Last updated on : 11 Jul, 2025
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गॉलब्लैडर स्टोन या पित्ताशय की पथरी एक ऐसी आम लेकिन गंभीर समस्या है, जो तब होती है जब पित्त में मौजूद पदार्थ जैसे कोलेस्ट्रॉल और बिलीरुबिन जमा होकर ठोस क्रिस्टल बना लेते हैं। ये क्रिस्टल धीरे-धीरे पथरी में बदल जाते हैं, जो पित्ताशय या उसके नालियों में रुकावट पैदा कर सकते हैं। इस स्थिति के लक्षण हल्के पेट दर्द से लेकर गंभीर पीलिया और पाचन विकारों तक हो सकते हैं। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। इस ब्लॉग में हम गॉलब्लैडर स्टोन के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे ताकि इस समस्या को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
पित्ताशय, जिसे अंग्रेज़ी में गॉलब्लैडर कहा जाता है, एक छोटा नाशपाती के आकार का अंग होता है जो यकृत (लीवर) के ठीक नीचे स्थित होता है। इसका मुख्य कार्य यकृत द्वारा बनाए गए पित्त (बाइल) को संग्रहित करना और जरूरत पड़ने पर छोटी आंत में छोड़ना है, जिससे वसा के पाचन में मदद मिलती है।
जब पित्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन या अन्य पदार्थ सामान्य मात्रा से अधिक जमने लगते हैं, तो ये धीरे-धीरे ठोस कण बन जाते हैं जिन्हें पथरी कहा जाता है। इस स्थिति को चिकित्सकीय रूप से कोलेलिथियसिस (Cholelithiasis) कहा जाता है। पथरी का आकार बहुत छोटा (रेत के कण जितना) से लेकर बड़ा (गोल्फ बॉल जितना) हो सकता है।
अक्सर यह पथरी बिना किसी लक्षण के पित्ताशय में पड़ी रहती है और पता नहीं चलती। लेकिन जब यह पथरी पित्त वाहिनी (बाइल डक्ट) को अवरुद्ध कर देती है, तो तेज़ पेट दर्द, पीलिया या पाचन में गड़बड़ी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
पित्ताशय की पथरी अक्सर शुरू में किसी लक्षण के बिना विकसित हो सकती है, लेकिन जब यह पित्त नलिका (बाइल डक्ट) में फंस जाती है या रास्ता अवरुद्ध करती है, तो कई असुविधाजनक और कभी-कभी गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं। नीचे दिए गए लक्षण पित्ताशय की पथरी की पहचान में मदद कर सकते हैं:
यदि इन लक्षणों में से कोई भी महसूस हो, खासकर अगर दर्द लगातार बढ़ता जाए या बुखार/पीलिया हो, तो तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक है।
पित्ताशय की पथरी तब बनती है जब पित्त में मौजूद पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है। यह असंतुलन धीरे-धीरे ठोस क्रिस्टल्स और फिर पथरी का रूप ले लेता है। आइए जानें इसके मुख्य कारण:
यदि लीवर सामान्य से अधिक कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करता है और वह पित्त में घुल नहीं पाता, तो यह धीरे-धीरे छोटे क्रिस्टल्स के रूप में जमने लगता है, जो समय के साथ पथरी में बदल जाता है।
कुछ स्थितियों में जैसे लिवर सिरोसिस, कुछ संक्रमण, या हेमोलिटिक एनीमिया में शरीर अधिक मात्रा में बिलीरुबिन बनाता है। यह अतिरिक्त बिलीरुबिन पित्त में जमकर पथरी बना सकता है।
अगर पित्ताशय हर बार भोजन के बाद पूरी तरह से खाली नहीं होता, तो उसमें बचा हुआ पित्त ठोस कणों में बदल सकता है, जिससे पत्थर बनने की संभावना बढ़ जाती है।
तेज़ी से वजन बढ़ना या अचानक वजन कम होना भी पित्ताशय की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है और स्टोन बनने का कारण बन सकता है।
यदि परिवार में किसी को पहले पित्ताशय की पथरी रही हो, तो अन्य सदस्यों में इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
गर्भावस्था, मीनोपॉज़ या हार्मोनल थेरेपी के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में परिवर्तन होते हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है और पथरी बनने का खतरा बढ़ता है।नोट: इन कारणों को जानने के बाद आप पथरी की संभावना को पहचानने और समय रहते चिकित्सकीय सलाह लेने में सक्षम हो सकते हैं।
पित्ताशय की पथरी यानी गॉलब्लैडर स्टोन एक जैसी नहीं होती। ये पथरियाँ उनके निर्माण में शामिल तत्वों और रंग-रूप के आधार पर अलग-अलग प्रकार की हो सकती हैं। चिकित्सा दृष्टिकोण से इन्हें तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जाता है:
यह सबसे आम प्रकार की पथरी होती है, जो विशेष रूप से तब बनती है जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है और वह घुल नहीं पाता।
पिगमेंट स्टोन बिलीरुबिन के अत्यधिक जमाव के कारण बनती है। यह आमतौर पर लिवर की बीमारियों या रक्त संबंधी विकारों से जुड़ी होती है।
यह पथरी कोलेस्ट्रॉल और पिगमेंट दोनों के संयोजन से बनती है और इनमें कैल्शियम और अन्य पदार्थ भी शामिल हो सकते हैं।
नोट: किसी भी प्रकार की पथरी हो, यदि समय पर लक्षणों को पहचानकर उपचार न किया जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
पित्ताशय की पथरी के इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि पथरी का प्रकार और आकार क्या है और उसके लक्षण कितने गंभीर हैं।
अगर पथरी का आकार छोटा है और कोई गंभीर लक्षण नहीं हैं, तो दवाओं की मदद से इसे घोला जा सकता है।
यह सबसे आम और सुरक्षित सर्जिकल तरीका है, जिसमें पूरे गॉलब्लैडर को हटा दिया जाता है।
जब पथरी बहुत बड़ी हो या गॉलब्लैडर में सूजन या इंफेक्शन हो, तब यह तरीका अपनाया जाता है।
जब पथरी केवल बाइल डक्ट (पित्त नली) में फंसी होती है, तो यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।
नोट: पथरी के बार-बार दर्द या संक्रमण का कारण बनने पर अक्सर डॉक्टर गॉलब्लैडर को ही हटाने की सलाह देते हैं क्योंकि पथरी दोबारा बनने की संभावना बनी रहती है।
अगर आप पित्ताशय की पथरी (Gallbladder Stones) से पीड़ित हैं या इससे बचाव करना चाहते हैं, तो कुछ सरल घरेलू उपाय और दैनिक जीवन में बदलाव आपको राहत देने में मदद कर सकते हैं। ये उपाय पथरी के बनने की संभावना को कम करते हैं और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखते हैं।
पित्ताशय की पथरी से राहत पाने और इसके दोबारा बनने की संभावना को कम करने के लिए सही और संतुलित आहार अपनाना बेहद ज़रूरी है। नीचे दिए गए आहार सुझावों को अपनाकर आप अपने पाचन तंत्र को बेहतर बना सकते हैं और स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं:
फायदा: यह पाचन क्रिया को बेहतर करता है और पित्त में बैलेंस बनाए रखता है।
वैकल्पिक सुझाव: भाप में पकी या ग्रिल की हुई चीज़ें खाएं।
पित्त की पथरी निकालने के बाद शरीर को सामान्य स्थिति में लौटने के लिए समय और सही देखभाल की ज़रूरत होती है। सर्जरी के बाद की देखभाल से न सिर्फ़ रिकवरी तेज़ होती है, बल्कि दोबारा समस्याएं होने की संभावना भी कम हो जाती है।
ध्यान रखें: सर्जरी के बाद हर व्यक्ति की रिकवरी अलग होती है। इसलिए अपने शरीर के संकेतों को समझें और कोई असामान्यता महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
यदि आप पित्ताशय की पथरी से संबंधित निम्नलिखित गंभीर लक्षण महसूस करें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
नोट: इन लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है क्योंकि ये पित्ताशय में संक्रमण, बाइल डक्ट ब्लॉकेज या अन्य जटिलताओं की ओर इशारा कर सकते हैं। जल्द से जल्द गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट या सर्जन से सलाह लें।
पित्ताशय की पथरी एक आम लेकिन समय पर ध्यान न दिए जाने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकती है। इसके लक्षणों को प्रारंभिक अवस्था में पहचानना और उपयुक्त उपचार कराना आवश्यक है ताकि जटिलताओं से बचा जा सके।
स्वस्थ जीवनशैली—जैसे कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी पीना और वसा युक्त भोजन से परहेज—गॉलब्लैडर की सेहत को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। यदि आपको कोई लक्षण महसूस हो, तो देर न करें और तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें।
एक जागरूक और सतर्क दृष्टिकोण अपनाकर आप पित्ताशय की पथरी से बच सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
“पित्ताशय की पथरी एक आम लेकिन गंभीर समस्या मानी जाती है। इसका समय पर सही पता लगाना और उपचार आवश्यक होता है ताकि इसे प्रभावी रूप से संभाला जा सके। संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर पथरी की दोबारा होने की संभावना कम की जा सकती है।”
Dr. Sachin Singh
गॉलब्लैडर में पथरी होने से पेट में तेज दर्द, उल्टी, पीलिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
तली-भुनी चीजें, जंक फूड और अत्यधिक फैट वाला भोजन नहीं खाना चाहिए।
कुछ दवाएं पथरी को घोल सकती हैं लेकिन यह सभी प्रकार की पथरी के लिए कारगर नहीं होती।
फाइबर युक्त आहार और पर्याप्त पानी का सेवन पित्ताशय की पथरी को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।
जब पथरी के कारण गंभीर लक्षण उत्पन्न हो रहे हों तब सर्जरी की सलाह दी जाती है।
लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी सबसे आम और सुरक्षित प्रक्रिया मानी जाती है।
उर्सोडियॉक्सीकोलिक एसिड (UDCA) जैसी दवाएं कोलेस्ट्रॉल पथरी को घोलने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं और इसको एक अच्छी दवा माना जाता है लेकिन कोई भी दवाई बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए।
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