Last updated on : 11 Jul, 2025
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ब्लड प्रेशर (बीपी) शरीर की एक अहम शारीरिक प्रक्रिया है, जो हृदय और संचार प्रणाली के स्वास्थ्य को दर्शाती है। जब रक्तचाप सामान्य सीमा से नीचे चला जाता है, तो इसे निम्न रक्तचाप या लो बीपी कहा जाता है। आमतौर पर, सामान्य रक्तचाप का स्तर लगभग 120/80 mmHg माना जाता है। यदि यह स्तर 90/60 mmHg से नीचे पहुंच जाए, तो यह स्थिति Low BP की श्रेणी में आती है। हालांकि, कुछ लोगों में यह स्तर स्वाभाविक रूप से कम हो सकता है और यदि लक्षण मौजूद नहीं हैं, तो इसे चिकित्सकीय दृष्टि से असामान्य नहीं माना जाता।
निम्न रक्तचाप कई बार शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, विशेषकर तब जब इसके कारण थकान, चक्कर, धुंधली दृष्टि या बेहोशी जैसे लक्षण महसूस हों। इस लेख में हम निम्न रक्तचाप के सामान्य संकेतों, संभावित कारणों, चिकित्सीय प्रबंधन और कुछ घरेलू उपायों पर विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहे हैं ताकि आप इस स्थिति को बेहतर समझ सकें और इसका प्रभावी तरीके से सामना कर सकें।
निम्न रक्तचाप, जिसे लो ब्लड प्रेशर भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त प्रवाह का दबाव सामान्य स्तर से कम हो जाता है। रक्तचाप को दो मूल्यों में मापा जाता है — सिस्टोलिक दबाव (जब हृदय संकुचित होता है) और डायस्टोलिक दबाव (जब हृदय विश्राम की स्थिति में होता है)।
स्वस्थ वयस्कों के लिए सामान्य रक्तचाप का स्तर लगभग 120/80 mmHg माना जाता है। जब सिस्टोलिक दबाव 90 mmHg से कम और/या डायस्टोलिक दबाव 60 mmHg से कम हो जाए, और इसके साथ व्यक्ति को लक्षण जैसे चक्कर आना, थकान, या धुंधली दृष्टि हो, तो इसे क्लिनिकली महत्वपूर्ण हाइपोटेंशन (निम्न रक्तचाप) माना जा सकता है।
यह स्थिति कुछ लोगों में बिना किसी परेशानी के हो सकती है, लेकिन यदि लक्षण मौजूद हों, तो यह उपचार की आवश्यकता वाली चिकित्सा स्थिति बन सकती है।
निम्न रक्तचाप (हाइपोटेंशन) के संकेत व्यक्ति विशेष पर निर्भर कर सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण जो इस स्थिति में प्रकट हो सकते हैं, निम्नलिखित हैं:
जब शरीर में रक्त प्रवाह कम हो जाता है, विशेषकर मस्तिष्क तक, तो व्यक्ति को चक्कर आने या अस्थिरता महसूस हो सकती है। गंभीर मामलों में यह अस्थायी बेहोशी (syncope) का कारण भी बन सकता है। ऐसी स्थिति में बैठ जाना या लेटना सहायक हो सकता है।
निम्न रक्तचाप के कारण अंगों और मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता, जिससे व्यक्ति खुद को कमजोर और थका हुआ महसूस कर सकता है— हल्की शारीरिक गतिविधियों के बाद भी।
ब्लड प्रेशर के गिरने पर मस्तिष्क और आंखों में रक्त की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे अस्थायी रूप से देखने में धुंधलापन या दृश्य विकृति हो सकती है।
कुछ लोगों को हाइपोटेंशन के दौरान हृदय की धड़कन धीमी (ब्रैडीकार्डिया) या कभी-कभी तेज़ (टैकीकार्डिया) महसूस हो सकती है, जो हृदय और परिसंचरण प्रणाली पर प्रभाव डालता है।
रक्तचाप कम होने पर शरीर की परिधीय रक्त धमनियाँ संकुचित हो जाती हैं, जिससे हाथ-पैर ठंडे महसूस हो सकते हैं। इस दौरान पसीना आना भी एक आम प्रतिक्रिया है, विशेष रूप से अगर हाइपोटेंशन का कारण संक्रमण या स्ट्रेस हो।
रक्तचाप के सामान्य स्तर से नीचे गिरने की स्थिति कई आंतरिक और बाहरी कारणों से उत्पन्न हो सकती है। निम्नलिखित कारण अक्सर लौ ब्लड प्रेशर के पीछे पाए जाते हैं:
निम्न रक्तचाप की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ व्यवहारिक और पोषण संबंधी उपाय अपनाए जा सकते हैं। ये तरीके लक्षणों को कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं:
निम्न रक्तचाप की स्थिति को नियंत्रित करने और इसके लक्षणों से बचाव के लिए जीवनशैली में कुछ सरल परिवर्तन मददगार हो सकते हैं:
लो ब्लड प्रेशर की पहचान के लिए परीक्षण करना आवश्यक होता है। इसके लिए ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग डिवाइस (बीपी मापक यंत्र) का उपयोग किया जाता है, जो सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों रक्तचाप के मानों को मापता है। यदि मापा गया रक्तचाप 90/60 mmHg से कम होता है, तो इसे निम्न रक्तचाप माना जाता है।
स्वस्थ रक्तचाप का सामान्य मान लगभग 120/80 mmHg होता है। जब रक्तचाप 90/60 mmHg से नीचे गिर जाता है, तो इसे निम्न रक्तचाप (लो बीपी) कहा जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को चक्कर आना, थकावट और अन्य लक्षण महसूस हो सकते हैं। यदि रक्तचाप 70/40 mmHg से भी कम हो जाए, तो यह एक गंभीर स्थिति मानी जाती है, जिसमें तुरंत चिकित्सकीय देखरेख आवश्यक होती है।
निम्न रक्तचाप के लिए कुछ प्रभावी और प्राकृतिक घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं:
निम्न रक्तचाप को नियंत्रित करने में नियमित व्यायाम की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। नीचे कुछ प्रभावी व्यायाम और गतिविधियों के सुझाव दिए गए हैं:
इन उपायों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने से रक्तचाप को स्वाभाविक रूप से नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
लो ब्लड प्रेशर, जिसे चिकित्सकीय रूप से हाइपोटेंशन कहा जाता है, तब होता है जब शरीर के महत्वपूर्ण अंगों — जैसे मस्तिष्क, हृदय और किडनी — तक पर्याप्त खून नहीं पहुंच पाता। इससे व्यक्ति को चक्कर आना, थकावट, धुंधलापन या कभी-कभी बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह स्थिति अक्सर डिहाइड्रेशन, पोषक तत्वों की कमी, हार्मोनल असंतुलन या कार्डियक कार्यक्षमता में कमी के कारण देखी जाती है। उपचार में स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, संतुलित पोषण लेना, पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखना और आवश्यकता अनुसार चिकित्सा सलाह लेना शामिल होता है। यदि लक्षण बार-बार हों या सामान्य से अधिक गंभीर लगें, तो किसी योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है।
-Dr. Sachin Singh
लो ब्लड प्रेशर एक सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है, जिसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसे समझना और इसके संकेतों को पहचानना आवश्यक है ताकि समय रहते उचित कदम उठाए जा सकें। संतुलित पोषण, नियमित शारीरिक गतिविधि और मानसिक तनाव नियंत्रण से निम्न रक्तचाप को रोकने में मदद मिल सकती है। साथ ही, कुछ सुरक्षित घरेलू उपाय भी इस स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं। यदि लक्षण गंभीर या लगातार बने रहें, तो विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना और उचित उपचार कराना अत्यंत आवश्यक है।
नमक और पानी का मिश्रण पीने से रक्तचाप में अस्थायी बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे तुरंत राहत मिलती है। हालांकि, इसे बार-बार या लंबे समय तक उपयोग नहीं करना चाहिए।
विटामिन बी12 और फोलेट की कमी रक्तचाप को प्रभावित कर सकती है, इसलिए संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना आवश्यक है।
यदि रक्तचाप 70/40 mmHg से कम हो जाए, तो यह गंभीर स्थिति मानी जाती है और तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है।
कैफीनयुक्त पेय पदार्थों और अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड का सेवन सीमित करना चाहिए, क्योंकि ये रक्तचाप को और कम कर सकते हैं।
फल, हरी सब्जियां और संतुलित नमकीन भोजन रक्तचाप को संतुलित रखने में सहायक होते हैं।
50/30 mmHg से नीचे का रक्तचाप अत्यंत गंभीर माना जाता है, जिससे जीवन के लिए खतरा हो सकता है।
हाँ, लहसुन रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है और इसे आहार में शामिल करना लाभकारी होता है।
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त पानी पीना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर लो ब्लड प्रेशर को प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है।
हाँ, लो बीपी के कारण घबराहट और बेचैनी महसूस हो सकती है, इसलिए इस स्थिति में शांति बनाए रखना आवश्यक है।
मीठा खाने से ब्लड शुगर में अल्पकालिक वृद्धि हो सकती है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
हल्के स्ट्रेचिंग व्यायाम और योगासन रक्त प्रवाह सुधारने और लो बीपी के प्रबंधन में सहायक होते हैं।
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