Last updated on : 19 Nov, 2025
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पेट दर्द एक आम समस्या है, जो गैस, कब्ज, अपच या वायरल/बैक्टीरियल संक्रमण जैसी स्थितियों के कारण हो सकता है [1]। यह हल्का भी हो सकता है और कभी-कभी इतना तेज़ भी कि दैनिक जीवन प्रभावित हो जाए। कई लोग तुरंत राहत के लिए पारंपरिक घरेलू उपाय अपनाते हैं।
इस लेख में हम पेट दर्द से राहत दिलाने वाले कुछ सुरक्षित और पारंपरिक घरेलू उपाय जानेंगे, साथ ही यह भी समझेंगे कि कब डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
पेट दर्द के लिए कई प्रभावी घरेलू उपाय होते हैं जिन्हें अपनाकर आप राहत पा सकते हैं। इन उपायों का पालन करके आप अस्थायी और हल्के पेट दर्द से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं:
ध्यान रखें: ये उपाय केवल हल्के और क्षणिक पेट दर्द में मदद कर सकते हैं। यदि दर्द लगातार 24-48 घंटों से अधिक बना रहता है, बिगड़ जाता है, या गंभीर है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
हींग का उपयोग पारंपरिक रूप से पेट संबंधी समस्याओं में किया जाता रहा है। इसमें पाए जाने वाले यौगिक जैसे फेरुलिक एसिड एंटीस्पास्मोडिक (Antispasmodic) प्रभाव दे सकते हैं, जो आंतों की ऐंठन और गैस को कम करने में मदद कर सकते हैं [2]। पारंपरिक रूप से, गुनगुने पानी में एक चुटकी हींग मिलाकर लेने से अपच और हल्के पेट दर्द में आराम मिल सकता है।
पेट दर्द, गैस, मरोड़ और अपच जैसी समस्याओं के लिए जायफल का उपयोग पारंपरिक रूप से किया जाता है। जायफल में मौजूद सक्रिय घटक, जैसे कि मायरीस्टिसिन (myristicin) और एलिमीसिन (elemicin), पाचन तंत्र को सहारा दे सकते हैं। नींबू में सिट्रिक एसिड होता है जो पाचन में सहायक है। इनका मिश्रण पारंपरिक रूप से पाचन अग्नि को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है।
काला नमक पेट दर्द और गैस के लिए एक पारंपरिक घरेलू उपाय है। यह मुख्यतः सोडियम क्लोराइड और आयरन सल्फाइड से बना होता है, जो इसे इसका विशिष्ट स्वाद और पाचन-सहायक गुण देता है। इसे पानी में मिलाकर पीने से पाचन तंत्र को सहारा मिल सकता है और गैस व सूजन से राहत मिल सकती है, जैसा कि पारंपरिक रूप से माना जाता है। हालांकि, अत्यधिक काला नमक का सेवन उच्च सोडियम स्तर को बढ़ा सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए, खासकर उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को।
अजवाइन पेट दर्द और गैस के लिए एक पारंपरिक उपाय है। इसे चबाकर या पानी में मिलाकर पीने से पाचन तंत्र को आराम मिल सकता है और पेट दर्द में राहत मिल सकती है। अजवाइन में थाइमोल (thymol) जैसे सक्रिय तत्व पाए जाते हैं, जिनमें एंटीस्पास्मोडिक (Antispasmodic), कार्मिनेटिव (Carminative) और पाचक गुण होते हैं, जो पाचन समस्याओं के प्रबंधन में सहायक हो सकते हैं [3]। हालांकि, इसे अत्यधिक सेवन करने से कुछ व्यक्तियों में गैस्ट्रिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए सीमित मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए।
हरड़ का सेवन पेट दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। यह पारंपरिक रूप से पाचन क्रिया के समर्थन में उपयोग की जाती रही है [4]। हरड़ में मौजूद घटक जैसे टैनिन्स (विशेषतः चीब्यूलिक एसिड), गैलिक एसिड, और फ्लावोनॉइड्स पाचन स्वास्थ्य को समर्थन देने में सहायक हो सकते हैं। इन यौगिकों में माइल्ड लैक्सेटिव, एंटीस्पास्मोडिक और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पारंपरिक रूप से पेट दर्द, अपच और गैस जैसी स्थितियों के प्रबंधन में उपयोग किए जाते हैं [5]।
पुदीना पेट दर्द को शांत करने में मदद कर सकता है। इसकी चाय पीने से पेट में आराम मिल सकता है। पुदीना का प्रमुख घटक पेपरमिंट ऑयल पाचन तंत्र की मांसपेशियों को शिथिल करने में सहायक हो सकता है, जिससे पेट दर्द, गैस और फुलाव जैसे लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है [6]। हालांकि, कुछ व्यक्तियों में पेपरमिंट अम्लता या एसिड रिफ्लक्स की स्थिति को बढ़ा सकता है, इसलिए सावधानी से उपयोग करें।
सूखी अदरक का पाउडर पेट के दर्द को कम करने के लिए उपयोगी माना जाता है। यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और गैस की समस्या को दूर करता है। सूखी अदरक में मौजूद सक्रिय घटक जैसे जिंजेरोल (Gingerols), और शोगोल (Shogaols) पाचन तंत्र की गतिविधियों को संतुलित करने में सहायक हो सकते हैं। इन यौगिकों में एंटीस्पास्मोडिक, कार्मिनेटिव और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो पेट दर्द, ऐंठन और गैस जैसी समस्याओं में सहायक हो सकते हैं [7]।
लहसुन का रस आयुर्वेद में पेट में गैस और अपच जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक हो सकता है। लहसुन में पाया जाने वाला एलिसिन (Allicin) पारंपरिक रूप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्वास्थ्य में लाभकारी माना जाता है। इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक मात्रा में लहसुन का सेवन गैस्ट्रिक परेशानियां उत्पन्न कर सकता है।
नींबू का रस पेट दर्द और अम्लता के लिए एक पारंपरिक उपाय है। हल्के गर्म पानी में नींबू का रस पीने से पेट के अम्लता को संतुलित करने में सहायक हो सकता है और दर्द में राहत प्रदान करने में मदद कर सकता है। हालांकि, अत्यधिक सेवन से अम्लता की समस्या बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए।
पेट दर्द एक सामान्य समस्या है लेकिन इसके लिए कई घरेलू उपाय उपलब्ध हैं जो हल्के लक्षणों में प्रभावी हो सकते हैं। इन उपायों को अपनाकर आप पेट दर्द से जल्दी राहत पा सकते हैं। हालांकि, अगर दर्द लगातार या गंभीर हो तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। पेट दर्द के कारणों को पहचानकर सही सुझाव अपनाना अत्यंत आवश्यक है।
महत्वपूर्ण अस्वीकरण (Important Disclaimer): यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्यों के लिए है और इसे किसी भी तरह से योग्य चिकित्सक या आयुर्वेदिक वैद्य की पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। यदि आपका दर्द गंभीर, लगातार है, या बुखार, उल्टी, या मल में खून जैसे अन्य लक्षणों के साथ है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। ये घरेलू उपाय केवल हल्के, क्षणिक पेट दर्द के लिए हैं।
विशेषज्ञ सलाह (Expert Advice)
परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के अनुसार पेट दर्द अक्सर पाचन अग्नि (अग्नि) की असंतुलन या शरीर में विषाक्त पदार्थों के संचय से जुड़ा होता है। हींग, सौंफ, अदरक और अजवाइन जैसे औषधीय पौधे लंबे समय से पाचन संबंधी असुविधा को प्रबंधित करने के लिए उपयोग किए जाते रहे हैं, क्योंकि ये गैस्ट्रिक गतिशीलता को सहारा देने और गैस व फुलाव से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं [3], [7]। हालांकि ये उपचार पारंपरिक रूप से उपयोग किए जाते हैं, इनका उपयोग हमेशा व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार और किसी योग्य वैद्य या चिकित्सक की देखरेख में किया जाना चाहिए।
-Dr. Kavya Rejikumar
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
पेट दर्द में राहत के लिए गर्म पानी पीना और हल्की पेट की मालिश करना सहायक हो सकता है। इन उपायों से पाचन तंत्र को आराम मिल सकता है, लेकिन यदि दर्द लगातार हो तो डॉक्टर से परामर्श लें।
पेट दर्द में राहत के लिए हींग, अजवाइन, और नींबू का रस का उपयोग पारंपरिक रूप से किया जाता है। इन पदार्थों में पाचन को सहारा देने वाले गुण हो सकते हैं, जो पेट दर्द और गैस से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं।
पेट में दर्द होने पर हल्के और पचने में आसान खाद्य पदार्थ, जैसे सूप, दलिया, और केला, पाचन तंत्र को आराम देने में मदद कर सकते हैं। इन खाद्य पदार्थों का सेवन आंतों पर कम दबाव डालता है, जिससे पेट दर्द में राहत मिल सकती है।
नहीं। घरेलू उपाय केवल हल्के पेट दर्द, जैसे कि गैस या हल्के अपच के कारण होने वाले दर्द में सहायक हो सकते हैं। गंभीर या लगातार दर्द, जैसे कि अपेंडिसाइटिस, पित्त की पथरी, या गंभीर संक्रमण के कारण होने वाले दर्द के लिए तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है और घरेलू उपाय अप्रभावी हो सकते हैं।
पेट में मरोड़ होने पर हल्के और पचने में आसान आहार जैसे सूप, दलिया, या उबला हुआ चावल खाने से पाचन तंत्र को आराम मिल सकता है। इन खाद्य पदार्थों का सेवन पेट को शांत रखने में मदद कर सकता है, लेकिन अगर मरोड़ लगातार या तेज़ हो तो डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
पेट का दर्द आमतौर पर गैस, अपच, या पेट में सूजन जैसे पाचन संबंधित मुद्दों का संकेत हो सकता है। हालांकि, यह कभी-कभी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी संकेत हो सकता है, इसलिए यदि दर्द लगातार या गंभीर हो, तो डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है।
[1] American College of Gastroenterology. (2020). Abdominal Pain. Retrieved from https://www.mayoclinic.org/symptoms/abdominal-pain/basics/causes/sym-20050728
[2] Jain, J., Dhanani, J., & Patel, V. (2020). Ferula assa-foetida L.: A review of its traditional uses, phytochemistry and pharmacology. Journal of Ethnopharmacology, 254, 112725. https://doi.org/10.1016/j.jep.2020.112725
[3] Boskabadi, M. H., Alitaneh, S., & Alavinezhad, A. (2014). Carum copticum L.: A herbal drug with various pharmacological effects. BioMed Research International, 2014. https://doi.org/10.1155/2014/569087
[4] Sultana, R., Maity, N., & Sen, T. (2022). A review on therapeutic potentials of Terminalia chebula Retz. fruit. Journal of Traditional and Complementary Medicine, 12(4), 317–328. https://doi.org/10.1016/j.jtcme.2021.11.002
[5] Dhanani, T., Shah, S., Gajbhiye, N. A., & Kumar, S. (2010). Indigenous phytotherapy for gastrointestinal disorders: An overview. Pharmacognosy Reviews, 4(8), 170–183. https://doi.org/10.4103/0973-7847.79100
[6] Cash, B. D., Epstein, M. S., & Shah, S. M. (2016). A novel delivery system of peppermint oil is an effective therapy for irritable bowel syndrome symptoms. Digestive Diseases and Sciences, 61(2), 560–571. https://doi.org/10.1007/s10620-015-3882-7
[7] Gao, J., Zhang, L., Zhang, H., Sun, X., Wang, X., … & Zhang, Y. (2024). A review on ginger (Zingiber officinale Roscoe): Medicinal potentials and applications in gastrointestinal disorders. Journal of Ethnopharmacology, 349, 117029. https://doi.org/10.1016/j.jep.2024.117029
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