Last updated on : 09 Jul, 2025
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भृंगराज, जिसे ‘केशराज’ यानी बालों का राजा भी कहा जाता है, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी मानी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Eclipta alba है और यह पौधा प्रमुख रूप से ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल क्षेत्रों में पाया जाता है। पारंपरिक रूप से भृंगराज का उपयोग बालों की देखभाल, पाचन सुधार, त्वचा संक्रमण से राहत और यकृत स्वास्थ्य के लिए किया गया है।
इस पौधे के हरे पत्तों और सफेद फूलों से तैयार औषधियाँ जैसे तेल, रस, पाउडर और पेस्ट विभिन्न रूपों में प्रयोग किए जाते हैं। बालों की गुणवत्ता सुधारने और समय से पहले सफेदी रोकने में यह विशेष रूप से लोकप्रिय है।
हालांकि, इसके औषधीय प्रभावों की पुष्टि के लिए और अधिक वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता हो सकती है। किसी भी प्रकार के औषधीय उपयोग से पहले योग्य चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
भृंगराज (Eclipta alba) एक औषधीय पौधा है जो अपने जैव सक्रिय यौगिकों के कारण आयुर्वेद में विशेष स्थान रखता है। इसकी पत्तियों, जड़ों और तने में कई प्रकार के फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं में सहायक माने जाते हैं।
हालांकि, इन दावों की पुष्टि के लिए और अधिक वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है।
भृंगराज को आयुर्वेद में “केशराज” यानी बालों का राजा कहा जाता है, लेकिन इसके गुण केवल बालों तक सीमित नहीं हैं। यह एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग भारत में सदियों से विभिन्न रोगों और स्वास्थ्य समस्याओं के लिए किया जाता रहा है।
भृंगराज एक बहुपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है जिसे तेल, रस, पाउडर या कैप्सूल के रूप में सेवन किया जाता है। इसका उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, इसके अनुसार सेवन का तरीका बदल सकता है।
पारंपरिक रूप से भृंगराज को सुबह खाली पेट लेना अधिक लाभकारी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पाचन तंत्र सक्रिय होता है, लीवर के स्वास्थ्य में सहायता मिलती है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाया जा सकता है। हालांकि, इन फायदों की पुष्टि के लिए और अधिक वैज्ञानिक शोध आवश्यक हैं।
भृंगराज जिसे “बालों का राजा” भी कहा जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग पारंपरिक रूप से शरीर के विभिन्न अंगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता रहा है। इसके पत्तों और जड़ों में कई जैव सक्रिय यौगिक पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक माने जाते हैं।
कुछ अध्ययन और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, भृंगराज में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद कर सकते हैं, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर रह सकता है।
आयुर्वेद में भृंगराज का प्रयोग कफ दोष को शांत करने के लिए किया जाता है। इसे गले की खराश, खांसी और सामान्य श्वसन संबंधी असहजता में सहायक माना गया है।
भृंगराज का रस पारंपरिक रूप से लीवर की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे फैटी लीवर और पीलिया जैसी स्थितियों में सहायक माना गया है, हालांकि वैज्ञानिक पुष्टि की आवश्यकता है।
भृंगराज में पाए जाने वाले कुछ तत्वों में जीवाणुरोधी और एंटी-फंगल गुण माने गए हैं। पारंपरिक उपयोग के अनुसार, इसका पेस्ट या रस त्वचा संक्रमणों में राहत देने में उपयोगी हो सकता है।
भृंगराज का सेवन भोजन के बाद करने से पाचन में सुधार आ सकता है और यह अपच व कब्ज जैसी समस्याओं में पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाता रहा है।
महत्वपूर्ण: यह जानकारी पारंपरिक आयुर्वेदिक संदर्भों और सीमित अध्ययनों पर आधारित है। यह किसी रोग की पुष्टि, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है।
भृंगराज (Eclipta alba) एक बहुपयोगी औषधीय पौधा है जिसे आयुर्वेद में बालों, त्वचा और आंतरिक स्वास्थ्य के लिए उपयोग किया जाता है। इसे विभिन्न रूपों में अपनाया जा सकता है, जैसे कि तेल, पेस्ट, रस, पाउडर, और कैप्सूल।
भृंगराज का तेल बालों की देखभाल में पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इसे नियमित रूप से स्कैल्प में मालिश करने से बालों की जड़ों को पोषण मिल सकता है और बालों का टूटना कम हो सकता है। यह बालों को मुलायम और चमकदार बनाने में भी सहायक हो सकता है।
ताज़ी भृंगराज पत्तियों का पेस्ट त्वचा पर लगाने से पारंपरिक रूप से त्वचा की सफाई और ताजगी बनाए रखने में मदद मिलती है। कुछ लोग इसका उपयोग त्वचा की जलन या खुजली में भी करते हैं, लेकिन संवेदनशील त्वचा वालों को उपयोग से पहले पैच टेस्ट करना चाहिए।
भृंगराज का जूस पारंपरिक रूप से लीवर स्वास्थ्य और आंतरिक शुद्धिकरण के लिए उपयोग किया गया है। इसे सुबह खाली पेट लेने की सलाह दी जाती है, हालांकि इसके लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है।
भृंगराज पाउडर को दिन में 1–2 बार पानी या शहद के साथ लिया जा सकता है। पारंपरिक रूप से इसे पाचन सुधार और लीवर फंक्शन को सपोर्ट करने के लिए उपयोग किया गया है। इसकी सही मात्रा व्यक्ति की उम्र, प्रकृति और स्थिति पर निर्भर करती है।
बाज़ार में भृंगराज सप्लीमेंट कैप्सूल के रूप में भी उपलब्ध हैं। इनका उपयोग करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक या हेल्थकेयर प्रोफेशनल की सलाह लेना आवश्यक है, विशेषकर यदि आप किसी दवा का सेवन कर रहे हों।
आयुर्वेद के अनुसार, भृंगराज की तासीर ठंडी होती है। यह शरीर की गर्मी को संतुलित करने में सहायक माना जाता है, इसलिए इसे गर्मियों के मौसम में उपयोग करना पारंपरिक रूप से अधिक लाभकारी माना जाता है।
हालांकि, जिन व्यक्तियों को सर्दी-जुकाम या श्वसन तंत्र की संवेदनशीलता की समस्या रहती है, उन्हें भृंगराज का सेवन करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि इसकी ठंडी प्रकृति ऐसे लक्षणों को प्रभावित कर सकती है।
भृंगराज आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है, जिसका उपयोग पारंपरिक रूप से बालों की देखभाल, लीवर की कार्यक्षमता सुधारने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि, इसे लेने से पहले व्यक्तिगत स्वास्थ्य और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखते हुए किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है, जिससे उपयोग सुरक्षित और प्रभावी हो सके।
–Dr. Kavya Rejikumar
भृंगराज एक बहुपयोगी औषधीय पौधा है, जिसका पारंपरिक रूप से आयुर्वेद में बालों, त्वचा और यकृत (लीवर) के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उपयोग किया गया है।
इसके तेल, रस, पाउडर और कैप्सूल जैसे विभिन्न रूपों में उपयोग करने के तरीके हैं, जो आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से लाभकारी माने जाते हैं। संतुलित और सावधानीपूर्वक सेवन के साथ, भृंगराज को दैनिक जीवन में शामिल करना समग्र स्वास्थ्य और जीवनशैली को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है।
हालांकि, किसी भी प्रकार के हर्बल सप्लीमेंट या औषधीय पौधे का उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक या चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित रहता है।
हाँ, भृंगराज बालों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और इसका उपयोग बालों की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जा सकता है।
भृंगराज की सही खुराक 2-3 ग्राम प्रतिदिन होती है, जो पाउडर या कैप्सूल के रूप में ली जा सकती है।
हाँ, भृंगराज त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। यह त्वचा के संक्रमण को दूर करता है और उसे चमकदार बनाता है।
References
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