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घुटनों के दर्द के लिए आयुर्वेदिक घरेलू उपाय (Ayurvedic Home Remedies for Knee Pain in Hindi)

Last updated on : 30 Sep, 2025

Read time : 9 min

घुटनों का दर्द (Knee Pain) आजकल एक आम स्वास्थ्य समस्या बन गई है, जो युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी प्रभावित कर सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं – जैसे बढ़ती उम्र, मोटापा, चोट लगना, गठिया (Arthritis), या हड्डियों और मांसपेशियों की कमजोरी। इन कारणों से होने वाला दर्द न केवल शारीरिक असुविधा लाता है, बल्कि व्यक्ति की जीवनशैली और दैनिक गतिविधियों को भी प्रभावित करता है।

यदि समय रहते इसका सही उपचार न किया जाए तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। ऐसे में आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे (Ayurvedic Home Remedies) एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकते हैं, जो दर्द को कम करने के साथ-साथ घुटनों को मजबूत बनाने में भी मदद करते हैं। 

आइए, जानते हैं 10 असरदार आयुर्वेदिक घरेलू उपाय, जो घुटनों के दर्द में राहत दे सकते हैं।

घुटनों के दर्द के लिए आयुर्वेदिक घरेलू उपाय

1. हल्दी वाला दूध 

घुटनों के दर्द को कम करने के लिए हल्दी वाला दूध एक प्रभावी घरेलू उपाय माना जाता है। हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन शरीर की सूजन (inflammation) को कम करने और दर्द से राहत देने में मदद करता है। यदि आप रोज़ रात को सोने से पहले गुनगुना दूध हल्दी डालकर पीते हैं, तो घुटनों की जकड़न और सूजन में आराम मिल सकता है।

2. अश्वगंधा (Ashwagandha)

अश्वगंधा को आयुर्वेद में जोड़ों की ताकत और सहनशक्ति बढ़ाने वाली औषधि माना जाता है। रोज़ाना आधा चम्मच अश्वगंधा पाउडर दूध या गुनगुने पानी के साथ लेने से घुटनों का दर्द और कमजोरी कम हो सकती है। हालाँकि, इसे लेने से पहले किसी योग्य आयुर्वेद चिकित्सक या डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें, खासकर यदि आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हैं।

3. गिलोय (Giloy)

गिलोय को आयुर्वेद में “अमृता” कहा जाता है क्योंकि यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और सूजन कम करने में मदद करती है। घुटनों के दर्द का एक बड़ा कारण जोड़ों में सूजन और अकड़न होती है, जिस पर गिलोय प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी की तरह काम कर सकती है। गिलोय का रस या पाउडर नियमित रूप से सेवन करने से जोड़ों की सूजन कम हो सकती है और गतिशीलता बेहतर हो सकती है।

हालाँकि, हर व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति और बीमारी की स्थिति अलग होती है, इसलिए गिलोय का सेवन शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक या डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है।

4. मेथी के बीज (Fenugreek Seeds)

मेथी के बीज आयुर्वेद में जोड़ों और हड्डियों की सेहत सुधारने वाली प्रमुख औषधि माने जाते हैं। इनमें कैल्शियम, आयरन और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं। मेथी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन और अकड़न को घटाते हैं, जिससे घुटनों की जकड़न और दर्द में राहत मिलती है।

रोज़ाना सुबह खाली पेट 1 चम्मच भीगी हुई मेथी के बीज चबाकर खाने या मेथी पाउडर को गुनगुने दूध/पानी के साथ लेने से जोड़ों की कार्यक्षमता बेहतर हो सकती है।

ध्यान रखें: मेथी का सेवन मधुमेह (Diabetes), गैस्ट्रिक समस्या या किसी अन्य गंभीर बीमारी वाले मरीज डॉक्टर की सलाह से ही करें, ताकि सही मात्रा और तरीका निर्धारित किया जा सके।

5. गुग्गुल (Guggul)

गुग्गुल आयुर्वेद में जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक प्रमुख औषधि है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory) और एनाल्जेसिक (Analgesic) गुण पाए जाते हैं, जो आर्थराइटिस और घुटनों के दर्द जैसी समस्याओं में राहत पहुंचा सकते हैं। गुग्गुल शरीर के मेटाबॉलिज्म को बेहतर करता है और हड्डियों व जोड़ों को मजबूत बनाने में भी सहायक माना जाता है।

सेवन विधि: गुग्गुल को अक्सर चूर्ण (powder) या कैप्सूल के रूप में लिया जाता है। सामान्यत: इसे गर्म पानी या दूध के साथ सेवन करने की सलाह दी जाती है।

लेकिन ध्यान रखें, गुग्गुल का सेवन हमेशा डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह से ही करें, क्योंकि इसकी गलत मात्रा पेट संबंधी परेशानी या अन्य दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है।

6. शल्लकी (Shallaki)

शल्लकी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसे Boswellia भी कहते हैं। इसमें सूजन और दर्द कम करने वाले गुण होते हैं। घुटनों के दर्द और जकड़न को कम करने के लिए शल्लकी का सेवन किया जाता है। यह जोड़ों को लचीला बनाकर चलने-फिरने में मदद करता है।

ध्यान दें: शल्लकी का उपयोग शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें, खासकर अगर आप किसी और दवा का सेवन कर रहे हैं।

7. अरंडी का तेल (Castor oil)

अरंडी का तेल (Castor oil) एक प्राकृतिक औषधि है, जिसे प्राचीन काल से दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह तेल घुटनों के दर्द के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है। अरंडी के तेल में राइसिनोलिक एसिड (Ricinoleic Acid) होता है जो सूजन को कम करने और दर्द को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

8. गर्म तेल से मालिश

गर्म तेल से मालिश घुटनों के दर्द को कम करने का एक आसान घरेलू उपाय है। सरसों, जैतून, नारियल या तिल का तेल हल्का गर्म करके मालिश करने से रक्त संचार बढ़ता है और जकड़न कम होती है। इससे सूजन और दर्द दोनों में राहत मिलती है।

9. गर्म पानी से सिकाई

गर्म पानी से सिकाई करने से घुटनों में जकड़न और दर्द कम होता है। यह सूजन को घटाने और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करता है। दिन में 10–15 मिनट तक सिकाई करने से आराम मिल सकता है।

ध्यान रखें: अगर दर्द बहुत ज्यादा है या लंबे समय तक बना हुआ है, तो डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।

10. डाइट में बदलाव

एक स्वस्थ आहार न केवल घुटनों के दर्द को कम करता है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। डाइट में बदलाव कर के घुटनों के दर्द को कम किया जा सकता है। इसके लिए विभिन्न सुझाव दिए जा सकते हैं:

  • संतुलित आहार: एंटीऑक्सीडेंट समर्थन बढ़ाने के लिए हरी सब्जियाँ, फल, और साबुत अनाज शामिल करें।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिड: मछली, अलसी के बीज, और अखरोट का सेवन करें, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
  • कम शक्कर और नमक: शक्कर और नमक का सेवन कम करें, जो सूजन को बढ़ा सकते हैं।
  • जोड़ों की चिकनाई और लचीलापन बढ़ाने में: घी और तिल के तेल जैसे स्वस्थ वसा जोड़ों को चिकनाई प्रदान करते हैं।
  • मसाले: हल्दी, अदरक और दालचीनी जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी को शामिल करें क्योंकि यह सूजन का मुकाबला करने में मदद करता है
  • मजबूत हड्डियों के लिए: शरीर को पोषण देने के लिए दूध, बादाम और पत्तेदार साग जैसे हड्डियों को मजबूत करने वाले खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।

आयुर्वेदिक चिकित्सा का महत्व

आयुर्वेदिक चिकित्सा घुटनों के दर्द का प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार प्रदान करती है। यह चिकित्सा शरीर के भीतर से समस्या का समाधान करती है और लंबे समय तक प्रभावी रहती है। आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों, मसालों, तेलों, और योग का उपयोग करके घुटनों के दर्द को नियंत्रित और समाप्त किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार का महत्व इस बात में निहित है कि यह न केवल दर्द को कम करता है, बल्कि जोड़ों की कार्यक्षमता को भी सुधारता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक और लाभ यह है कि यह बिना किसी साइड इफेक्ट के दीर्घकालिक राहत प्रदान करती है।

निष्कर्ष

घुटनों के दर्द का समाधान आयुर्वेदिक उपायों के माध्यम से संभव है। घरेलू उपायों जैसे हल्दी, अश्वगंधा, गिलोय और गर्म तेल की मालिश से दर्द में राहत मिल सकती है। समग्र स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम जरूरी हैं। यदि इन उपायों के बावजूद दर्द में सुधार नहीं होता है, तो विशेषज्ञ से संपर्क करना आवश्यक है। आयुर्वेदिक चिकित्सा एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है, जो घुटनों के दर्द को कम करने में मदद कर सकती है।

विशेषज्ञ सलाह

“जोड़ों के दर्द में राहत पाने के लिए नियमित हल्की एक्सरसाइज़ करें, जैसे स्ट्रेचिंग और वॉकिंग। साथ ही, संतुलित आहार और शरीर का वजन नियंत्रित रखना जोड़ों पर दबाव कम करने में मदद कर सकता है। अगर दर्द लगातार बना रहे, तो आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श ज़रूरी है।”

Dr. Kavya Rejikumar

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

क्या आयुर्वेदिक विधियों से घुटने के दर्द में राहत मिल सकती है?

हाँ, आयुर्वेदिक विधियाँ घुटनों के दर्द में राहत देने में मदद कर सकती हैं। इनमें जड़ी-बूटियाँ जैसे गुग्गुल और शल्लकी, दर्द और सूजन कम करने में फायदेमंद मानी जाती हैं। इसके अलावा, गर्म पानी से सिकाई, हल्दी, और मेथी का सेवन भी सूजन और जकड़न कम करने में सहायक होता है। आयुर्वेदिक तेलों से मालिश करने से रक्त संचार बेहतर होता है और दर्द में आराम मिलता है।
लेकिन अगर दर्द बहुत ज्यादा है या लंबे समय तक बना रहता है, तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

क्या आयुर्वेदिक तेल मालिश से लाभ हो सकता है?

हाँ, आयुर्वेदिक तेल मालिश घुटनों के दर्द में राहत दे सकती है। नियमित मालिश से रक्त संचार बेहतर होता है, सूजन और अकड़न कम होती है तथा जोड़ों को पोषण मिलता है। आमतौर पर महाशिवर तेल, नारायण तेल या धान्वंतरम तेल का प्रयोग किया जाता है। हालांकि, इसका असर दर्द के कारण और व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है, इसलिए लगातार दर्द रहने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

क्या आयुर्वेद में घुटने की सूजन और जकड़न को कम करने के लिए कोई उपाय हैं?

हाँ, आयुर्वेद में घुटने की सूजन और जकड़न कम करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। हल्दी, अश्वगंधा और गुग्गुल जैसी जड़ी-बूटियाँ सूजन और दर्द को कम करने में सहायक मानी जाती हैं। इसके अलावा, गरम तेल (जैसे तिल या सरसों का तेल) से हल्की मालिश करने से रक्त संचार बेहतर होता है और अकड़न कम होती है। त्रिफला का सेवन भी शरीर से विषैले तत्व निकालने और जोड़ों की समस्या कम करने में मदद करता है। साथ ही, गर्म पानी से सिंकाई (सेकाई) करने से भी आराम मिल सकता है।

आयुर्वेदिक पद्धति में जीवनशैली का क्या योगदान होता है?

आयुर्वेदिक पद्धति में जीवनशैली का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। सही दिनचर्या, संतुलित आहार, नियमित योग-प्राणायाम और पर्याप्त नींद शरीर की प्राकृतिक शक्ति को बढ़ाते हैं और जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव को कम करते हैं। घुटनों के दर्द में यह जीवनशैली बदलाव सूजन को घटाने, जकड़न को कम करने और लचीलापन बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं।

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