Last updated on : 07 Nov, 2025
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इसबगोल (Isabgol), जिसे साइलियम हस्क (Psyllium Husk) भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक फाइबर है जो प्लांटैगो ओवाटा (Plantago Ovata) पौधे के बीजों से प्राप्त होता है। इसका उपयोग भारत और अन्य एशियाई देशों में लंबे समय से किया जा रहा है, और आयुर्वेद में इसे पाचन संबंधी समस्याओं के प्रबंधन के लिए पारंपरिक रूप से अपनाया जाता रहा है।
इसबगोल मुख्य रूप से घुलनशील फाइबर से भरपूर होता है, जो आंतों की गति को संतुलित करने और कब्ज जैसी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है [1]। यह पौधा भारत, ईरान और अन्य देशों में उगाया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि “इसबगोल” शब्द फारसी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है “घोड़े का कान”, क्योंकि इसके पत्तों का आकार कुछ हद तक इस आकृति से मिलता-जुलता है।
इस ब्लॉग में हम इसबगोल की भूसी के वैज्ञानिक रूप से समर्थित फायदे, उपयोग, संभावित दुष्प्रभाव, सेवन के तरीके और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
इसबगोल में मौजूद पोषक तत्व इसे एक स्वास्थ्यवर्धक फाइबर स्रोत बनाते हैं। इसमें घुलनशील और अघुलनशील फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो पाचन तंत्र को संतुलित करने और आंतों की सेहत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा इसमें कुछ मात्रा में प्रोटीन, मिनरल्स और आवश्यक कार्बोहाइड्रेट भी पाए जाते हैं।
नीचे दी गई तालिका में इसबगोल (Psyllium Husk) के प्रमुख पोषक तत्वों की जानकारी दी गई है (100 ग्राम इसबगोल में अनुमानित मान):
|
पोषक तत्व |
मात्रा (प्रति 100 ग्राम) |
फायदा |
| फाइबर | 70-80 ग्राम | पाचन क्रिया को संतुलित करने, कब्ज से राहत देने और मल त्याग को आसान बनाने में सहायक हो सकता है [2] |
| प्रोटीन | 0.5-1 ग्राम | मानव आहार में प्रोटीन का एक नगण्य स्रोत |
| कार्बोहाइड्रेट | 10-15 ग्राम | ऊर्जा प्रदान करने और मेटाबॉलिज़्म को सपोर्ट करने में मददगार |
| कैलोरी | 20-30 किलो कैलोरी | कम कैलोरी युक्त होने के कारण यह एक संतुलित आहार का हिस्सा बन सकता है |
| वसा | नगण्य | बहुत कम वसा होने के कारण लो-फैट डाइट में भी शामिल किया जा सकता है |
इसबगोल के कई फायदे हैं जो इसे एक प्रभावी प्राकृतिक पूरक बनाते हैं।
इसबगोल का सबसे प्रमुख लाभ पाचन तंत्र से जुड़ा है। इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर पानी को अवशोषित करके एक जेल जैसा पदार्थ बनाता है, जो मल को मुलायम करने और मल के आयतन (bulk) को बढ़ाने में मदद करता है [1]। यह आंतों की गतिशीलता को संतुलित करता है, जिससे कब्ज जैसी समस्या से प्रभावी ढंग से राहत मिल सकती है [3]। कब्ज से राहत का यह कार्य, ‘पाचन में सुधार’ का सबसे विशिष्ट रूप है, इसलिए इन्हें एक ही बिंदु में संयोजित किया जा सकता है ताकि ‘दोहराव’ से बचा जा सके।
इसबगोल की भूसी का सेवन भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह पेट में पानी को अवशोषित करके उसे भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे अधिक खाने की आदत (overeating) की संभावना कम होती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि यह तृप्ति (satiety) की भावना को बढ़ाकर और वसा के अवशोषण को कम करके धीरे-धीरे वजन नियंत्रण में सहायक हो सकता है, लेकिन इसे वजन घटाने का प्राथमिक समाधान नहीं माना जाना चाहिए [4]।
इसबगोल का सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। यह आंतों में बाइल एसिड को बांधता है, जिससे शरीर उन्हें उत्सर्जित करता है। इन बाइल एसिड को बदलने के लिए यकृत (liver) रक्तप्रवाह से खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) का उपयोग करता है, जिससे LDL स्तर में कमी आती है [5]। इस प्रकार, हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।
डायबिटीज के रोगियों के लिए इसबगोल एक बहुत ही फायदेमंद प्राकृतिक उपाय हो सकता है। इसके घुलनशील फाइबर आंतों में भोजन के अवशोषण को धीमा कर देते हैं, जिससे भोजन के बाद रक्त शर्करा (blood sugar) के स्तर में अचानक वृद्धि कम हो जाती है [6]। इसबगोल संतुलित आहार का हिस्सा बनने पर और चिकित्सकीय परामर्श के तहत उपयोग किए जाने पर स्वस्थ रक्त शर्करा स्तर और इंसुलिन संवेदनशीलता को बनाए रखने में सहायक हो सकता है। यह लाभ टाइप 2 डायबिटीज वाले व्यक्तियों में विशेष रूप से देखा गया है, जहाँ यह फास्टिंग ब्लड शुगर (FBS) और HbA1c जैसे मानकों के प्रबंधन में भूमिका निभा सकता है [6]।
हर चीज का सही मात्रा में उपयोग ही लाभकारी होता है, और यही बात इसबगोल पर भी लागू होती है। सामान्य रूप से इसे सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में इसके सेवन से दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इन संभावित जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि उपयोग संतुलित रहे।
कुछ लोगों में इसबगोल की भूसी के सेवन से पेट में गैस, सूजन या हल्का दर्द हो सकता है। यदि इसे अचानक अधिक मात्रा में शुरू किया जाए या पर्याप्त पानी के साथ नहीं लिया गया तो आंतों में अवरोध (intestinal blockage / चोकिंग) की समस्या हो सकती है [1]। इसलिए इसबगोल का सेवन हमेशा पूरी तरह से घुलने के बाद और पर्याप्त पानी के साथ करना चाहिए।
इसबगोल कुछ दवाओं के अवशोषण (absorption) को प्रभावित कर सकता है। यह पेट में एक जेल बनाकर दवा के संपर्क क्षेत्र को कम कर सकता है। यदि आप किसी अन्य दवा (जैसे- कुछ एंटीडिप्रेसेंट, डायबिटीज या हृदय रोग की दवाएं) का सेवन कर रहे हैं तो इसबगोल का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना उचित है और दवा लेने से 1-2 घंटे पहले या बाद में इसबगोल का सेवन करना चाहिए [7]।
कुछ लोगों को इसबगोल से एलर्जी हो सकती है, हालांकि यह दुर्लभ है [1]। इसके लक्षणों में खुजली, त्वचा पर रैशेज़, छींक आना, या सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकते हैं। जिन लोगों को पहले से एलर्जी की समस्या है, उन्हें इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकता है। सिद्धांत रूप में, इससे शरीर में पानी की कमी, डिहाइड्रेशन या इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं, विशेषकर यदि जल का सेवन अपर्याप्त हो।
आमतौर पर वयस्कों के लिए 5–10 ग्राम इसबगोल पाउडर (लगभग 1–2 चम्मच) को एक गिलास (कम से कम 240 मिलीलीटर) पानी में मिलाकर लिया जा सकता है। इसे पर्याप्त पानी के साथ लेना ज़रूरी है, ताकि आंतों में अवरोध की समस्या न हो। कुछ लोग इसे सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले लेते हैं, जिससे कब्ज जैसी समस्याओं के प्रबंधन में मदद मिल सकती है।
इसबगोल कई रूपों में उपलब्ध है:
इसबगोल की भूसी का सेवन करते समय कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए:
Expert Quote
“इसबगोल एक प्राकृतिक फाइबर स्रोत है जो पाचन तंत्र को सुधारने, वजन नियंत्रण और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है। इसके कई फायदे हैं लेकिन इसके सेवन में सावधानी बरतना भी आवश्यक है। इसका सही उपयोग आपके स्वास्थ्य को कई तरीकों से लाभ पहुंचा सकता है। यह किसी भी स्वास्थ्य समस्या का एकमात्र इलाज नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार का पूरक है। इस ब्लॉग में हमने इसबगोल की भूसी के फायदों, उपयोग, दुष्प्रभावों, सेवन के तरीकों और सावधानियों के बारे में चर्चा की है। यदि आप इस अद्भुत फाइबर का सेवन करने की सोच रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि आप इसे सही तरीके से इस्तेमाल करें और अपने डॉक्टर के परामर्श के अनुसार अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इसका अधिकतम लाभ उठाएँ। स्वस्थ जीवन के लिए इसबगोल की भूसी का सही उपयोग और इसके लाभों को समझना महत्वपूर्ण है। अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और इसबगोल को अपने दैनिक आहार में शामिल करें।”
-Dr. Kavya Rejikumar
आमतौर पर 1–2 चम्मच इसबगोल को गुनगुने पानी या दूध में मिलाकर रात को सोने से पहले लिया जा सकता है। इसे पूरी तरह से घोलना और पर्याप्त पानी पीना ज़रूरी है, ताकि यह आंतों में आसानी से काम कर सके। नियमित उपयोग से यह कब्ज जैसी समस्या को कम करने और आंतों की सफाई में सहायक हो सकता है।
कब्ज की समस्या होने पर कई लोग रात को सोने से पहले इसबगोल लेना पसंद करते हैं। इसे पर्याप्त पानी के साथ लेने पर यह पाचन तंत्र को संतुलित करने और सुबह मल त्याग को आसान बनाने में सहायक हो सकता है। हालांकि, समय व्यक्ति की सुविधा और चिकित्सक की सलाह के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।
इसबगोल की भूसी में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पाचन तंत्र को संतुलित रखने में सहायक हो सकता है। यह कब्ज और दस्त (डायरिया) जैसी स्थितियों को प्रबंधित करने, वजन नियंत्रण में मदद करने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में लाभकारी हो सकता [5]।
हां, पारंपरिक रूप से इसकी तासीर ठंडी मानी जाती है, जो जठरांत्र संबंधी मार्ग में गर्मी और पेट की जलन को शांत करने में सहायक हो सकता है। वैज्ञानिक रूप से, यह एक निष्क्रिय फाइबर है।
हां, यदि इसकी आवश्यकता हो तो इसे रोज लिया जा सकता है, लेकिन इसे हमेशा संतुलित मात्रा में, पर्याप्त पानी के साथ और एक योग्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता (physician or dietitian) की सलाह से ही लेना चाहिए।
आमतौर पर 5–10 ग्राम (लगभग 1–2 चम्मच) इसबगोल दिन में 1–2 बार लिया जा सकता है। इसे हमेशा पर्याप्त पानी के साथ लेना चाहिए। सही मात्रा व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और चिकित्सक की सलाह के अनुसार बदल सकती है।
इसबगोल में मौजूद घुलनशील फाइबर मल को मुलायम बनाने और आंतों की गति को संतुलित करने में सहायक हो सकता है। नियमित रूप से पर्याप्त पानी के साथ लेने पर यह कब्ज जैसी समस्याओं को कम करने और आंतों को स्वस्थ मल त्याग के माध्यम से बनाए रखने में मदद कर सकता है।
नहीं, यदि सही खुराक में और पर्याप्त पानी के साथ लिया जाए तो यह हानिकारक नहीं है, बल्कि पाचन के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, अधिक मात्रा या बिना पानी के लेने से पाचन संबंधी असुविधा या नुकसान हो सकता है। लंबे समय तक उपयोग के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
[1] Halimi, V., & Mbemba, E. (2024). Psyllium Supplementation for Metabolic Syndrome and Weight Management: A Systematic Review and Meta-Analysis. Nutrients, 16(6), 1056. https://doi.org/10.3390/nu16061056
[2] Farzaneh, M. R., Shekarforoush, S. S., & Ardestani, S. K. (2024). Effects of Plantago ovata husk on gut microbiota modulation and metabolic outcomes: Insights from recent clinical trials. Clinical Nutrition ESPEN, 58, 94–102. https://doi.org/10.1016/j.clnesp.2023.10.013
[3] Elshikh, M., Elkarim, H. A. A., Alsamani, M. A., Abdelwahab, M. A., & Osman, M. E. (2023). Therapeutic effects of psyllium (Plantago ovata Forssk) husk: A systematic review. Journal of Family Medicine and Primary Care, 12(8), 1632–1641. https://doi.org/10.4103/jfmpc.jfmpc_301_23
[4] Halimi, V., & Mbemba, E. (2024). Psyllium Supplementation for Metabolic Syndrome and Weight Management: A Systematic Review and Meta-Analysis. Nutrients, 16(6), 1056. https://doi.org/10.3390/nu16061056
[5] Patel, M. A., & Patel, N. M. (2008). Isabgol Husk: A Herbal Remedy for Human Health. International Journal of Nursing Education and Research, 12(2), 63–66. (Original source: Khan, N., & Fatima, N. (2024). A study to assess the effectiveness of Isabgol on constipation among elderly people in selected old age homes. International Journal of Nursing Education and Research, 12(2), 63–66. https://ijneronline.com/HTMLPaper.aspx?Journal=International%20Journal%20of%20Nursing%20Education%20and%20Research;PID=2024-12-2-15
[6] Elshikh, M., Elkarim, H. A. A., Alsamani, M. A., Abdelwahab, M. A., & Osman, M. E. (2023). Therapeutic effects of psyllium (Plantago ovata Forssk) husk: A systematic review. Journal of Family Medicine and Primary Care, 12(8), 1632–1641. https://doi.org/10.4103/jfmpc.jfmpc_301_23
[7] MedlinePlus. (2024, May 15). Psyllium. National Library of Medicine. Retrieved from https://medlineplus.gov/druginfo/meds/a601131.html
[8] U.S. Food and Drug Administration (FDA). (2018, February 27). Pregnancy and Lactation Labeling (Drugs). Retrieved from https://www.fda.gov/drugs/drug-safety-and-availability/pregnancy-and-lactation-labeling-drugs-content-and-format
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