Last updated on : 09 Nov, 2025
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उल्टी (वमन) एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है, जो कई कारणों से हो सकती है। यह पेट की गड़बड़ी, फूड पॉइजनिंग, गर्भावस्था, माइग्रेन, एसिडिटी या किसी संक्रमण का संकेत हो सकता है। कभी-कभी यात्रा के दौरान या अधिक खाना खाने से भी उल्टी हो सकती है। यह शरीर की एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया होती है, जिससे पेट की हानिकारक सामग्री बाहर निकल जाती है। इस लेख में आपको उल्टी रोकने के असरदार घरेलू उपाय, कारण, और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से इसके प्रबंधन की जानकारी मिलेगी।
उल्टी (वमन) एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है, जिसमें पेट की सामग्री मुंह के माध्यम से बलपूर्वक बाहर निकलती है। उल्टी जैसी समस्या के बारे में जानने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान से पढ़ें:
उल्टी (वमन) सिर्फ सामान्य पेट की गड़बड़ी नहीं, बल्कि यह कई अंतर्निहित (Underlying) गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकती है, जो निम्नलिखित हैं:
उल्टी होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
यहाँ आपके लिए बस या गाड़ी में उल्टी होने के कारण दिए गए हैं, जिसे मोशन सिकनेस भी कहते हैं:
गर्भावस्था के दौरान उल्टी आना एक सामान्य समस्या है, जो ज्यादातर पहली तिमाही में होती है। यहाँ आपके लिए गर्भवती महिलाओं को उल्टी आने के कारण दिए गए हैं:
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में संतुलन बनाए रखने के लिए वात, पित्त और कफ दोष का सही सामंजस्य ज़रूरी होता है। उल्टी (छर्दी) दोषों के असंतुलन का परिणाम है [3]। यहाँ वातज, पित्तज और कफज दोष के कारण उल्टी की समस्या के बारे में बताया गया है:
यहाँ आपके लिए वातज-पित्तज-कफज दोष के कारण होने वाली उल्टी के लक्षण और इसके उपचार की जानकारी दी गई है:
यहाँ आपके लिए उल्टी रोकने के घरेलू उपाय की जानकारी दी गई है, जो मतली (Nausea) और उल्टी (Vomiting) के प्रबंधन में सहायक हो सकते हैं:
इसमें जिंजरोल और शोगॉल जैसे सक्रिय घटक होते हैं जो पेट को शांत रखने में मदद कर सकते हैं और मतली के प्रबंधन में सहायक माने जाते हैं, विशेष रूप से गर्भावस्था से संबंधित मतली में [4], [1]। गर्म पानी में अदरक डालकर पीना सामान्य रूप से उपयोग किया जाता है।
पुदीना में मेंथॉल नामक सक्रिय यौगिक पाया जाता है, जो पाचन तंत्र को आराम देने और उल्टी की भावना को कम करने में मदद कर सकता है। पुदीना चाय के रूप में इसका उपयोग प्रचलित है।
दालचीनी में सिनामल्डिहाइड होता है जो गैस्ट्रिक मसल्स को शांत कर पाचन को सामान्य बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
नींबू में सिट्रल और लिमोनीन होते हैं जो ताजगी देने वाले घटक हैं और मतली के प्रबंधन में उपयोग किए जाते हैं। नींबू पानी या इसकी सुगंध को सूंघना राहत दे सकता है (विशेष रूप से मोशन सिकनेस में)।
इसमें एपिजेनिन और बाइज़ाबोलोल जैसे यौगिक पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को शांत रखने में सहायक हो सकते हैं।
लौंग में यूजेनॉल पाया जाता है, जो पारंपरिक रूप से उल्टी के लक्षणों को कम करने में सहायक माना जाता है।
इलायची में सिनेओल और टरपीन जैसे सक्रिय घटक पाए जाते हैं जो पाचन में सहायक हो सकते हैं और उल्टी के लक्षणों के प्रबंधन में उपयोग किए जाते हैं।
सौंफ में एनेथोल होता है जो पाचन में सहायक माना जाता है और गैस्ट्रिक असुविधा को कम कर सकता है।
नोट: प्याज का रस/उपयोग मतली के लिए एक पारंपरिक उपाय रहा है, लेकिन इसका वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। प्याज में क्वेरसेटिन होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट है, लेकिन यह उल्टी को रोकने के लिए सीधे तौर पर सिद्ध नहीं है।
गर्भवावस्था में उल्टी रोकने के उपाय (Home Remedies for Vomiting in Pregnancy) इस प्रकार हैं:
उल्टी आने की स्थिति में सही परहेज के अनुसार:
उल्टी एक सामान्य समस्या है, जो खराब पाचन, संक्रमण या यात्रा के दौरान हो सकती है। इसे रोकने के लिए अदरक, नींबू और ठंडे पानी का सेवन प्रबंधन में सहायक होता है। यदि उल्टी लगातार हो, उसमें खून आए, या पानी की गंभीर कमी हो, तो तुरंत योग्य चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है। घरेलू उपचार केवल प्रबंधन के लिए हैं, गंभीर बीमारी का इलाज नहीं।
गाड़ी में उल्टी आने का कारण मोशन सिकनेस है, जो आंतरिक कान के संतुलन तंत्र और आँखों के संकेतों में अंतर के कारण होती है।
उल्टी रोकने के लिए आइस चिप्स चूसें या ठंडा पानी पिएं, अदरक या नींबू सूंघें, धीरे-धीरे गहरी सांस लें और आराम करें।
उल्टी का कारण फूड पॉइज़निंग, पेट संक्रमण, माइग्रेन, गर्भावस्था, दवाईयों का असर, तनाव या गैस्ट्रिक समस्या हो सकता है।
अगर उल्टी में खून आए, बार-बार हो (24 घंटे में 3 से अधिक बार), पानी की कमी लगे या तेज सिरदर्द और चक्कर आए, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें [5]।
पित्त की उल्टी अधिक मसालेदार भोजन, खाली पेट रहने, पाचन समस्या या पित्त असंतुलन के कारण हो सकती है। इसमें उल्टी का रंग अक्सर पीला या हरा होता है।
[1] हेक्रोथ, एम., लकेट, आर. टी., मोजर, सी., परजुली, डी., और एबेल, टी. एल. (2021). 2021 में मतली और उल्टी. (Hecroth, M., Luckett, R. T., Moser, C., Parajuli, D., & Abel, T. L. (2021). Nausea and vomiting in 2021.) जर्नल ऑफ क्लिनिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, 55(4), 279–299. (Journal of Clinical Gastroenterology, 55(4), 279–299.) https://doi.org/10.1097/mcg.0000000000001485
[2] संक्षिप्त समीक्षा: मतली और उल्टी के उपचार के लिए हर्बल उपचार। (2018)। (Brief Review: Herbal Remedies for Treatment of Nausea and Vomiting. (2018).) बायोमेडिकल रिसर्च एंड थेरेपी, 5(5), 2252-2259. (Biomedical Research and Therapy, 5(5), 2252-2259.) https://doi.org/10.15419/bmrat.v5i5.437
[3] देशमुख, सुशीलकुमार, और जोशी देशमुख, प्रणिता। (2016)। आयुर्वेदिक कम्पेंडिया के विशेष संदर्भ में, गर्भनाल छरड़ी (गर्भावस्था में उल्टी) में प्रयुक्त औषधियों का एक आलोचनात्मक विश्लेषण। (Deshmukh, S., & Joshi Deshmukh, P. (2016). A critical analysis of drugs used in Garbhini Chhardi (Vomiting in Pregnancy) with special reference to Ayurvedic compendia.) आयुर्वेद एवं फार्मेसी अनुसंधान का अंतर्राष्ट्रीय जर्नल, 7(4). (International Journal of Ayurveda and Pharmaceutical Research, 7(4), 47-50.) https://www.researchgate.net/publication/308282280
[4] लेटे, आई., और एलुई, जे. (2016)। गर्भावस्था और कीमोथेरेपी के दौरान मतली और उल्टी की रोकथाम में अदरक की प्रभावशीलता। (Letè, I., & Allué, J. (2016). The Effectiveness of Ginger in the Prevention of Nausea and Vomiting During Pregnancy and Chemotherapy.) इंटीग्रेटिव मेडिसिन इनसाइट्स, 11, 11–17. (Integrative Medicine Insights, 11, 11–17.) https://doi.org/10.4137/imi.s36273
[5] स्टैंगहेलिनी, वी., चैन, एफ. के., हैस्लर, डब्ल्यू. एल., मालागेलाडा, जे. आर., सुजुकी, एच., टैक, जे., और टैली, एन. जे. (2016)। गैस्ट्रोडुओडेनल विकार। (Stanghellini, V., Chan, F. K., Hasler, W. L., Malagelada, J. R., Suzuki, H., Tack, J., & Talley, N. J. (2016). Gastroduodenal disorders.) गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, 150(6), 1380–1392. (Gastroenterology, 150(6), 1380–1392.) https://doi.org/10.1053/j.gastro.2016.02.011
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