसूस होती है जिससे रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो जाता है। मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण चक्कर, सिरदर्द या बेहोशी जैसी स्थिति हो सकती है। त्वचा, नाखून, और आंखों का सफेद हिस्सा पीला पड़ सकता है जो एनीमिया का स्पष्ट संकेत है। हल्की शारीरिक गतिविधि, जैसे सीढ़ियां चढ़ना, में भी सांस फूलने की समस्या हो सकती है। हृदय को ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है जिससे धड़कन तेज हो सकती है। रक्त कैंसर, जैसे ल्यूकेमिया और मल्टीपल मायलोमा, में अस्थि मज्जा असामान्य कोशिकाओं से भर जाता है जिससे स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन कम होता है। उपचार में ब्लड ट्रांसफ्यूजन, आयरन या विटामिन बी12 सप्लीमेंट्स, और कैंसर के मुख्य उपचार, जैसे कीमोथेरेपी, शामिल हैं। एनीमिया के लक्षण दिखने पर तुरंत रक्त जांच करवाना जरूरी है, क्योंकि यह रक्त कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकता है।
रक्त कैंसर में बार-बार बुखार और शरीर में दर्द होना एक आम लेकिन गंभीर लक्षण है। बुखार तब होता है जब कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र असामान्य कोशिकाओं से लड़ने की कोशिश करता है या बार-बार संक्रमण के कारण शरीर का तापमान बढ़ता है। यह बुखार सामान्य सर्दी-जुकाम से भिन्न होता है और अक्सर बिना स्पष्ट कारण के आता-जाता रहता है, जिसमें रात में अत्यधिक पसीना आना भी शामिल हो सकता है। दूसरी ओर, शरीर में दर्द, खासकर हड्डियों और जोड़ों में, तब होता है जब अस्थि मज्जा में असामान्य कोशिकाएं जमा हो जाती हैं। यह दर्द ल्यूकेमिया और मल्टीपल मायलोमा में अधिक देखा जाता है। मरीज को रीढ़, पसलियों या कूल्हों में तेज दर्द, जो रात में और बिगड़ सकता है और सुबह जोड़ों में अकड़न या दर्द का अनुभव हो सकता है। कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण सर्दी, निमोनिया, या अन्य गंभीर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है जिससे सामान्य कमजोरी और थकान बढ़ती है। उपचार में दर्द निवारक दवाएं, एंटीबायोटिक्स (संक्रमण के लिए) और कैंसर के मुख्य उपचार जैसे कीमोथेरेपी या रेडिएशन थैरेपी शामिल हो सकते हैं। बुखार और दर्द को हल्के में न लें क्योंकि ये रक्त कैंसर के गंभीर संकेत हो सकते हैं। यदि ये लक्षण दो सप्ताह से अधिक रहें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
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रक्त कैंसर का निदान कई प्रकार के परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है। सबसे पहले, डॉक्टर रक्त की सामान्य जांच करते हैं जिससे यह पता चलता है कि रक्त में कोशिकाओं की संख्या और प्रकार में कोई असामान्य बदलाव तो नहीं हो रहा। इसके बाद, बोन मैरो परीक्षण किया जाता है जिसमें हड्डी के मज्जे से सैंपल लेकर जांच की जाती है कि क्या वहां असामान्य रक्त कोशिकाएं उत्पन्न हो रही हैं। यह परीक्षण खासकर ल्यूकेमिया के निदान के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी इमेजिंग तकनीकों का उपयोग शरीर के अंदर के अंगों की स्थिति का आकलन करने के लिए किया जाता है। इन परीक्षणों के माध्यम से रक्त कैंसर के प्रकार और उसकी गंभीरता का सही निर्धारण किया जाता है जिससे उचित उपचार योजना तैयार की जा सकती है। निदान के बाद, चिकित्सक मरीज के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इलाज की प्रक्रिया शुरू करते हैं।
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रक्त कैंसर का उपचार बीमारी के प्रकार, स्टेज, मरीज की उम्र, और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। आधुनिक चिकित्सा ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे कई मरीज स्वस्थ जीवन जी पाते हैं। मुख्य उपचारों में कीमोथेरेपी शामिल है, जो शक्तिशाली दवाओं से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करती है। रेडिएशन थेरेपी उच्च-ऊर्जा किरणों से कैंसर को खत्म करती है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट स्वस्थ स्टेम सेल्स से अस्थि मज्जा को पुनर्जनन करता है। इम्यूनोथेरेपी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है, जबकि टारगेटेड थेरेपी विशिष्ट कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है। कुछ मामलों में, जैसे लिम्फोमा में, सर्जरी से सूजे हुए लिम्फ नोड्स हटाए जाते हैं। उपचार चुनते समय डॉक्टर मरीज की स्थिति और दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हैं।
कीमोथेरेपी रक्त कैंसर के इलाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह उपचार विधि कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए शक्तिशाली रासायनिक दवाओं का उपयोग करती है। कीमोथेरेपी का उद्देश्य शरीर में कैंसर की बढ़ती हुई कोशिकाओं को नियंत्रित करना और उन्हें नष्ट करना है। यह दवाएं शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त प्रवाह के माध्यम से पहुँचती हैं और कैंसर कोशिकाओं को मारने का काम करती हैं। कीमोथेरेपी का प्रयोग मुख्य रूप से ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मायेलोमा जैसी बीमारियों में किया जाता है। हालांकि, कीमोथेरेपी के दौरान कुछ साइड इफेक्ट्स जैसे थकान, बालों का झड़ना, उल्टी और संक्रमण का खतरा हो सकता है लेकिन यह उपचार रक्त कैंसर के उपचार में एक प्रभावी और मुख्य तरीका है। डॉक्टर आमतौर पर कीमोथेरेपी को अन्य उपचार विधियों जैसे रेडिएशन और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के साथ मिलाकर उपयोग करते हैं।
रेडिएशन थेरेपी, रक्त कैंसर के उपचार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है खासकर जब अन्य उपचार जैसे कीमोथेरेपी से अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते। इस उपचार विधि में उच्च-ऊर्जा वाली रेडिएशन तरंगों का उपयोग किया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए शरीर के प्रभावित हिस्से में डाली जाती हैं। रेडिएशन सीधे कैंसर कोशिकाओं पर कार्य करता है जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है और वे मर जाती हैं। यह उपचार विधि मुख्य रूप से उन मरीजों के लिए उपयोगी होती है जिनका कैंसर लिम्फ नोड्स या अन्य विशेष स्थानों में फैल चुका हो। हालांकि, रेडिएशन थेरेपी से कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जैसे त्वचा में जलन, थकान और भोजन का स्वाद बदलना। फिर भी, यह रक्त कैंसर के इलाज में एक प्रभावी और सुरक्षित तरीका माना जाता है, जो रोगियों को जीवन बचाने और उनके स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, रक्त कैंसर के उपचार में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और प्रभावी विधि है, विशेषकर जब अन्य उपचारों से अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते। इस प्रक्रिया में, स्वस्थ स्टेम कोशिकाओं को रोगी के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है ताकि हड्डी के मज्जे में नई और स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन हो सके। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट दो प्रकार के होते हैं: ऑलोगेनिक (जहां डोनर से कोशिकाएं ली जाती हैं) और ऑटोलेजिनस (जहां मरीज के खुद के स्टेम कोशिकाएं उपयोग की जाती हैं)। यह उपचार विशेष रूप से ल्यूकेमिया और मायेलोमा जैसे रक्त कैंसर के मामलों में प्रभावी है। इस प्रक्रिया से रक्त की सामान्य कोशिकाओं का पुनर्निर्माण होता है जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और रोगी को संक्रमण से बचाव मिलता है। हालांकि, इस प्रक्रिया के बाद कुछ समय तक मरीज को संक्रमण और अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह उपचार कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
रक्त कैंसर को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है लेकिन कुछ सावधानियाँ अपनाई जाएँ तो इसके होने की संभावनाओं को काम किया जा सकता है। निम्नलिखित तरीकों को जीवनशैली में अपना कर इससे बचाव किया जा सकता है:
रक्त कैंसर के लक्षणों को पहचानने और समय पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है। यदि किसी व्यक्ति को लगातार थकान, कमजोरी, बुखार, शरीर में दर्द, या असामान्य वजन घटने की समस्या हो, तो यह रक्त कैंसर का संकेत हो सकता है। इसके अतिरिक्त, अगर शरीर में खून की कमी (एनीमिया) महसूस हो, जैसे कि त्वचा का पीला पड़ना, सिरदर्द या चक्कर आना, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही, यदि रक्त में असामान्य सूजन जैसे लिम्फ नोड्स में सूजन, या बार-बार संक्रमण होने की समस्या हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। इसके अलावा, यदि किसी व्यक्ति को खून का बहना या घावों का ठीक न होना जैसी समस्याएं हो रही हों, तो यह भी रक्त कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। समय रहते डॉक्टर से संपर्क करने से इलाज में मदद मिलती है और रोग का सही समय पर निदान किया जा सकता है।
रक्त कैंसर एक गंभीर बीमारी है लेकिन आधुनिक चिकित्सा और जागरूकता के साथ इसे नियंत्रित और ठीक किया जा सकता है। ब्लड कैंसर के लक्षण जैसे थकान, बुखार, खून की कमी और हड्डी में दर्द को समय पर पहचानना महत्वपूर्ण है। रक्त जांच, बोन मैरो बायोप्सी और अन्य टेस्ट से सही निदान होता है जिसके बाद कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट जैसे उपचार किए जाते हैं। स्वस्थ जीवनशैली, नियमित जांच और शुरुआती निदान इस बीमारी से बचाव और इलाज में महत्वपूर्ण हैं। अगर आपको कोई असामान्य लक्षण दिखे तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। जागरूकता, सही जानकारी और समय पर उपचार के साथ रक्त कैंसर को हराना संभव है।
रक्त कैंसर के लक्षणों में बार-बार थकान, बुखार, बिना कारण वजन कम होना, त्वचा पर नीले निशान, लिम्फ नोड्स में सूजन, हड्डियों में दर्द और बार-बार संक्रमण शामिल हैं। ये लक्षण कैंसर के प्रकार और स्टेज के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं।
रक्त कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, इम्यूनोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी से किया जाता है। उपचार का चयन बीमारी के प्रकार, स्टेज, और मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।
हाँ, रक्त कैंसर का इलाज संभव है खासकर अगर इसे शुरुआती स्टेज में पकड़ लिया जाए। कीमोथेरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट और अन्य आधुनिक उपचारों से कई मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं या लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं।
कीमोथेरेपी रक्त कैंसर के कई मामलों में जरूरी होती है क्योंकि यह कैंसर कोशिकाओं को पूरे शरीर में नष्ट करती है। हालांकि, कुछ मरीजों में इम्यूनोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी या रेडिएशन भी पर्याप्त हो सकती है। यह डॉक्टर की सलाह पर निर्भर करता है।
रक्त कैंसर का निदान रक्त जांच, बोन मैरो बायोप्सी, इमेजिंग टेस्ट (सीटी स्कैन, एमआरआई), लिम्फ नोड बायोप्सी, और जेनेटिक टेस्ट के जरिए किया जाता है। ये टेस्ट बीमारी के प्रकार, स्टेज, और गंभीरता को समझने में मदद करते हैं।
स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान और शराब से परहेज, रसायनों से बचाव, नियमित स्वास्थ्य जांच, और तनाव प्रबंधन से रक्त कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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