Last updated on : 06 May, 2025
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पेट में कीड़े एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जो बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकती है। यह परजीवी संक्रमण तब होता है जब विभिन्न प्रकार के कीड़े, जैसे राउंडवर्म, टेपवर्म, या पिनवर्म, आंतों में प्रवेश करते हैं। पेट में कीड़े होने के लक्षण जैसे पेट दर्द, दस्त, और भूख में कमी जीवन को प्रभावित करते हैं। यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस लेख में हम पेट में कीड़े क्यों होते हैं, इसके लक्षण , कारण, इलाज, और बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हमारा उद्देश्य सरल और उपयोगी जानकारी प्रदान करना है ताकि आप इस समस्या से निपट सकें।
पेट में कीड़े परजीवी कीड़े हैं जो मानव की आंतों में रहते हैं और शरीर के पोषक तत्वों का उपयोग करते हैं। ये कीड़े विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे राउंडवर्म (एस्केरिस), टेपवर्म, पिनवर्म, और हुकवर्म। ये परजीवी दूषित भोजन, पानी, या अस्वच्छ वातावरण के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व भर में 1.5 बिलियन लोग आंतों के कीड़ों से प्रभावित हैं, जिनमें बच्चे सबसे अधिक जोखिम में हैं। पेट में कीड़े पोषक तत्वों की कमी, कमजोरी, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों में इनका इलाज संभव है। शुरुआती निदान और स्वच्छता इस समस्या को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण हैं।
पेट में कीड़े कई प्रकार के होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
पेट में कीड़े होने के लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं, जो कीड़े के प्रकार और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। निम्नलिखित प्रमुख लक्षण हैं:
पेट में दर्द और ऐंठन पेट में कीड़े होने का सबसे आम लक्षण है। यह कीड़ों के आंतों में गतिविधि या सूजन के कारण होता है। शोध में पाया गया कि 70% रोगियों में पेट दर्द प्रमुख लक्षण है। यह बच्चों और वयस्कों दोनों में देखा जाता है। दर्द रुक-रुक कर या लगातार हो सकता है। यदि दर्द गंभीर हो या बुखार के साथ हो, तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें। यह लक्षण राउंडवर्म या टेपवर्म का संकेत हो सकता है।
पेट में कीड़े आंतों की सामान्य कार्यप्रणाली को बाधित करते हैं, जिससे दस्त या कब्ज हो सकता है। दस्त अक्सर पिनवर्म या हुकवर्म के कारण होता है, जबकि राउंडवर्म कब्ज का कारण बन सकते हैं। शोध में पाया गया कि 50% रोगियों में दस्त या कब्ज देखा जाता है। यह बच्चों में अधिक आम है। हाइड्रेशन और फाइबर युक्त आहार इन लक्षणों को कम कर सकते हैं। यदि दस्त 2-3 दिन से अधिक रहे, तो चिकित्सक से संपर्क करें।
पेट में कीड़े शरीर के पोषक तत्वों, विशेष रूप से आयरन और प्रोटीन, को अवशोषित करते हैं, जिससे कमजोरी और थकावट होती है। यह एनीमिया का कारण भी बन सकता है। शोध में पाया गया कि 60% रोगियों में थकावट प्रमुख लक्षण है। यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं में अधिक स्पष्ट होता है। पोषक आहार और कृमिनाशक दवाएँ इस लक्षण को कम कर सकती हैं। यदि कमजोरी बढ़े, तो चिकित्सक से सलाह लें।
पेट में कीड़े होने पर भूख में कमी और कभी-कभी अनजाने में वजन घटना हो सकता है। यह कीड़ों के पोषक तत्वों को अवशोषित करने के कारण होता है। शोध में पाया गया कि 40% बच्चों में भूख की कमी प्रमुख लक्षण है। छोटे और बार-बार भोजन लेना इस लक्षण को कम कर सकता है। यदि भूख की कमी गंभीर हो, तो चिकित्सक से जांच कराएँ। यह राउंडवर्म या टेपवर्म का संकेत हो सकता है।
अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
पेट में कीड़े क्यों होते हैं ? पेट में कीड़े कई कारकों के कारण हो सकते हैं, जो मुख्य रूप से अस्वच्छता और दूषित स्रोतों से संबंधित हैं। निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं:
दूषित पानी और अस्वच्छ भोजन पेट में कीड़ों का सबसे बड़ा कारण हैं। कीड़ों के अंडे दूषित पानी, कच्चे या अधपके मांस, और गंदी सब्जियों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। शोध में पाया गया कि 60% कीड़े के मामले दूषित पानी और भोजन से संबंधित हैं। यह बच्चों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों में अधिक आम है। साफ पानी और अच्छी तरह पका भोजन इस जोखिम को कम करता है। नियमित रूप से सब्जियाँ धोएँ।
बच्चों में मिट्टी खाने की आदत (पिका) पेट में कीड़ों का कारण बन सकती है। मिट्टी में राउंडवर्म या हुकवर्म के अंडे हो सकते हैं। शोध में पाया गया कि 30% बच्चों में मिट्टी खाने से कीड़े का संक्रमण होता है। यह 2-10 वर्ष की आयु के बच्चों में अधिक आम है। माता-पिता को बच्चों की निगरानी करनी चाहिए। बच्चों को स्वच्छता की आदत सिखाएँ। यदि बच्चा बार-बार मिट्टी खाता है, तो चिकित्सक से सलाह लें।
अस्वच्छ वातावरण, जैसे गंदे शौचालय, खुले में शौच, या अस्वच्छ रसोई, कीड़ों के संक्रमण का खतरा बढ़ाता है। कीड़ों के अंडे गंदे हाथों, मक्खियों, या दूषित सतहों के माध्यम से फैलते हैं। शोध में पाया गया कि 40% कीड़े के मामले अस्वच्छ वातावरण से संबंधित हैं। यह ग्रामीण और स्लम क्षेत्रों में अधिक आम है। नियमित सफाई और स्वच्छता इस जोखिम को कम करती है। स्वच्छ शौचालय का उपयोग करें।
पेट में कीड़ों का निदान विभिन्न परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है। समय पर निदान गंभीर जटिलताओं को रोक सकता है। निम्नलिखित निदान के तरीके हैं:
पेट के कीड़े का इलाज चिकित्सा, घरेलू उपाय, और स्वच्छता पर आधारित है। शुरुआती चरण में इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। निम्नलिखित उपचार विधियाँ हैं:
कृमिनाशक दवाएँ पेट के कीड़ों को मारने में सबसे प्रभावी हैं। सामान्य दवाएँ जैसे एल्बेंडाजोल, मेबेंडाजोल, और पाइरेंटेल पामोएट उपयोग की जाती हैं। शोध में पाया गया कि एल्बेंडाजोल 95% मामलों में कीड़ों को समाप्त करता है। चिकित्सक की सलाह पर 1-2 खुराक लें। यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए सुरक्षित है। दवाएँ 1-2 सप्ताह में असर दिखाती हैं। दुष्प्रभाव जैसे मतली या सिरदर्द हो सकते हैं। चिकित्सक से सलाह लें।
कुछ घरेलू उपाय पेट के कीड़ों को कम करने में मदद कर सकते हैं:
पेट के कीड़ों को रोकने और इलाज के लिए स्वच्छता महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित उपाय अपनाएँ:
पेट में कीड़े होने से बचाव स्वच्छता और सही आदतों पर निर्भर करता है। निम्नलिखित उपाय अपनाएँ:
गंदे या अनुपचारित पानी में कीड़ों के अंडे हो सकते हैं। हमेशा उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पिएँ। शोध में पाया गया कि साफ पानी 40% कीड़े के मामलों को रोकता है। यह बच्चों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पानी को उबालकर ठंडा करें। नियमित रूप से पानी के स्रोत की जाँच करें।
खाने से पहले और बाद में, शौचालय उपयोग के बाद, और गंदे काम करने के बाद साबुन से 20 सेकंड तक हाथ धोएँ। शोध में पाया गया कि हाथ धोना 50% कीड़े के संक्रमण को कम करता है। यह सभी आयु वर्ग के लिए जरूरी है। बच्चों को हाथ धोने की आदत सिखाएँ। साबुन और साफ पानी का उपयोग करें।
बच्चों को हर 6 महीने में कृमिनाशक दवाएँ (जैसे एल्बेंडाजोल) देना चाहिए। यह स्कूलों और सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों में आम है। शोध में पाया गया कि नियमित कृमिनाशक दवाएँ 70% बच्चों में कीड़ों को रोकती हैं। 2 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित। चिकित्सक की सलाह पर खुराक लें। गंभीर लक्षणों के लिए तुरंत जाँच कराएँ।
पेट में कीड़े क्यों होते हैं? यह दूषित भोजन, पानी, और अस्वच्छ वातावरण के कारण होता है। पेट में कीड़े होने के लक्षण जैसे पेट दर्द, दस्त, और कमजोरी स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। कृमिनाशक दवाएँ, घरेलू उपाय, और स्वच्छता इस समस्या का प्रभावी इलाज हैं。 नियमित स्वच्छता, साफ पानी, और कृमिनाशक दवाएँ कीड़ों से बचाव करती हैं। बच्चों में यह समस्या अधिक आम है इसलिए उनकी विशेष देखभाल जरूरी है। समय पर निदान और चिकित्सक की सलाह से पेट के कीड़ों से पूरी तरह निजात पाई जा सकती है। असामान्य लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
पेट में कीड़े होने के लक्षणों में पेट दर्द, भूख में कमी, और थकान शामिल हैं। गुदा में खुजली, खासकर रात में, और अनियमित मल त्याग भी आम है। कुछ लोगों को उल्टी, मतली, या त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं। बच्चों में चिड़चिड़ापन और नींद की कमी भी दिख सकती है।
हल्के मामलों में घरेलू उपाय जैसे कच्चा लहसुन, कद्दू के बीज, या पपीते के बीज खाने से राहत मिल सकती है। नीम का रस या हल्दी वाला दूध भी सहायक हो सकता है। हालांकि, गंभीर संक्रमण के लिए डॉक्टर की सलाह और दवाएँ जरूरी हैं। स्वच्छता बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।
हाँ, पेट में कीड़े, खासकर राउंडवर्म या टेपवर्म, से हल्का बुखार हो सकता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के संक्रमण से लड़ने के कारण होता है। बुखार के साथ अन्य लक्षण जैसे पेट दर्द या कमजोरी भी हो सकते हैं। लगातार बुखार होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
हाँ, पेट के कीड़े जैसे गियार्डिया या हुकवर्म से दस्त हो सकते हैं। कीड़े आंतों में जलन पैदा करते हैं, जिससे पतला मल या बार-बार मल त्याग होता है। दस्त के साथ खून या बलगम भी दिख सकता है। तुरंत चिकित्सक की सलाह लें।
पेट में कीड़े होने पर हल्का, पौष्टिक आहार जैसे दाल, चावल, और उबली सब्जियाँ खाएं। लहसुन, अदरक, और हल्दी युक्त भोजन कृमिनाशक गुणों के कारण फायदेमंद है। प्रोबायोटिक दही आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। तला-भुना और चीनी युक्त भोजन से बचें।
हाँ, पेट के कीड़े पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकते हैं, जिससे वजन घटने लगता है। टेपवर्म जैसे कीड़े भोजन से पोषण चुराते हैं, जिससे कमजोरी और वजन में कमी होती है। यह बच्चों के विकास को भी प्रभावित कर सकता है। चिकित्सक से उपचार और जांच कराएँ।
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