Last updated on : 30 Apr, 2025
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पिगमेंटेशन, जिसे हिंदी में झाइयां भी कहा जाता है, त्वचा पर रंग में असामान्य बदलाव को दर्शाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शरीर में मेलानिन का असंतुलन हो जाता है, जिससे त्वचा के कुछ हिस्सों में काले, भूरे, या हल्के धब्बे दिखाई देते हैं। यह समस्या ज्यादातर त्वचा पर असमान रंगत के रूप में दिखाई देती है जो कि न केवल त्वचा की सुंदरता को प्रभावित करती है बल्कि व्यक्ति के आत्मविश्वास पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है। पिगमेंटेशन का इलाज समय ले सकता है, लेकिन सही उपायों और इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस ब्लॉग में हम पिगमेंटेशन क्या होता है, इसके लक्षण, कारण और इलाज के घरेलू उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
पिगमेंटेशन एक त्वचा की समस्या है जिसमें त्वचा के कुछ हिस्सों पर रंग में असामान्यता हो जाती है। यह असामान्यता मेलानिन के असंतुलन के कारण होती है जो त्वचा, बाल और आंखों को रंग प्रदान करने वाला प्राकृतिक रंगद्रव्य है। जब मेलानिन का उत्पादन अधिक या कम हो जाता है, तो त्वचा पर काले, भूरे, या पीले रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। यह समस्या त्वचा के विभिन्न हिस्सों में दिखाई देती है, जैसे चेहरे, गर्दन, हाथों और पीठ पर। यह सामान्यतः उम्र बढ़ने, सूरज की किरणों का अत्यधिक संपर्क, हार्मोनल असंतुलन और आनुवंशिक कारणों से उत्पन्न होती है।
पिगमेंटेशन के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
पिगमेंटेशन के कई कारण हो सकते हैं जो पर्यावरणीय, शारीरिक और जीवनशैली से संबंधित हैं। मेलेनिन के असंतुलित उत्पादन के पीछे निम्नलिखित कारक जिम्मेदार हो सकते हैं:
सूरज की किरणें पिगमेंटेशन का एक प्रमुख कारण हैं, खासकर जब त्वचा अत्यधिक समय तक धूप में रहती है। सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी (UV) किरणें त्वचा में मेलानिन के उत्पादन को बढ़ा देती हैं जिससे त्वचा पर काले, भूरे, या पीले रंग के धब्बे उभर सकते हैं। इन किरणों के संपर्क में आने से त्वचा की कोशिकाएं अधिक मेलानिन बनाने लगती हैं जिससे हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या उत्पन्न होती है। लंबे समय तक सूरज के संपर्क में रहने से न केवल पिगमेंटेशन बल्कि त्वचा का जल्दी बूढ़ा होना, झुर्रियां और कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। इसलिए सूरज की किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन का नियमित रूप से उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, धूप में बाहर जाते समय टोपी पहनना, धूप के चश्मे का उपयोग करना और छांव में रहना भी पिगमेंटेशन से बचने के प्रभावी उपाय हैं।
हार्मोनल परिवर्तन पिगमेंटेशन का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है विशेष रूप से महिलाओं में। गर्भावस्था, जन्म नियंत्रण गोलियों का सेवन और मेनोपॉज जैसी स्थितियों में हार्मोन के स्तर में बदलाव होते हैं जो त्वचा पर पिगमेंटेशन का कारण बन सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को “गर्भावस्था मास्क” (मेलास्मा) का सामना होता है जिसमें चेहरे पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। यह स्थिति आमतौर पर हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है और विशेष रूप से महिलाओं में होती है। इसके अलावा, हार्मोनल असंतुलन की वजह से त्वचा में अधिक मेलानिन का उत्पादन होता है जिससे काले धब्बे और झाइयां उत्पन्न होती हैं। यह समस्या केवल गर्भावस्था तक सीमित नहीं रहती बल्कि हार्मोनल उपचार या शारीरिक बदलावों के कारण भी हो सकती है। ऐसे मामलों में, सही चिकित्सा और त्वचा देखभाल से पिगमेंटेशन को नियंत्रित किया जा सकता है।
आनुवंशिक कारण पिगमेंटेशन के एक महत्वपूर्ण कारण के रूप में सामने आते हैं। यदि परिवार में किसी सदस्य को पिगमेंटेशन की समस्या है, तो यह संभावना अधिक होती है कि अगली पीढ़ी को भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। आनुवंशिक रूप से त्वचा में मेलानिन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है, जिससे कुछ हिस्सों में अधिक या कम पिगमेंटेशन हो सकता है। इस स्थिति को “लेंटिगिनेस” या “मेलास्मा” के रूप में जाना जाता है, जिसमें त्वचा पर काले धब्बे या झाइयां उत्पन्न होती हैं। यह समस्या विशेष रूप से चेहरे, गालों और माथे पर दिखाई देती है। आनुवंशिक कारणों से पिगमेंटेशन को पूरी तरह से ठीक करना कठिन हो सकता है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। नियमित त्वचा देखभाल, सनस्क्रीन का प्रयोग और चिकित्सक द्वारा सुझाए गए उपचारों से इस स्थिति को कम किया जा सकता है।
पिगमेंटेशन से बचाव संभव है अगर आप त्वचा की देखभाल और जीवनशैली में कुछ बदलाव करें। ये उपाय न केवल पिगमेंटेशन को रोकते हैं बल्कि त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखते हैं। कुछ प्रमुख उपाय निमलिखित हो सकते हैं:
सूरज की किरणों से बचाव पिगमेंटेशन को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। सूरज की पराबैंगनी (UV) किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं और पिगमेंटेशन को बढ़ाती हैं। इसलिए, सूरज के संपर्क से बचने के लिए सनस्क्रीन का नियमित रूप से उपयोग करना जरूरी है। SPF 30 या उससे अधिक का सनस्क्रीन हर 2 घंटे में दोबारा लगाना चाहिए खासकर जब आप बाहर जा रहे हों। इसके अलावा, सूरज में बाहर जाने से पहले सिर पर टोपी पहनना और धूप के चश्मे का उपयोग करना भी फायदेमंद होता है। सूरज के तीव्रतम प्रभाव से बचने के लिए सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक सीधे धूप में बाहर निकलने से बचें क्योंकि इस दौरान UV किरणें सबसे अधिक हानिकारक होती हैं। छांव में रहकर और सुरक्षात्मक कपड़े पहनकर आप अपनी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचा सकते हैं।
स्वस्थ आहार पिगमेंटेशन से बचने और त्वचा की सेहत को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आहार में विटामिन C, E, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। विटामिन C त्वचा को हल्का करने और सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने में सहायक होता है जबकि विटामिन E त्वचा को नमी प्रदान करता है और उसे सूखने से बचाता है। इसके अलावा, ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे मछली, अलसी के बीज और अखरोट त्वचा को पोषण देते हैं। पानी का भरपूर सेवन भी त्वचा को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है जिससे पिगमेंटेशन की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। एक संतुलित आहार से त्वचा की रंगत में सुधार हो सकता है और पिगमेंटेशन के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
त्वचा की सही देखभाल पिगमेंटेशन से बचने और त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। सबसे पहले त्वचा को नियमित रूप से साफ करना चाहिए ताकि गंदगी, धूल और तेल से बचाव हो सके। इसके लिए माइल्ड क्लींजर का उपयोग करना बेहतर होता है जो त्वचा को सूखा किए बिना साफ करता है। उसके बाद, त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें जिससे त्वचा नमी से भरी और मुलायम बनी रहती है। त्वचा की देखभाल में सनस्क्रीन का उपयोग भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसे हर दिन, चाहे मौसम जैसा भी हो जरूर लगाना चाहिए ताकि त्वचा सूरज की हानिकारक UV किरणों से बची रहे। इसके अलावा, सप्ताह में एक या दो बार स्क्रब का इस्तेमाल करके मृत कोशिकाओं को हटाना चाहिए, ताकि त्वचा ताजगी से भरी रहे। सही देखभाल से त्वचा की रंगत और स्वस्थता को बनाए रखा जा सकता है।
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पिगमेंटेशन का इलाज विभिन्न उपायों से किया जा सकता है, जो कि घरेलू एवं चिकित्सकीय दोनों हो सकते हैं और ये समस्या की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। सबसे सामान्य इलाज में टॉपिकल क्रीम्स का उपयोग किया जाता है, जिनमें हाइड्रोक्विनोन, विटामिन C, और अन्य त्वचा हल्की करने वाले तत्व होते हैं। ये क्रीम्स त्वचा के मेलानिन के उत्पादन को नियंत्रित करती हैं और धब्बों को हल्का करती हैं। इसके अलावा, लेज़र उपचार भी पिगमेंटेशन को कम करने में मददगार है। लेज़र तकनीक त्वचा की गहरी परतों में काम करती है और पिगमेंटेशन वाले हिस्सों को सुधारने में प्रभावी होती है। केमिकल पील्स भी पिगमेंटेशन के इलाज में सहायक होते हैं, क्योंकि ये त्वचा की ऊपरी परत को हटाकर नई और ताजगी से भरी त्वचा को सामने लाते हैं। इन उपचारों के साथ नियमित त्वचा देखभाल और सनस्क्रीन का उपयोग भी पिगमेंटेशन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो कि नीचे विस्तारपूर्वक बताए गए हैं:
पिगमेंटेशन का इलाज करने के लिए टॉपिकल क्रीम्स एक प्रभावी उपाय हो सकती हैं। इन क्रीम्स में आमतौर पर हाइड्रोक्विनोन, विटामिन C और एंटीक्लॉकिंग एजेंट्स होते हैं, जो त्वचा के धब्बों को हल्का करने में मदद करते हैं। हाइड्रोक्विनोन एक प्रभावी ब्लीचिंग एजेंट है जो त्वचा के मेलानिन उत्पादन को कम करता है और पिगमेंटेशन को नियंत्रित करता है। विटामिन C त्वचा की रंगत को समान बनाने में मदद करता है और सूरज की हानिकारक किरणों से सुरक्षा प्रदान करता है। इन क्रीम्स का उपयोग नियमित रूप से किया जाना चाहिए लेकिन इसे डॉक्टर के परामर्श के बिना नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इनका अधिक उपयोग त्वचा को नुकसान भी पहुंचा सकता है। टॉपिकल क्रीम्स के साथ सनस्क्रीन का उपयोग भी बेहद जरूरी है क्योंकि सूरज की किरणें पिगमेंटेशन को और बढ़ा सकती हैं। सही तरीके से इन क्रीम्स का उपयोग त्वचा को हल्का और स्वस्थ बना सकता है।
लेज़र उपचार पिगमेंटेशन के इलाज का एक प्रभावी और तेजी से परिणाम देने वाला तरीका है। यह उपचार त्वचा की गहरी परतों तक पहुंचकर मेलानिन के उत्पादन को नियंत्रित करता है जिससे पिगमेंटेशन वाले धब्बे कम हो जाते हैं। लेज़र द्वारा उत्पन्न उच्च-ऊर्जा प्रकाश त्वचा में प्रवेश करता है और पिगमेंटेड कोशिकाओं को लक्ष्य बनाकर उन्हें नष्ट करता है जिसके परिणामस्वरूप त्वचा पर धब्बे हल्के हो जाते हैं। इस प्रक्रिया के बाद त्वचा ताजगी से भर जाती है और रंगत समान हो जाती है। लेज़र उपचार में विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे कि फ्रैक्शनल CO2 लेज़र और पल्प लेज़र जो त्वचा के प्रकार और पिगमेंटेशन की गंभीरता पर निर्भर करता है। हालांकि, यह उपचार पेशेवर विशेषज्ञ द्वारा किया जाना चाहिए और कई सत्रों में इसे किया जा सकता है। लेज़र उपचार के बाद सूरज से बचाव और सही देखभाल आवश्यक होती है।
केमिकल पील्स पिगमेंटेशन को ठीक करने के लिए एक प्रभावी उपचार हैं जो त्वचा की ऊपरी परत को हटाकर नई और ताजगी से भरी त्वचा को सामने लाते हैं। इस उपचार में विशेष प्रकार के एसिड्स जैसे कि ग्लाइकोलिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड और लैक्टिक एसिड का उपयोग किया जाता है जो त्वचा की मृत कोशिकाओं को निकालने और पिगमेंटेड धब्बों को हल्का करने में मदद करते हैं। केमिकल पील्स त्वचा के विभिन्न प्रकारों और पिगमेंटेशन की गंभीरता के अनुसार चुने जाते हैं। यह उपचार त्वचा को पुनर्निर्मित करता है जिससे त्वचा की रंगत में सुधार होता है और टैनिंग, झाइयां और सनस्पॉट्स कम होते हैं। हालांकि, केमिकल पील्स के बाद त्वचा संवेदनशील हो जाती है इसलिए सूरज की किरणों से बचाव और सही देखभाल आवश्यक होती है। इस उपचार को एक प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा किया जाना चाहिए ताकि त्वचा पर कोई दुष्प्रभाव न हो।
पिगमेंटेशन को कम करने के लिए कई प्रभावी घरेलू उपचार उपलब्ध हैं जो प्राकृतिक रूप से त्वचा की देखभाल करते हैं। इन उपचारों का नियमित उपयोग पिगमेंटेशन के धब्बों को हल्का करने और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकता है। एक लोकप्रिय घरेलू उपाय नींबू का रस है जो प्राकृतिक ब्लीचिंग एजेंट के रूप में काम करता है। इसमें उच्च मात्रा में विटामिन C होता है जो त्वचा को हल्का करने और काले धब्बों को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, आलू का रस भी त्वचा की रंगत को समान बनाने और धब्बों को हल्का करने में प्रभावी होता है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को पोषण देते हैं।
हल्दी और दूध का मिश्रण भी पिगमेंटेशन को कम करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हल्दी में क्यूर्क्यूमिन होता है जो सूजन को कम करता है और त्वचा को निखारने में मदद करता है जबकि दूध का लैक्टिक एसिड त्वचा को हल्का करता है। इसके अलावा, शहद और दारचीनी का मिश्रण भी पिगमेंटेशन के इलाज में सहायक होता है क्योंकि शहद त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और दारचीनी के एंटीऑक्सीडेंट्स गुण त्वचा की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करते हैं। इन घरेलू उपायों को नियमित रूप से करने से पिगमेंटेशन कम हो सकता है लेकिन यदि किसी को त्वचा पर जलन या एलर्जी हो, तो इनका उपयोग बंद कर देना चाहिए। घरेलू उपचार एक सुरक्षित और प्राकृतिक तरीका है, लेकिन बेहतर परिणामों के लिए पेशेवर की सलाह लेना आवश्यक है।
पिगमेंटेशन को रोकने के लिए कुछ अतिरिक्त उपाय भी कारगर हैं। ये उपाय त्वचा के साथ-साथ समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं:
पिगमेंटेशन त्वचा की एक सामान्य समस्या है, जिसका कारण सूरज की किरणों, हार्मोनल असंतुलन, और आनुवंशिक कारण हो सकते हैं। हालांकि, पिगमेंटेशन से बचने के लिए हम कई उपायों को अपनाकर इसे नियंत्रित कर सकते हैं। सूर्य से बचाव, स्वस्थ आहार, और त्वचा की देखभाल से हम इसे रोक सकते हैं। यदि पिगमेंटेशन हो जाए, तो टॉपिकल क्रीम्स, लेज़र उपचार और केमिकल पील्स जैसे उपचार इसके इलाज में मदद कर सकते हैं। घरेलू उपायों से भी पिगमेंटेशन को कम किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए नियमितता और संयम की आवश्यकता होती है।
पिगमेंटेशन के लक्षण में त्वचा पर काले, भूरे या पीले रंग के धब्बे, झाइयां, और त्वचा का असामान्य रंग शामिल हो सकते हैं।
पिगमेंटेशन का इलाज टॉपिकल क्रीम्स, लेज़र उपचार और केमिकल पील्स से किया जा सकता है। इसके अलावा, घरेलू उपचार जैसे नींबू का रस और आलू का रस भी प्रभावी हो सकते हैं।
हां, पिगमेंटेशन के लिए घरेलू उपाय प्रभावी हो सकते हैं। नींबू का रस और आलू का रस जैसी चीजें त्वचा को हल्का करने में मदद करती हैं।
पिगमेंटेशन को नियंत्रित करने के लिए हाइड्रोक्विनोन, विटामिन C, और सनस्क्रीन सबसे प्रभावी उत्पाद होते हैं।
नहीं, पिगमेंटेशन सूरज की किरणों के अलावा हार्मोनल बदलाव (जैसे गर्भावस्था), आनुवंशिकता या त्वचा की चोट से भी हो सकता है। कुछ दवाएं और रसायन भी इसे ट्रिगर कर सकते हैं। सूरज से बचाव इसे कम करने में मदद करता है।
पिगमेंटेशन को ठीक करने में समय लग सकता है और यह उपचार के प्रकार और त्वचा की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में परिणाम जल्दी मिल सकते हैं जबकि अन्य में महीनों लग सकते हैं।
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