Last updated on : 30 Nov, 2025
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श्वेत स्राव (ल्यूकोरिया / वाइट डिस्चार्ज), जिसे आम भाषा में सफेद पानी के नाम से भी जाना जाता है, महिलाओं में एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। यह समस्या हल्की और असामान्य स्थिति दोनों हो सकती है। इसमें मुख्य रूप से सर्वाइकल म्यूकस, योनि कोशिकाएँ और तरल पदार्थ शामिल होते हैं, और यह एक प्राकृतिक सफाई तंत्र के रूप में कार्य करता है, जो योनि स्नेहन और pH संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। वाइट डिस्चार्ज क्यों होता है इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें हार्मोनल बदलाव और संक्रमण प्रमुख हैं [1]। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि वाइट डिस्चार्ज क्यों होता है, इसके लक्षण, कारण और इससे निपटने के सहायक घरेलू उपाय क्या हो सकते हैं।
वाइट डिस्चार्ज, जिसे हिंदी में सफेद पानी कहा जाता है, महिलाओं के लिए एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। यह योनि से निकलने वाला तरल पदार्थ है जो स्वाभाविक रूप से शरीर की सफाई और स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करता है। मासिक धर्म चक्र के दौरान, हार्मोनल उतार-चढ़ाव – विशेष रूप से एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में बदलाव – मात्रा और स्थिरता में सामान्य बदलाव का कारण बनता है। उदाहरण के लिए, ओव्यूलेशन के दौरान यह अक्सर पतला और स्पष्ट होता है। हालाँकि, जब स्राव के साथ असुविधाजनक रंग, गंध या लगातार बने रहना होता है, तो यह एक रोग संबंधी स्थिति का संकेत हो सकता है।
वाइट डिस्चार्ज कई प्रकार का हो सकता है जो कि निम्नलिखित है:
यह सामान्यतः पतला से लेकर गाढ़ा और पारदर्शी होता है। यह मासिक धर्म के दौरान या ओव्यूलेशन के समय बढ़ सकता है। यह आमतौर पर स्वस्थ होता है और शरीर की स्वच्छता को बनाए रखने में मदद करता है।
यदि वाइट डिस्चार्ज का रंग पीला हो जाए, तो यह बैक्टीरियल संक्रमण (जैसे बैक्टीरियल वेजिनोसिस) या यौन संचारित संक्रमण (STI) का संकेत हो सकता है [2]। यह आमतौर पर खुजली या जलन के साथ हो सकता है।
हरा या भूरा-ग्रे रंग का डिस्चार्ज आमतौर पर बैक्टीरियल संक्रमण (जैसे ट्राइकोमोनिएसिस) या अन्य गंभीर समस्याओं का संकेत होता है। यदि हरे रंग का डिस्चार्ज बदबूदार हो, तो यह तत्काल चिकित्सीय जांच की आवश्यकता को दर्शाता है।
भूरा (Brown) डिस्चार्ज भूरा डिस्चार्ज अक्सर पुराने रक्त का संकेत होता है और यह सामान्य हो सकता है यदि यह मासिक धर्म के अंत के बाद हो। हालांकि, अगर यह बिना किसी कारण के हो रहा हो, या अनियमित रूप से हो रहा हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
यह अक्सर यीस्ट संक्रमण (कैंडिडिआसिस) का लक्षण होता है, जिसके साथ तीव्र खुजली और लाली होती है।
असामान्य वाइट डिस्चार्ज या ल्यूकोरिया के निम्नलिखित लक्षण होते हैं [3]:
वाइट डिस्चार्ज के कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें मुख्य रूप से शारीरिक (Physiological) और रोग संबंधी (Pathological) में विभाजित किया जा सकता है [3]।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस (Bacterial Vaginosis – BV): योनि माइक्रोबायोटा में बदलाव – लैक्टोबैसिलाई में कमी और गार्डेनरेला जैसे बैक्टीरिया में वृद्धि – पतले, मछली जैसी गंध वाले स्राव का कारण बनती है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब योनि के प्राकृतिक बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है।
कैंडिडा एल्बिकेन्स की अधिक वृद्धि से गाढ़ा, पनीर जैसा सफेद स्राव, तीव्र खुजली और जलन होती है।
हार्मोनल या शारीरिक परिवर्तन
महिला के मासिक धर्म चक्र में हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण वाइट डिस्चार्ज की मात्रा और गाढ़ापन प्रभावित हो सकता है। यह एक सामान्य और स्वस्थ प्रक्रिया है।
गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ने से सफेद पानी की मात्रा बढ़ जाती है।
यौन उत्तेजना से पहले स्राव: योनि में प्राकृतिक स्राव का बढ़ना सेक्स के लिए शरीर की तैयारी दर्शाता है। यह स्राव योनि को चिकना बनाकर सेक्स को अधिक सहज बनाता है।
असुरक्षित यौन संबंध या मल्टीपल पार्टनर होने से ट्राइकोमोनिएसिस (Trichomoniasis), गोनोरिया (Gonorrhea), या क्लैमाइडिया (Chlamydia) जैसे संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। ये संक्रमण वाइट डिस्चार्ज को असामान्य बना सकते हैं।
एंटीबायोटिक्स या हार्मोनल गोलियों का अत्यधिक उपयोग योनि के प्राकृतिक pH बैलेंस को बिगाड़ सकता है, जिससे यीस्ट संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
असामान्य, संक्रमण से संबंधित सफेद पानी को नजरअंदाज करने से निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं:
ध्यान दें: ये उपाय सहायक हो सकते हैं, लेकिन ये संक्रमण का इलाज नहीं हैं। यदि आपको संक्रमण के लक्षण हैं तो चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है।
नीम की पत्तियों में निम्बिडिन, एज़ाडिरेक्टिन और निम्बिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और सूजनरोधी गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। तुलसी में यूजेनॉल और रोसमारिनिक एसिड होते हैं, जो इसके एंटीसेप्टिक और रोगाणुरोधी प्रभावों में योगदान करते हैं। प्रयोग: आप 5-7 नीम की पत्तियों को उबालकर उसका पानी पी सकते हैं या तुलसी की चाय बना सकते हैं। गर्म नीम के पत्तों के पानी और तुलसी/हल्दी का सिट्ज़ बाथ (टब में बैठकर) पेल्विक क्षेत्र और कमर के दर्द को शांत करने में मदद कर सकता है।
दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं जो शरीर की प्राकृतिक बैक्टीरिया संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये बैक्टीरिया लैक्टिक एसिड का उत्पादन करने में मदद करते हैं, एक अम्लीय pH (~4.5) बनाए रखते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया और कवक के अतिवृद्धि को रोकता है। प्रयोग: प्रतिदिन 1 कप सादा, बिना चीनी वाला दही खाएं।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, मेथी के बीजों का सेवन करने से भी लाभ मिल सकता है। मेथी के बीजों में फाइटोएस्ट्रोजेन और सैपोनिन होते हैं, जो हार्मोनल संतुलन का समर्थन करते हैं। प्रयोग: 1 चम्मच मेथी के दानों को रात भर पानी में भिगो दें। सुबह उस पानी को छानकर पी लें या मेथी के बीजों को उबालकर उसका पानी पिएं। यह सफेद स्राव और उससे जुड़ी खुजली जैसी समस्याओं की तीव्रता को कम करने में सहायक हो सकता है।
धनिया के बीज लिनालूल, फ्लेवोनोइड्स और आवश्यक तेलों से भरपूर होते हैं जो जीवाणुरोधी और मूत्रवर्धक क्रियाएं प्रदर्शित करते हैं। प्रयोग: 1-2 चम्मच धनिया को 1 गिलास पानी में उबालकर या रात भर भिगोकर सुबह छानकर उसका पानी पीने से राहत मिलती है।
एप्पल साइडर सिरका में एसिटिक एसिड होता है, जो शरीर के प्राकृतिक pH संतुलन को बहाल करने में मदद कर सकता है। हालांकि, इसे सीधे योनि में उपयोग नहीं करना चाहिए। प्रयोग: एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर को पानी में मिलाकर पीने से भी लाभ होता है। यह शरीर के pH स्तर को संतुलित करने में मदद करता है।
लहसुन में प्राकृतिक रूप से एलिसिन होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीबायोटिक और एंटीफंगल एजेंट है। लहसुन कैंडिडा संक्रमण के खिलाफ प्रभावी हो सकता है। प्रयोग: इसे कच्चा खाने या सब्जियों में डालकर नियमित रूप से खा सकते हैं।
आंवला विटामिन सी, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स और गैलिक एसिड से भरपूर एक शक्तिशाली इम्यूनोमॉड्यूलेटर है। आयुर्वेद में, आंवला को एक रसायन माना जाता है जो समग्र स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा को मजबूत करता है। प्रयोग: इसे चूर्ण या जूस के रूप में लिया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई शारीरिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है, जिसमें हार्मोनल परिवर्तन शामिल होते हैं। गर्भावस्था के दौरान सफेद पानी आना सामान्य माना जाता है, जिसे ‘ल्यूकोरिया’ (Leucorrhea) कहा जाता है [5], लेकिन इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं:
वाइट डिस्चार्ज एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन योनि स्राव में कोई भी असामान्य परिवर्तन (रंग, गंध, या मात्रा) एक अंतर्निहित संक्रमण या स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और जल्द से जल्द एक डॉक्टर, स्त्री रोग विशेषज्ञ, या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। उचित देखभाल, व्यक्तिगत स्वच्छता, और घरेलू उपायों से इस समस्या को नियंत्रित करने में सहायता मिल सकती है।
विशेषज्ञ उद्धरण (Expert Quote)
“जबकि कभी-कभी सफेद स्राव शारीरिक हो सकता है, बार-बार या बदबूदार स्राव गहरे असंतुलन का संकेत हो सकता है। आहार अनुशासन (पथ्य-अपथ्य), हर्बल उपचार और योगासन और प्राणायाम जैसे तनाव कम करने वाले अभ्यासों को एकीकृत करके ल्यूकोरिया जैसी स्थितियों का समग्र रूप से प्रबंधन किया जा सकता है। आंत और योनि स्वास्थ्य का आपस में गहरा संबंध है और इसका ध्यान अंतःविषय रूप से रखा जाना चाहिए।”
Dr. Kavya Rejikumar
यह सामान्यतः हार्मोनल परिवर्तन, शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया (जैसे ओव्यूलेशन), या बैक्टीरियल/यीस्ट संक्रमण के कारण होता है।
आधुनिक चिकित्सा में, सफेद पानी सीधे तौर पर किसी एक कमी से नहीं होता है, लेकिन कुछ मामलों में एनीमिया (आयरन की कमी) या सामान्य कमजोरी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करके संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा सकती है।
जी हां, सामान्य स्वास्थ्य में गिरावट, कमजोरी और तनाव भी इस समस्या को बढ़ा सकते हैं क्योंकि वे शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता को कमजोर करते हैं।
प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दही और फलों का सेवन करें। अधिक चीनी और प्रसंस्कृत (Processed) खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि वे यीस्ट के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
यह योनि से निकलने वाला सामान्य तरल पदार्थ होता है जो शरीर की सफाई करता है और संक्रमण से बचाता है।
यह योनि स्राव हो सकता है जो पेशाब के साथ बाहर आ रहा हो, लेकिन अगर इसके साथ जलन या दर्द हो, तो यह मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) या जननांग संक्रमण का संकेत हो सकता है; विशेषज्ञ की राय लेना उचित है।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस (BV) या ट्राइकोमोनिएसिस जैसे बैक्टीरियल संक्रमण होने पर सफेद पानी बदबूदार हो सकता है।
यह आमतौर पर यौवन (Puberty) के दौरान शुरू होता है।
गाढ़ा सफेद या दूधिया रंग का डिस्चार्ज गर्भावस्था में सामान्य हो सकता है (ल्यूकोरिया के रूप में), लेकिन यह अकेला संकेत नहीं है। कन्फर्मेशन के लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट जरूरी है।
[1] Mitchell, H. (2004). Vaginal discharge—causes, diagnosis, and treatment. BMJ, 328(7451), 1306–1308. https://doi.org/10.1136/bmj.328.7451.1306
[2] Spence, D., & Melville, C. (2007). Vaginal discharge. BMJ, 335(7630), 1147–1151. https://doi.org/10.1136/bmj.39343.619003.AE
[3] Centers for Disease Control and Prevention (CDC). (2023, July 25). Vaginal Discharge: What’s Normal, What’s Not. CDC. https://www.cdc.gov/std/prevent/vaginal-discharge.htm
[4] Centers for Disease Control and Prevention (CDC). (2024, January 17). Pelvic Inflammatory Disease (PID) Fact Sheet. CDC. https://www.cdc.gov/std/pid/stdfact-pid.htm
[5] American College of Obstetricians and Gynecologists (ACOG). (2023, June). Vaginal Discharge During Pregnancy. ACOG. https://www.acog.org/womens-health/faqs/vaginal-discharge-during-pregnancy
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