Last updated on : 12 May, 2025
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टॉन्सिल गले की एक सामान्य समस्या है, जो बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकती है। यह गले में दर्द, सूजन, और निगलने में कठिनाई जैसे लक्षणों के साथ प्रकट होती है। टॉन्सिलाइटिस (tonsillitis) वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है, जिसका इलाज घरेलू उपायों और चिकित्सा दोनों से संभव है। इस लेख में हम टॉन्सिल क्या होता है, इसके लक्षण, कारण, और असरदार घरेलू उपचार (टॉन्सिल का घरेलू उपचार) पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हमारा लक्ष्य आपको सरल और उपयोगी जानकारी देना है ताकि आप इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपट सकें।
टॉन्सिल गले के पीछे, दोनों तरफ स्थित दो छोटी ग्रंथियाँ हैं, जो लिम्फ नोड्स का हिस्सा हैं। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली (immune system) का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और बैक्टीरिया व वायरस से बचाव में मदद करते हैं। टॉन्सिल हानिकारक रोगाणुओं को रोककर उन्हें शरीर में प्रवेश करने से पहले नष्ट करते हैं। हालांकि, जब ये स्वयं संक्रमित हो जाते हैं, तो टॉन्सिलाइटिस नामक स्थिति उत्पन्न होती है। यह स्थिति बच्चों में अधिक आम है, लेकिन वयस्क भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। टॉन्सिलाइटिस तीव्र (acute) या पुरानी (chronic) हो सकती है। आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों में इसके उपचार के लिए कई प्रभावी तरीके मौजूद हैं। टॉन्सिल की सूजन को कम करने और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए घरेलू उपाय विशेष रूप से उपयोगी हैं।
टॉन्सिल के लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं, जो संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। निम्नलिखित प्रमुख लक्षण हैं:
टॉन्सिलाइटिस का सबसे आम लक्षण गले में दर्द और सूजन है। यह दर्द निगलने या बोलने के दौरान बढ़ सकता है। टॉन्सिल पर लालिमा, सफेद धब्बे, या मवाद दिखाई दे सकता है। शोध में पाया गया कि 80% टॉन्सिलाइटिस रोगियों में गले में दर्द प्रमुख लक्षण होता है। यह बच्चों और किशोरों में अधिक परेशान करने वाला हो सकता है। गले की सूजन के कारण खाना या पानी निगलने में कठिनाई हो सकती है। इस स्थिति में गर्म पेय और गरारे राहत प्रदान करते हैं। यदि दर्द 3-4 दिन से अधिक समय तक रहे, तो चिकित्सक से सलाह लें।
टॉन्सिलाइटिस के दौरान शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जिससे बुखार और थकान महसूस होती है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के संक्रमण से लड़ने का परिणाम है। शोध में पाया गया कि 60% रोगियों में बुखार और कमजोरी टॉन्सिलाइटिस के लक्षण हैं। बुखार के साथ ठंड लगना, शरीर में दर्द, और सुस्ती भी हो सकती है। बच्चों में बुखार अधिक गंभीर हो सकता है। पर्याप्त आराम और हाइड्रेशन इस स्थिति में महत्वपूर्ण हैं। यदि बुखार 101°F से अधिक हो या 48 घंटे से अधिक रहे, तो चिकित्सक से संपर्क करें।
टॉन्सिलाइटिस से कान के पास दर्द और सूजन हो सकती है, क्योंकि गले और कान की नसें आपस में जुड़ी होती हैं। यह दर्द निगलने के दौरान बढ़ सकता है। शोध में पाया गया कि 30% टॉन्सिलाइटिस रोगियों में कान दर्द की शिकायत होती है। यह बच्चों में अधिक आम है और कभी-कभी सुनने में कठिनाई भी हो सकती है। गर्म सेंक और घरेलू उपाय इस दर्द को कम करने में मदद करते हैं। यदि कान दर्द गंभीर हो या बुखार के साथ हो, तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें।
अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
टॉन्सिल का इलाज करने से पहले इसके कारणों को समझना जरूरी है। टॉन्सिलाइटिस मुख्य रूप से दो प्रकार के संक्रमणों के कारण होता है:
वायरल संक्रमण टॉन्सिलाइटिस का सबसे आम कारण है। सर्दी, फ्लू, या मोनोन्यूक्लिओसिस जैसे वायरस टॉन्सिल को प्रभावित करते हैं। सामान्य वायरस में राइनोवायरस, इन्फ्लूएंजा वायरस, और एपस्टीन-बार वायरस शामिल हैं। शोध में पाया गया कि 70% टॉन्सिलाइटिस मामले वायरल संक्रमण के कारण होते हैं। ये बच्चों और वयस्कों दोनों में आम हैं और मौसम परिवर्तन के दौरान बढ़ सकते हैं। वायरल टॉन्सिलाइटिस आमतौर पर 5-7 दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। लक्षणों को कम करने के लिए घरेलू उपाय और पर्याप्त आराम उपयोगी हैं। यदि लक्षण 7 दिन से अधिक रहें, तो चिकित्सक से सलाह लें।
बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस का सबसे आम कारण स्ट्रेप्टोकोकस पायोजेन्स (Streptococcus pyogenes) बैक्टीरिया है, जिसे स्ट्रेप थ्रोट भी कहा जाता है। यह गंभीर हो सकता है और उचित इलाज की आवश्यकता होती है। शोध में पाया गया कि 20-30% टॉन्सिलाइटिस मामले बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होते हैं। यह बच्चों और किशोरों में अधिक आम है। बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस में टॉन्सिल पर सफेद धब्बे, उच्च बुखार, और गंभीर गले का दर्द होता है। एंटीबायोटिक्स इस स्थिति का प्रभावी इलाज हैं। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो यह गठिया या किडनी की समस्याएँ पैदा कर सकता है। चिकित्सक से सलाह लेना अनिवार्य है।
अन्य कारणों में शामिल हैं:
टॉन्सिल का घरेलू उपचार लक्षणों को कम करने और ठीक होने की प्रक्रिया को तेज करने में प्रभावी है। निम्नलिखित उपाय प्राकृतिक और सुरक्षित हैं:
नमक पानी से गरारा टॉन्सिलाइटिस के लिए सबसे पुराना और प्रभावी उपाय है। यह गले की सूजन, दर्द, और बैक्टीरिया को कम करता है। एक गिलास गुनगुने पानी में 1/2 चम्मच नमक मिलाएँ। इस मिश्रण से दिन में 3-4 बार गरारा करें। शोध में पाया गया कि नमक पानी से गरारा गले की सूजन को 30% तक कम करता है। यह बच्चों (6 वर्ष से अधिक) और वयस्कों दोनों के लिए सुरक्षित है। गरारे के बाद पानी न निगलें। नियमित उपयोग से 2-3 दिन में राहत मिल सकती है। पानी ज्यादा गर्म न हो, क्योंकि इससे जलन हो सकती है।
हल्दी और शहद का मिश्रण टॉन्सिलाइटिस के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। टॉन्सिल का घरेलू उपचार में हल्दी के एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण सूजन और दर्द को कम करते हैं, जबकि शहद गले को आराम देता है। 1 चम्मच शहद में 1/4 चम्मच हल्दी मिलाएँ और इसे दिन में 2 बार लें। शोध में पाया गया कि हल्दी गले के संक्रमण को 25% तक कम करती है। यह सभी आयु वर्ग के लिए उपयोगी है। 3-5 दिन तक उपयोग से गले का दर्द कम हो सकता है। बच्चों को कम मात्रा में दें और चिकित्सक से सलाह लें।
अदरक और तुलसी टॉन्सिलाइटिस के लक्षणों को कम करने में प्रभावी हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण और तुलसी में एंटी-वायरल गुण होते हैं। 1 कप पानी में 1 इंच अदरक और 5-6 तुलसी की पत्तियाँ उबालें। इस चाय को शहद के साथ दिन में 2 बार पिएँ। शोध में पाया गया कि अदरक और तुलसी गले की सूजन को 20% तक कम करते हैं। यह सर्दी, खांसी, और टॉन्सिलाइटिस के लिए उपयोगी है। 2-4 दिन तक नियमित उपयोग से राहत मिल सकती है। बच्चों को कम मात्रा में दें। ज्यादा गर्म चाय से बचें।
गर्म पेय और सूप टॉन्सिलाइटिस में राहत प्रदान करते हैं। गर्म पानी, हर्बल चाय, या चिकन सूप गले को आराम देते हैं और हाइड्रेशन बनाए रखते हैं। शोध में पाया गया कि गर्म पेय गले की जलन को 15% तक कम करते हैं। यह सभी आयु वर्ग के लिए सुरक्षित है। दिन में 3-4 कप गर्म पेय लें। सूप में लहसुन और काली मिर्च डालने से अतिरिक्त लाभ मिलता है। 2-3 दिन तक उपयोग से गले का दर्द कम हो सकता है। ज्यादा गर्म पेय से बचें, क्योंकि इससे जलन हो सकती है।
लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो टॉन्सिलाइटिस के लिए उपयोगी हैं। 1 कली लहसुन को चबाएँ या इसे शहद के साथ मिलाकर दिन में 1 बार लें। शोध में पाया गया कि लहसुन गले के संक्रमण को 20% तक कम करता है। यह वयस्कों और किशोरों के लिए उपयुक्त है। 3-5 दिन तक उपयोग से राहत मिल सकती है। बच्चों को लहसुन कम मात्रा में दें। ज्यादा लहसुन से पेट में जलन हो सकती है।
नींबू और शहद का मिश्रण गले की जलन और सूजन को कम करता है। नींबू में विटामिन C और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। 1 चम्मच नींबू का रस और 1 चम्मच शहद को गुनगुने पानी में मिलाएँ और दिन में 2 बार पिएँ। शोध में पाया गया कि नींबू और शहद गले की सूजन को 15% तक कम करते हैं। यह सभी आयु वर्ग के लिए सुरक्षित है। 2-4 दिन तक उपयोग से गले का दर्द कम हो सकता है। बच्चों को कम मात्रा में दें। ज्यादा नींबू से दाँतों को नुकसान हो सकता है।
टॉन्सिल का इलाज घरेलू उपायों के साथ-साथ चिकित्सा उपचारों पर भी निर्भर करता है। निम्नलिखित चिकित्सा विकल्प हैं:
बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस, विशेष रूप से स्ट्रेप थ्रोट, के लिए एंटीबायोटिक्स प्रभावी हैं। सामान्य एंटीबायोटिक्स में पेनिसिलिन और एमोक्सिसिलिन शामिल हैं। शोध में पाया गया कि एंटीबायोटिक्स 5-7 दिनों में बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस को ठीक करते हैं। चिकित्सक की सलाह पर 7-10 दिन का कोर्स पूरा करें। यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए उपयुक्त है। एंटीबायोटिक्स का पूरा कोर्स न लेने से संक्रमण वापस आ सकता है। दुष्प्रभाव जैसे दस्त या एलर्जी हो सकते हैं, इसलिए चिकित्सक से सलाह लें।
यदि टॉन्सिलाइटिस बार-बार (वर्ष में 5-7 बार) होता है या सांस लेने में कठिनाई पैदा करता है, तो टॉन्सिलेक्टॉमी (टॉन्सिल निकालने की सर्जरी) की आवश्यकता हो सकती है। शोध में पाया गया कि टॉन्सिलेक्टॉमी 90% मामलों में बार-बार होने वाले टॉन्सिलाइटिस को रोकता है। यह आमतौर पर बच्चों में की जाती है, लेकिन वयस्कों में भी हो सकती है। सर्जरी के बाद 7-10 दिन का रिकवरी समय लगता है। सर्जरी के जोखिम जैसे रक्तस्राव या संक्रमण हो सकते हैं। चिकित्सक से सलाह लेना अनिवार्य है।
गले के दर्द और बुखार को कम करने के लिए पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन जैसी दवाएँ दी जा सकती हैं। शोध में पाया गया कि दर्द निवारक दवाएँ लक्षणों को 50% तक कम करती हैं। चिकित्सक की सलाह पर दिन में 2-3 बार लें। यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए उपयुक्त है। ज्यादा दवाएँ लेने से पेट की समस्याएँ हो सकती हैं। हमेशा चिकित्सक के निर्देशों का पालन करें।
टॉन्सिलाइटिस को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएँ:
टॉन्सिल गले की ग्रंथियाँ हैं जो प्रतिरक्षा में मदद करती हैं, लेकिन संक्रमण से प्रभावित हो सकती हैं। टॉन्सिल के लक्षण जैसे गले में दर्द, बुखार, और कान दर्द परेशान कर सकते हैं। वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण इसके प्रमुख कारण हैं। टॉन्सिल का घरेलू उपचार जैसे नमक पानी से गरारा, हल्दी-शहद, और अदरक-तुलसी लक्षणों को कम करते हैं। गंभीर मामलों में एंटीबायोटिक्स या सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। स्वस्थ जीवनशैली और हाइजीन अपनाकर टॉन्सिलाइटिस से बचा जा सकता है। गंभीर लक्षणों के लिए चिकित्सक से सलाह लें।
गले में दर्द, सूजन, निगलने में कठिनाई, बुखार, और कान दर्द टॉन्सिल के प्रमुख लक्षण हैं। सांस की दुर्गंध भी हो सकती है। गंभीर लक्षणों के लिए चिकित्सक से सलाह लें।
नमक पानी से गरारा, हल्दी-शहद, और अदरक-तुलसी की चाय प्रभावी हैं। दिन में 2-3 बार उपयोग करें। नियमित उपयोग से 2-4 दिन में राहत मिल सकती है।
हल्के मामलों में घरेलू उपाय और दर्द निवारक दवाएँ उपयोगी हैं। बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस के लिए एंटीबायोटिक्स और गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
हां, बार-बार टॉन्सिलाइटिस होने पर टॉन्सिलेक्टॉमी की सलाह दी जाती है। यह 90% प्रभावी है। चिकित्सक से सलाह लेना अनिवार्य है।
हां, नमक पानी से गरारा गले की सूजन और दर्द को 30% तक कम करता है। दिन में 3-4 बार करें। गंभीर मामलों में चिकित्सक से सलाह लें।
टॉन्सिलाइटिस वायरल (70%) और बैक्टीरियल (20-30%) दोनों से हो सकता है। वायरल मामले अपने आप ठीक होते हैं, जबकि बैक्टीरियल के लिए एंटीबायोटिक्स चाहिए।
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