Last updated on : 20 Nov, 2025
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सर्दियों का मौसम आते ही अनेक लोगों में रूखी त्वचा की समस्या बढ़ जाती है। त्वचा में खिंचाव, रूखापन और कभी-कभी हल्की दरारें जैसी परेशानियां होने लगती हैं। इसके चलते लोग अक्सर राहत पाने के लिए उपाय खोजने की कोशिश करते हैं लेकिन सही उपाय और जानकारी न मिल पाने के कारण बहुत से लोग अपनी त्वचा को ठीक नहीं कर पाते।
इस ब्लॉग में हम आपको रूखी त्वचा के कारणों और आयुर्वेदिक सिद्धांतों तथा आधुनिक शोध पर आधारित घरेलू उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे जो आपकी त्वचा को फिर से कोमल और चमकदार बनाने में मदद कर सकते हैं [1], [2]।
रूखी त्वचा जिसे हम ड्राई स्किन (जेरोसिस या ज़ेरोडर्मा) भी कहते हैं, एक ऐसी स्थिति होती है जो नमी की कमी के कारण बेजान और खुरदुरी हो जाती है। रूखी त्वचा से प्रभावित व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि खुजली, जलन और त्वचा के फटने का खतरा [3]। यह समस्याएं हल्की से लेकर गंभीर तक हो सकती हैं और सर्दियों में यह समस्या अधिक बढ़ जाती है। इसके कई कारण होते हैं, इसलिए लक्षणों को पहचानकर समय पर उपचार करना जरूरी है।
ड्राई स्किन के कई कारण होते हैं और ये अलग-अलग मौसम, लाइफस्टाइल और बाहरी कारकों पर निर्भर करते हैं। निम्नलिखित कारणों से त्वचा रूखी होती है:
ड्राई स्किन के कई संकेत होते हैं जिन्हें पहचानकर सही समय पर इलाज किया जा सकता है। यहां कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं:
सर्दियों में रूखी त्वचा का उपचार करना संभव है। आप इन घरेलू उपायों से राहत पा सकते हैं जो आपकी त्वचा को नमी बनाए रखने और बाहरी रूखापन को संतुलित करने में सहायक हो सकते हैं:
नारियल तेल में प्राकृतिक एमोलिएंट गुण होते हैं जो त्वचा को नमी प्रदान करते हैं। इसमें मौजूद लॉरिक एसिड एक प्रभावी अवरोधक के रूप में कार्य करता है जो त्वचा से पानी के नुकसान को कम करने में मदद करता है [6], [7]। इसे रात में सोने से पहले चेहरे और शरीर पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें। यह त्वचा की नमी को लंबे समय तक बनाए रखने में सहायक है।
शहद और दूध का मिश्रण रूखी त्वचा के लिए लाभकारी होता है। शहद में प्राकृतिक ह्यूमेक्टेंट गुण होते हैं और दूध में लैक्टिक एसिड होता है जो त्वचा की नमी को बनाए रखने में मदद करता है। इसे चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद धो लें।
एलोवेरा में प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा को पोषण देते हैं और उसे सूखने से भी बचाते हैं। इसे रोज़ाना त्वचा पर लगाने से त्वचा में ताजगी और नमी बनी रह सकती है।
जैतून का तेल विटामिन E और ओलिक एसिड से भरपूर होता है जो त्वचा को कोमल बनाए रखता है और उसमें नमी बनाए रखता है [8]। इसे हल्के हाथों से त्वचा पर लगाएं और मालिश करें।
ओटमील में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक होते हैं जो त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करते हैं [9]। ओटमील को दूध के साथ मिलाकर स्क्रब की तरह उपयोग करें। यह त्वचा को हल्का एक्सफोलिएट करता है और नमी प्रदान करने में मदद करता है।
दही और शहद का मिश्रण त्वचा के लिए बेहतरीन मॉइस्चराइजर का काम करता है। दही में लैक्टिक एसिड होता है जो त्वचा को कोमल और मुलायम बनाता है। इसे चेहरे पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर धो लें।
बादाम तेल में विटामिन E और महत्वपूर्ण फैटी एसिड होते हैं जो त्वचा की नमी को बनाए रखने में सहायक होते हैं। इसे चेहरे और शरीर पर लगाकर हल्की मालिश करें। यह त्वचा को पोषण देकर उसे कोमल बनाता है।
गुलाब जल त्वचा को ठंडक देता है और ग्लिसरीन एक शक्तिशाली ह्यूमेक्टेंट के रूप में नमी को त्वचा के भीतर बनाए रखता है। इन दोनों को मिलाकर त्वचा पर लगाएं और थोड़ी देर के लिए छोड़ दें।
खीरा और एलोवेरा त्वचा को ठंडक और नमी प्रदान करते हैं। खीरे का रस निकालकर उसमें एलोवेरा जेल मिलाएं और त्वचा पर लगाएं। यह पैक त्वचा को ठंडक देने के साथ ही नमी भी प्रदान करता है।
त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी पीना और संतुलित आहार लेना जरूरी है। पानी से शरीर की नमी बरकरार रहती है और त्वचा में चमक बनी रह सकती है। विटामिन और मिनरल्स से भरपूर आहार भी त्वचा के लिए फायदेमंद होता है, विशेषकर ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन C [5]।
घरेलू उपचार आमतौर पर सुरक्षित होते हैं, लेकिन किसी भी नए घटक का उपयोग करने से पहले अपनी कलाई पर पैच टेस्ट ज़रूर करें। यदि आपको किसी भी सामग्री से एलर्जी या संवेदनशीलता है तो इसका उपयोग न करें। यदि इन उपायों का उपयोग करने के बाद खुजली, लालिमा या जलन बढ़ती है, तो तुरंत उपयोग बंद कर दें और त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें।
अगर घरेलू उपायों के बाद भी सुधार न दिखे, तो त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है। कभी-कभी ड्राई स्किन के पीछे एटॉपिक डर्मेटाइटिस (एक्ज़िमा), सोरायसिस, या एक अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या जैसी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं [3]। लगातार जलन, खुजली, या फटी हुई त्वचा की स्थिति में डॉक्टर की मदद अवश्य लें।
सर्दियों में त्वचा का रूखापन आम समस्या है, लेकिन उपर्युक्त घरेलू उपाय जैसे नारियल या बादाम तेल की मालिश, शहद-दही फेस मास्क और संतुलित आहार अपनाकर इससे राहत पाई जा सकती है। याद रखें, ये नुस्खे सहायक उपचार हैं जो त्वचा को मुलायम और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। हालांकि, अगर लगातार खुजली, फटना, या लालिमा जैसी परेशानी बनी रहे तो त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लेना सबसे बेहतर विकल्प है।
विशेषज्ञ सलाह
शुष्क त्वचा को मैनेज करने के लिए नियमित रूप से स्नान के तुरंत बाद एलोवेरा, जैतून तेल का तेल या नारियल तेल जैसे प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र का उपयोग करें और ओमेगा-3 युक्त आहार लें। साबुन या क्लींजर का उपयोग सीमित करें जो त्वचा को रूखा बनाते हैं; यदि लक्षण बने रहें तो त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें।
-Dr. Kavya Rejikumar
महत्वपूर्ण अस्वीकरण:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्यों के लिए है और इसे किसी भी तरह से चिकित्सा सलाह, निदान, या उपचार के विकल्प के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। किसी भी स्वास्थ्य समस्या, इलाज, या आहार में बदलाव के लिए हमेशा किसी योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता (डॉक्टर या त्वचा विशेषज्ञ) से सलाह लें। इस जानकारी पर भरोसा करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
ठंड के मौसम में चेहरा अक्सर सूखा और बेजान हो जाता है। इससे बचने के लिए आप रात में घरेलू उपाय अपना सकते हैं। नारियल तेल या जैतून तेल से हल्की मालिश करें, ये त्वचा को गहराई से पोषण और नमी प्रदान करते हैं। इसके अलावा, गुलाब जल और ग्लिसरीन का मिश्रण भी चेहरे को हाइड्रेट कर उसे मुलायम बनाए रखता है।
चेहरे की सूखापन कम करने के लिए प्राकृतिक रूप से मॉइस्चराइज़िंग जैतून का तेल, बादाम तेल या शहद-दही का मास्क इस्तेमाल किया जा सकता है। ये त्वचा को नमी और पोषण देकर उसे मुलायम और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
ठंड के मौसम में हवा शुष्क हो जाती है और वातावरण में नमी कम हो जाती है। इसी वजह से त्वचा की प्राकृतिक नमी जल्दी खो जाती है, जिससे वह रूखी, खुरदुरी और बेजान दिखने लगती है। आमतौर पर, जब हवा में नमी 60% से कम हो जाती है तो त्वचा रूखी होने लगती है [3]।
ड्राई स्किन अक्सर शरीर में नमी की कमी के कारण होती है। इसके अलावा विटामिन E, विटामिन A और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों की कमी भी त्वचा को रूखा बना सकती है [5]। पर्याप्त पानी पीना और संतुलित आहार लेना इस समस्या को रोकने में मदद करता है।
ड्राई स्किन की समस्या से बचने के लिए विटामिन और मिनरल्स से भरपूर आहार लेना ज़रूरी है। अपनी डाइट में मौसमी फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, बादाम और अखरोट जैसे नट्स, बीज (चिया, अलसी) और ओमेगा-3 से भरपूर फूड्स (जैसे मछली या सोया) शामिल करें। ये खाद्य पदार्थ त्वचा को अंदर से नमी और पोषण देकर उसे मुलायम और हेल्दी बनाए रखने में मदद करते हैं।
ठंड के मौसम में ऐसे मॉइस्चराइज़र चुनें जो त्वचा को गहराई से हाइड्रेट करें। पेट्रोलैटम, मिनरल ऑयल, या सिरेमाइड्स जैसे तत्वों के साथ जैतून तेल, नारियल तेल या शीया बटर आधारित क्रीम अच्छे विकल्प हैं [4]।
[1] Vishal Gaurav, Anil Kumar Bhoi, and Mehta, N. (2023). Home remedies in dermatology. Indian Dermatology Online Journal, 14(6), 864–870. https://doi.org/10.4103/idoj.idoj_166_23
[2] Lodén, M., & Maibach, H. I. (2005). Dry skin and moisturizers: chemistry and function. Clinics in Dermatology, 23(5), 430–432. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/15724344/
[3] ScienceDirect. (n.d.). Dry Skin – An Overview. Topics in Medical and Dental Sciences. Elsevier. https://www.sciencedirect.com/topics/medicine-and-dentistry/dry-skin
[4] Draelos, Z. D. (2005). Therapeutic moisturizers. Dermatologic Therapy, 18(4), 298–301. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2763764/
[5] Gomes, F. C. S. L., et al. (2021). The role of nutritional deficiencies in skin diseases: A systematic review. International Journal of Dermatology, 60(9), 1060–1070. https://doi.org/10.1111/ijd.15655
[6] Agero, A. L., & Busman, V. C. (2004). A randomized double-blind controlled trial comparing extra virgin coconut oil with mineral oil as a moisturizer for mild to moderate xerosis. Dermatitis, 15(3), 109–116. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/15724344/
[7] Lodén, M., & Maibach, H. I. (2020). Moisturizers. In H. I. Maibach (Ed.), Dermatological Functional Cosmetics (pp. 537-548). Elsevier. https://doi.org/10.1016/B978-0-12-819528-4.00032-8
[8] Vaughn, A. R., et al. (2018). Natural oils for skin: an overview. Journal of Clinical and Aesthetic Dermatology, 11(1), 10–17. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5796020/
[9] P. J. S. A. G. (2018). Colloidal oatmeal: history, chemistry and clinical significance. Journal of Drugs in Dermatology, 17(2), 209-214. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/29385564/
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