Last updated on : 12 Jul, 2025
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हिचकी एक आम लेकिन कभी-कभी बेहद परेशान करने वाली शारीरिक प्रक्रिया है, जो अक्सर बिना किसी गंभीर कारण के अपने आप ही ठीक हो जाती है। हालांकि, जब हिचकी बार-बार या लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकती है। आमतौर पर यह कोई चिंता की बात नहीं होती, लेकिन जब यह हमारी दिनचर्या में बाधा डालने लगे, तो इसके कारणों और प्रभावी उपचार को समझना ज़रूरी हो जाता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि हिचकी क्यों आती है, इसके संभावित कारण क्या हो सकते हैं और इसे रोकने या कम करने के लिए कौन-कौन से असरदार उपाय अपनाए जा सकते हैं।
हिचकी एक स्वचालित और अनैच्छिक शारीरिक प्रक्रिया है, जिसमें डायाफ्राम (पेट और फेफड़ों के बीच की प्रमुख सांस की मांसपेशी) अचानक संकुचित हो जाती है। इस संकुचन के तुरंत बाद वोकल कॉर्ड्स (गले की आवाज़ उत्पन्न करने वाली मांसपेशियां) तेजी से बंद हो जाती हैं, जिससे “हिक” जैसी विशिष्ट आवाज उत्पन्न होती है। यह प्रक्रिया अक्सर तब होती है जब श्वसन नली (windpipe) में अचानक हवा खिंचती है और गले में हल्का खिंचाव या झटका महसूस होता है। हिचकी के सामान्य कारणों में बहुत अधिक भोजन करना, कार्बोनेटेड पेय पीना, अचानक तापमान में बदलाव, भावनात्मक उत्तेजना या मानसिक तनाव शामिल हो सकते हैं। हालांकि, अगर हिचकी बार-बार या लंबे समय तक बनी रहे, तो यह कुछ जटिल स्वास्थ्य स्थितियों जैसे गैस्ट्रिक रिफ्लक्स, न्यूरोलॉजिकल समस्याओं या मेटाबोलिक असंतुलन का संकेत भी हो सकती है।
हिचकी आने के कारण कई प्रकार के हो सकते हैं — कुछ सामान्य और अस्थायी होते हैं, जबकि कुछ कारण किसी अंदरूनी स्वास्थ्य समस्या की ओर संकेत कर सकते हैं। नीचे हिचकी के प्रमुख कारण दिए गए हैं:
बहुत ज़्यादा खाने या अत्यधिक शराब पीने से पेट में गैस बन सकती है, जिससे डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है। यह दबाव डायाफ्राम की अचानक ऐंठन (involuntary contraction) को उत्पन्न कर सकता है, जिससे हिचकी होती है।
जब पेट का अम्ल (एसिड) ओस्फैगस (भोजन नली) में वापस चढ़ता है, तो यह वहां की नसों को उत्तेजित कर सकता है — विशेषकर वेगस तंत्रिका — जिससे हिचकी शुरू हो सकती है।
चिंता, घबराहट या मानसिक तनाव के समय शरीर में स्वचालित शारीरिक प्रतिक्रियाएं (autonomic responses) होती हैं। इन प्रतिक्रियाओं में डायाफ्राम की मांसपेशियों पर असर पड़ सकता है, जिससे हिचकी हो सकती है।
बहुत ठंडे या बहुत गर्म खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों के सेवन से डायाफ्राम और पेट की संवेदनशीलता प्रभावित हो सकती है, जिससे अस्थायी असंतुलन होता है और हिचकी शुरू हो सकती है।
तेज़ खाने, कार्बोनेटेड ड्रिंक पीने या मुंह से हवा निगलने (aerophagia) के कारण पेट में हवा भर सकती है, जिससे डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है और हिचकी आती है।
बहुत जल्दी या बिना चबाए भोजन करने से पेट में अनावश्यक दबाव बनता है, जो डायाफ्राम को उत्तेजित कर सकता है और हिचकी का कारण बन सकता है।
कुछ मामलों में हिचकी किसी न्यूरोलॉजिकल कारण से भी हो सकती है। जैसे अगर वेगस (vagus) या फ्रेनिक (phrenic) तंत्रिका पर कोई दबाव, जलन या क्षति हो, तो यह हिचकी को ट्रिगर कर सकता है। ब्रेन ट्यूमर, स्ट्रोक या मस्तिष्क में चोट जैसी स्थितियों में यह संभव है।
अगर हिचकी 48 घंटे से अधिक समय तक बनी रहती है, तो यह एक सामान्य स्थिति न होकर किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकती है। इसे “क्रोनिक हिचकी” (chronic hiccups) या “पर्सिस्टेंट हिचकी” कहा जाता है, जो आमतौर पर तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र, या श्वसन तंत्र से जुड़ी किसी गड़बड़ी के कारण होती है। ऐसे में निम्नलिखित कदम उठाना ज़रूरी होता है:
सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है – किसी योग्य चिकित्सक से संपर्क करना। डॉक्टर आवश्यक परीक्षणों (जैसे न्यूरोलॉजिकल जांच, एंडोस्कोपी, ब्लड टेस्ट आदि) के माध्यम से यह जानने की कोशिश करेंगे कि हिचकी के पीछे कोई गंभीर कारण (जैसे वेगस तंत्रिका में गड़बड़ी, गैस्ट्रिक रिफ्लक्स, संक्रमण या मस्तिष्क संबंधी समस्या) तो नहीं है।
ठंडा या सामान्य पानी धीरे-धीरे पीने से डायाफ्राम की ऐंठन को शांत करने में मदद मिल सकती है। इससे तंत्रिका प्रणाली को एक नई उत्तेजना मिलती है, जिससे हिचकी रुक सकती है।
गहरी सांस लेकर कुछ सेकंड के लिए सांस को रोकें। यह तकनीक कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को थोड़ा बढ़ा देती है, जिससे मस्तिष्क डायाफ्राम को स्थिर रहने का संकेत देता है।
कभी-कभी मानसिक तनाव या चिंता भी हिचकी का कारण बन सकती है। ध्यान (meditation), गहरी श्वास तकनीक (deep breathing) या शांत वातावरण में कुछ देर बैठना हिचकी को शांत कर सकता है।
यदि हिचकी के साथ निगलने में कठिनाई, वजन में अचानक कमी, लगातार उल्टी, बोलने या सांस लेने में कठिनाई हो तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
हालांकि हिचकी सामान्यत: अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ आसान आदतों को अपनाकर आप इसे होने से रोक सकते हैं। नीचे कुछ प्रभावी और सरल उपाय दिए गए हैं जो हिचकी से बचाव में मददगार हो सकते हैं:
तेज़ गति से या अत्यधिक भोजन करने से पेट में गैस बन सकती है, जिससे डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है और हिचकी हो सकती है। भोजन को अच्छी तरह चबाकर धीरे-धीरे खाने की आदत डालें।
गहरी सांस लेकर उसे कुछ सेकंड तक रोकना, डायाफ्राम की ऐंठन को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह तकनीक शरीर के ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम को स्थिर करती है और हिचकी को रोक सकती है।
तनाव, चिंता और घबराहट हिचकी के ट्रिगर बन सकते हैं। नियमित रूप से ध्यान, योग, या प्राणायाम करने से मानसिक शांति मिलती है और तंत्रिका तंत्र संतुलित रहता है, जिससे हिचकी आने की संभावना कम हो जाती है।
नोट: यदि आप बार-बार हिचकी से परेशान रहते हैं, तो यह केवल आदतों से जुड़ा नहीं बल्कि किसी अन्य छिपी स्वास्थ्य समस्या का संकेत भी हो सकता है। ऐसे में विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है।
हिचकी आमतौर पर कुछ समय में अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ सरल और घरेलू उपाय ऐसे हैं जिन्हें अपनाकर आप हिचकी को तुरंत रोक सकते हैं या उसकी आवृत्ति कम कर सकते हैं। नीचे ऐसे ही कुछ प्रभावी उपाय दिए गए हैं:
गहरी सांस लेकर उसे कुछ सेकंड तक रोकें। यह तकनीक शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ाती है, जिससे डायाफ्राम की मांसपेशियां स्थिर होती हैं और हिचकी रुक सकती है।
शहद में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और मांसपेशी-शांत करने वाले गुण होते हैं। एक चम्मच शहद को गर्म पानी में मिलाकर पीने या सीधा सेवन करने से गले की तंत्रिकाओं को राहत मिल सकती है।
घुटनों को छाती से लगाकर कुछ मिनट बैठने से डायाफ्राम पर हल्का दबाव पड़ता है, जो उसकी ऐंठन को नियंत्रित कर सकता है और हिचकी रुकने में मदद करता है।
पीनट बटर गाढ़ा होता है और इसे चबाने तथा निगलने की प्रक्रिया थोड़ी समय लेती है। यह वेगस नर्व (vagus nerve) को उत्तेजित कर सकता है और हिचकी को बंद कर सकता है।
ठंडक से नसों पर प्रभाव पड़ता है, विशेषकर वेगस तंत्रिका पर। गर्दन के पीछे आइस पैक रखने से हिचकी रुक सकती है।
आधा नींबू काटकर उस पर थोड़ा नमक छिड़ककर चूसने से गले की तंत्रिकाएं उत्तेजित होती हैं, जिससे हिचकी बंद हो सकती है।
आंवला पाचन को सुधारता है और मिश्री पेट को ठंडक देती है। दोनों का मिश्रण हिचकी को शांत करने में मददगार हो सकता है।
ये दोनों हर्ब्स पाचनतंत्र को दुरुस्त करने में सहायक हैं। चूर्ण रूप में इनका सेवन हिचकी की तीव्रता को कम कर सकता है।
कुटकी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो लीवर और पाचन प्रणाली को संतुलित करती है। इसे शहद के साथ लेने से हिचकी में लाभ हो सकता है।
हींग गैस और अपच के लिए पारंपरिक उपाय है। इसे मक्खन के साथ मिलाकर सेवन करने से पेट की गैस कम हो सकती है और डायाफ्राम पर दबाव घटता है, जिससे हिचकी रुक सकती है।
हिचकी एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है जो आमतौर पर कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक होती है। हालांकि, जब यह बार-बार या लंबे समय तक आती है तो यह परेशानी का कारण बन सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें गैस्ट्रिक समस्याएं, मानसिक तनाव या तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी शामिल हैं। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए आप ऊपर बताए गए घरेलू उपायों का पालन कर सकते हैं या डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
“हिचकी सामान्यतः एक सामान्य और अस्थायी प्रक्रिया होती है, लेकिन यदि यह लगातार बनी रहे तो यह शरीर में किसी छुपी हुई समस्या का संकेत हो सकती है। जब घरेलू उपचार प्रभावी न हों, तब त्वरित चिकित्सकीय जांच आवश्यक हो जाती है ताकि न्यूरोलॉजिकल या गैस्ट्रिक कारणों का सही समय पर पता लगाया जा सके।”
– Dr. Sachin Singh
हिचकी आमतौर पर किसी गंभीर बीमारी का संकेत नहीं देती लेकिन यदि यह बार-बार हो, तो यह किसी आंतरिक समस्या जैसे गैस, एसिड रिफ्लक्स या तंत्रिका तंत्र से संबंधित हो सकती है।
यदि हिचकी लगातार बनी रहती है, तो ठंडा पानी पिएं, गहरी सांस लें, सांस रोकें या गर्दन पर आइस पैक रखें। यदि यह उपाय काम न करें, तो डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है।
हिचकी रोकने के लिए शहद, आंवला, नींबू और नमक, पीनट बटर जैसे खाद्य पदार्थ फायदेमंद हो सकते हैं।
सामान्य हिचकी जानलेवा नहीं होती। लेकिन यदि यह 48 घंटे से अधिक समय तक बनी रहे या अन्य लक्षणों के साथ हो, तो यह किसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकती है और चिकित्सकीय जांच आवश्यक है।
बार-बार हिचकी आना गैस्ट्रिक समस्याएं (जैसे गैस, GERD), न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, या तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी से संबंधित हो सकता है।
जी हां, पेट में गैस बनने से हिचकी आ सकती है क्योंकि गैस डायाफ्राम पर दबाव डालती है।
वेगस नर्व को उत्तेजित करने के लिए ठंडा पानी पिएं, गहरी सांस लें, गर्दन पर आइस बैग रखें या नींबू चूसें। इससे हिचकी रुक सकती है।
पीनट बटर, शहद, नींबू-नमक का मिश्रण, सोंठ या हरड़ जैसे प्राकृतिक उपाय हिचकी रोकने में कारगर माने जाते हैं।
कुछ लोग ठोड़ी और गले के बीच मौजूद प्रेशर पॉइंट को हल्के दबाव से उत्तेजित कर हिचकी से राहत पाते हैं, हालांकि यह वैज्ञानिक रूप से सीमित प्रमाणित है।
अगर हिचकी 48 घंटे से अधिक समय तक बनी रहती है या बार-बार हो रही है, तो यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
अस्वीकरण
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और यह पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। कृपया कोई भी नया स्वास्थ्य अभ्यास शुरू करने से पहले किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें, खासकर यदि आप पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं या दवा ले रहे हैं।
संदर्भ सूची
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