Last updated on : 11 Jul, 2025
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लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) एक महत्वपूर्ण मेडिकल परीक्षण है जो आपके लीवर की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य का सही अंदाजा लगाने में मदद करता है। लीवर शरीर का एक अहम अंग है जो विषाक्त पदार्थों को निकालने, पाचन में सहायता करने और कई जरूरी कार्यों को पूरा करने का काम करता है। अगर लीवर सही से काम नहीं करता, तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि लिवर फंक्शन टेस्ट क्यों जरूरी है, इसके प्रकार क्या हैं, और कैसे आप अपने लीवर की देखभाल कर सकते हैं ताकि वह स्वस्थ बना रहे।
लिवर फंक्शन टेस्ट, जिसे संक्षेप में LFT कहा जाता है, एक रक्त परीक्षण होता है जो लिवर द्वारा निर्मित एंजाइम्स, प्रोटीन और बिलीरुबिन जैसे तत्वों के स्तर को मापता है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर यह जान सकते हैं कि लिवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं।
LFT में मुख्य रूप से ALT (अलानिन अमिनोट्रांसफरेस), AST (अस्पार्टाटे अमिनोट्रांसफरेस), ALP (एल्कलाइन फोस्फेटेस) और बिलीरुबिन जैसे बायोमार्कर की जाँच की जाती है। यह परीक्षण लीवर की सूजन, संक्रमण, या क्षति जैसी स्थितियों की पहचान करने में मदद करता है।
लिवर फंक्शन टेस्ट का मुख्य उद्देश्य लिवर की सेहत और कार्यक्षमता का मूल्यांकन करना होता है, ताकि समय रहते किसी भी संभावित समस्या का पता लगाया जा सके और सही इलाज शुरू किया जा सके। यह परीक्षण विशेष रूप से निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाता है:
लिवर (यकृत) हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है जो कई महत्वपूर्ण जैविक क्रियाओं में भाग लेता है। इसकी मुख्य भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:
लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) एक समूह परीक्षण होता है, जिसके माध्यम से लिवर की सेहत और कार्यप्रणाली का आकलन किया जाता है। प्रमुख LFT टेस्ट इस प्रकार हैं:
ALT एक एंजाइम है जो मुख्यतः लिवर में पाया जाता है। लिवर को क्षति पहुंचने पर यह रक्त में अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसका सामान्य स्तर लगभग 7–55 यूनिट/लीटर होता है।
AST एंजाइम लिवर और मांसपेशियों में पाया जाता है। लिवर डैमेज की स्थिति में इसका स्तर भी बढ़ जाता है। इसका सामान्य मान 8–48 यूनिट/लीटर के बीच होता है।
ALP लिवर, पित्त नलिकाओं और हड्डियों में पाया जाने वाला एंजाइम है। इसका उच्च स्तर पित्त प्रवाह में बाधा या हड्डी संबंधी रोगों का संकेत हो सकता है। सामान्य रेंज 45–115 यूनिट/लीटर है।
बिलीरुबिन शरीर में रेड ब्लड सेल्स के टूटने से बनता है। लिवर इसका निष्कासन करता है। बढ़ा हुआ स्तर पीलिया या लिवर की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। सामान्य स्तर 0.1–1.2 mg/dL होता है।
एल्बुमिन एक प्रोटीन है जिसे लिवर बनाता है। इसकी मात्रा लिवर की प्रोटीन निर्माण क्षमता को दर्शाती है। यदि स्तर कम है, तो यह लिवर के कार्य में कमी को दर्शाता है। सामान्य सीमा 3.5–5.0 g/dL होती है।
यह टेस्ट रक्त के थक्का बनने में लगने वाले समय को मापता है। लिवर खून को जमाने वाले फैक्टर बनाता है, इसलिए इसमें देरी लिवर फंक्शन में गड़बड़ी दर्शा सकती है। सामान्य PT रेंज 11–13.5 सेकंड मानी जाती है।
लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) तब करवाना चाहिए जब आपके शरीर में लिवर से जुड़ी समस्याओं के लक्षण दिखाई दें या डॉक्टर को किसी गंभीर बीमारी का संदेह हो। यह टेस्ट न केवल लिवर की कार्यक्षमता जांचने के लिए उपयोगी है, बल्कि समय रहते रोगों की पहचान में भी मदद करता है।
लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) एक सामान्य ब्लड टेस्ट है, जिसमें आपकी नस से रक्त का नमूना लिया जाता है। यह नमूना प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जहाँ विभिन्न लिवर एंजाइम्स (जैसे ALT, AST, ALP) और प्रोटीन (जैसे एल्बुमिन, बिलीरुबिन) के स्तर की जांच की जाती है।
लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) के ज़रिए डॉक्टर लिवर की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य की स्थिति का मूल्यांकन करते हैं। इस टेस्ट के विभिन्न मानकों (Parameters) का विश्लेषण करके यह पता लगाया जाता है कि लिवर सामान्य रूप से काम कर रहा है या नहीं।
1. ALT (Alanine Aminotransferase):
2. AST (Aspartate Aminotransferase):
3. ALP (Alkaline Phosphatase):
4. बिलीरुबिन (Bilirubin):
5. एल्बुमिन (Albumin):
6. PT (Prothrombin Time):
ध्यान रखें: LFT के परिणामों को हमेशा किसी विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा ही समझना चाहिए क्योंकि ये कई अन्य रोगों से भी प्रभावित हो सकते हैं।
लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) के नतीजे कई आंतरिक और बाहरी कारकों के कारण भिन्न हो सकते हैं। इन कारकों को समझना जरूरी है ताकि टेस्ट की रिपोर्ट को सही तरीके से इंटरप्रेट किया जा सके:
कुछ दवाइयाँ जैसे कि स्टैटिन्स, एंटीबायोटिक्स, एंटी-सीज़र मेडिकेशन, और पेनकिलर (जैसे पेरासिटामोल की अधिक मात्रा) लिवर एंजाइम्स के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं।
वसा-युक्त भोजन, अत्यधिक शराब का सेवन और अनियमित खानपान लिवर की कार्यप्रणाली पर असर डाल सकता है जिससे टेस्ट के परिणाम बदल सकते हैं।
टेस्ट से ठीक पहले किया गया अत्यधिक व्यायाम ALT और AST जैसे एंजाइम्स के स्तर को अस्थायी रूप से बढ़ा सकता है।
दिल, किडनी या थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं भी LFT रिपोर्ट को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए डॉक्टर को पूरी मेडिकल हिस्ट्री बताना आवश्यक है।
स्वस्थ लिवर पूरे शरीर की कार्यप्रणाली के लिए बेहद ज़रूरी है। नीचे दिए गए कुछ आसान लेकिन असरदार उपायों को अपनाकर आप अपने लिवर को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं:
1. संतुलित और पोषक आहार लें
2. शराब से परहेज करें
3. नियमित व्यायाम करें
4. दवाइयों का सावधानी से प्रयोग करें
5. हाइड्रेटेड रहें (पर्याप्त पानी पिएं)
“लिवर फंक्शन टेस्ट एक आवश्यक चिकित्सा परीक्षण है जो यकृत की कार्यक्षमता और उसकी स्थिति का सही मूल्यांकन करने में सहायता प्रदान करता है। यह जांच समय रहते लिवर से जुड़ी किसी भी समस्या की पहचान करने और उचित इलाज आरंभ करने के लिए महत्वपूर्ण होती है।”
– Dr. Sachin Singh
लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) लिवर की सेहत का आकलन करने वाला एक अहम और विश्वसनीय मेडिकल जांच है, जो लिवर की कार्यक्षमता और संभावित विकारों का समय पर पता लगाने में मदद करता है। सही समय पर यह परीक्षण करवा कर गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।
स्वस्थ लिवर के लिए आपको संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और शराब से परहेज जैसे जीवनशैली संबंधी सुधार अपनाने चाहिए। यदि आपको पीलिया, थकान, या पेट दर्द जैसे लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर उचित जाँच कराएं।
लिवर फंक्शन टेस्ट के लिए आमतौर पर कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन डॉक्टर कुछ खास निर्देश दे सकते हैं जैसे खाली पेट रहना या कुछ दवाइयों का सेवन बंद करना।
नहीं यह एक सामान्य रक्त परीक्षण है और इसमें ज्यादा दर्द महसूस नहीं होता। केवल सुई के चुभने का हल्का दर्द हो सकता है।
आमतौर पर लिवर फंक्शन टेस्ट के परिणाम 24 से 48 घंटे के भीतर मिल जाते हैं।
अगर परिणाम असामान्य हों तो डॉक्टर से परामर्श करें। वे आगे के परीक्षण और उपचार के लिए मार्गदर्शन करेंगे।
लिवर फंक्शन टेस्ट सीधे तौर पर लिवर कैंसर का पता नहीं लगाता, बल्कि यह लिवर की कार्यक्षमता में असामान्यता का संकेत देता है। कैंसर की पुष्टि के लिए अतिरिक्त जांचों की आवश्यकता होती है।
अस्वीकरण
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और यह पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। कृपया कोई भी नया स्वास्थ्य अभ्यास शुरू करने से पहले किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें, खासकर यदि आप पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं या दवा ले रहे हैं।
संदर्भ सूची
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