Last updated on : 01 Dec, 2025
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भृंगराज, जिसे लोकप्रिय रूप से ‘केशराज’ यानी बालों का राजा भी कहा जाता है, पारंपरिक आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी मानी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Eclipta prostrata है (जिसे पहले Eclipta alba के नाम से जाना जाता था [1]) और यह पौधा मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय (Tropical) और उपोष्णकटिबंधीय (Sub-tropical) क्षेत्रों में पाया जाता है। पारंपरिक ग्रंथों के अनुसार, भृंगराज का उपयोग बालों की देखभाल, पाचन सुधार, त्वचा संक्रमण से राहत और यकृत (Liver) स्वास्थ्य के लिए किया गया है।
इस पौधे के हरे पत्तों और सफेद फूलों से तैयार औषधियाँ जैसे तेल, रस, पाउडर और पेस्ट विभिन्न रूपों में प्रयोग किए जाते हैं। आयुर्वेदिक उपयोग में, बालों की गुणवत्ता सुधारने और समय से पहले बालों के भूरेपन (Premature Graying) को कम करने में यह विशेष रूप से लोकप्रिय है।
हालांकि, इसके औषधीय प्रभावों की पुष्टि और क्रियाविधि को समझने के लिए और अधिक उच्च-गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता हो सकती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भृंगराज एक हर्बल सप्लीमेंट है और इसे किसी भी चिकित्सा स्थिति के निदान, उपचार या रोकथाम के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार के औषधीय उपयोग से पहले योग्य चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
भृंगराज के संभावित लाभों पर शोध जारी है, और इसे पारंपरिक रूप से निम्नलिखित स्वास्थ्य क्षेत्रों में उपयोग किया जाता रहा है:
कुछ अध्ययन [2] और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, भृंगराज में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद कर सकते हैं, जिससे यह संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर रखने में सहायक हो सकता है। हालांकि, मानवों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के संदर्भ में विश्वसनीय नैदानिक प्रमाण अभी सीमित हैं।
आयुर्वेद में भृंगराज का प्रयोग त्रिदोष (कफ, वात और पित्त) को संतुलित करने के लिए किया जाता है। इसे विशेषकर कफ दोष को शांत करने वाला माना गया है। इसका पारंपरिक उपयोग गले की खराश, खांसी और सामान्य श्वसन संबंधी असहजता में सहायक माना गया है।
भृंगराज का रस पारंपरिक रूप से लीवर की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में सहायक माना जाता है। प्रारंभिक पशु और इन विट्रो अध्ययनों में इसकी हेपेटोप्रोटेक्टिव (यकृत की रक्षा करने वाली) गतिविधि पर शोध किया गया है [3], जो इसे फैटी लीवर और पीलिया जैसी स्थितियों में सहायक माना गया है। हालांकि, इन दावों की पुष्टि के लिए मानवों पर बड़े और नियंत्रित नैदानिक परीक्षण आवश्यक हैं।
भृंगराज में पाए जाने वाले कुछ तत्वों में जीवाणुरोधी (Antibacterial) और एंटी-फंगल गुण माने गए हैं [4]। पारंपरिक उपयोग के अनुसार, इसका पेस्ट या रस सूक्ष्मजीवों के कारण होने वाले त्वचा संक्रमणों में राहत देने में उपयोगी हो सकता है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, भृंगराज का सेवन भोजन के बाद करने से पाचन में सुधार आ सकता है और यह अपच व कब्ज जैसी समस्याओं में पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाता रहा है।
भृंगराज (Eclipta prostrata) एक बहुपयोगी औषधीय पौधा है जिसे आयुर्वेद में बालों, त्वचा और आंतरिक स्वास्थ्य के लिए उपयोग किया जाता है। इसे विभिन्न रूपों में अपनाया जा सकता है:
भृंगराज का तेल बालों की देखभाल में सबसे अधिक पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। इसे नियमित रूप से स्कैल्प में मालिश करने से बालों की जड़ों को पोषण मिल सकता है और बालों का टूटना और झड़ना कम हो सकता है। यह बालों को प्राकृतिक रूप से मुलायम और चमकदार बनाने में भी सहायक हो सकता है।
ताज़ी भृंगराज पत्तियों का पेस्ट बाहरी रूप से त्वचा पर लगाने से पारंपरिक रूप से त्वचा की सफाई और ताजगी बनाए रखने में मदद मिलती है। यह घावों को भरने में भी पारंपरिक रूप से सहायक माना जाता है [5]। संवेदनशील त्वचा वालों को उपयोग से पहले पैच टेस्ट करना चाहिए।
भृंगराज का जूस पारंपरिक रूप से लीवर स्वास्थ्य और आंतरिक शुद्धिकरण के लिए उपयोग किया गया है। इसे सुबह खाली पेट लेने की सलाह दी जाती है, हालांकि इसकी मात्रा और सेवन की अवधि के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है।
भृंगराज पाउडर को दिन में 1–2 बार पानी या शहद के साथ लिया जा सकता है। पारंपरिक रूप से इसे पाचन सुधार और लीवर फंक्शन को सपोर्ट करने के लिए उपयोग किया गया है। इसकी विशिष्ट खुराक व्यक्ति की आयु, स्वास्थ्य स्थिति और आयुर्वेदिक प्रकृति (प्रकृति) के आधार पर निर्धारित की जाती है, जो 2 से 4 ग्राम प्रति दिन हो सकती है।
बाज़ार में भृंगराज सप्लीमेंट कैप्सूल के रूप में भी उपलब्ध हैं। इनका उपयोग करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक या हेल्थकेयर प्रोफेशनल की सलाह लेना आवश्यक है, विशेषकर यदि आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हों।
भृंगराज को सामान्यतः सुरक्षित माना जाता है, पर अधिक मात्रा या गलत तरीके से सेवन करने पर इसके कुछ नुकसान और सावधानियां बरतना आवश्यक है:
विशेषज्ञ मत (Expert Quote)
भृंगराज आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है, जिसका उपयोग पारंपरिक रूप से बालों की देखभाल, लीवर की कार्यक्षमता सुधारने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि, इसे लेने से पहले व्यक्तिगत स्वास्थ्य और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखते हुए किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है, जिससे उपयोग सुरक्षित और प्रभावी हो सके।
–Dr. Kavya Rejikumar
भृंगराज एक बहुपयोगी औषधीय पौधा है, जिसका पारंपरिक रूप से आयुर्वेद में बालों, त्वचा और यकृत (लीवर) के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए उपयोग किया गया है।
इसके तेल, रस, पाउडर और कैप्सूल जैसे विभिन्न रूपों में उपयोग करने के तरीके हैं, जो आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से लाभकारी माने जाते हैं। हर्बल उपचारों के रूप में, संतुलित और सावधानीपूर्वक सेवन के साथ, भृंगराज को दैनिक जीवन में शामिल करना कुछ लोगों के लिए समग्र स्वास्थ्य और जीवनशैली को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है।
हालांकि, किसी भी प्रकार के हर्बल सप्लीमेंट या औषधीय पौधे का उपयोग करने से पहले अपनी स्वास्थ्य स्थिति के अनुरूप सही खुराक और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आयुर्वेदिक या चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित रहता है।
हाँ, बाहरी रूप से उपयोग किए जाने पर भृंगराज बालों के लिए सामान्यतः सुरक्षित है और इसका उपयोग बालों की समस्याओं को दूर करने के लिए पारंपरिक रूप से किया जाता रहा है।
भृंगराज आमतौर पर चूर्ण के रूप में एक स्वस्थ वयस्क द्वारा 2 से 4 ग्राम प्रतिदिन लिया जा सकता है। कैप्सूल या टैबलेट के मामले में पैकेज पर दिए गए निर्देश या चिकित्सक की सलाह का पालन करना चाहिए। खुराक उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और उपयोग के उद्देश्य के अनुसार बदल सकती है, इसलिए लंबे समय तक सेवन शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श लेना उचित है।
हाँ, भृंगराज को आयुर्वेद में त्वचा के लिए लाभकारी माना जाता है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को शांत करने, सूजन कम करने और प्राकृतिक निखार बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। हालाँकि, त्वचा की किसी भी गंभीर या पुरानी समस्या के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है।
[1] Timalsina, D., & Devkota, H. P. (2021). Eclipta prostrata (L.) L. (Asteraceae): Ethnopharmacological Uses, Chemical Constituents, and Biological Activities. Biomolecules, 11(11), 1738. https://doi.org/10.3390/biom11111738
[2] Yadav, N. K., Arya, R. K., Dev, K., Sharma, C., Hussain, Z., Meena, S., Arya, K. R., Gayen, J. R., Datta, D., & Singh, R. K. (2017). Alcoholic Extract of Eclipta Alba Exhibits in Vitro Antioxidant and Anticancer Activity without Exhibiting Toxic Effects. Oxidative Medicine and Cellular Longevity, 2017, 1–18. https://doi.org/10.1155/2017/9094641
[3] Kaur, P., & Singh, S. (2019). Medicinal Properties of Eclipta alba (L.) Hassk: A Review. Journal of Medicinal Plants Studies, 7(2), 13–19. https://www.plantsjournal.com/archives/2019/vol7issue2/PartA/7-2-2-373.pdf
[4] Shaukat, A., Hussain, K., Bukhari, N. I., Shahzadi, N., Qamar, A., Siddiqui, S., Saeed, S., & Shahbaz, H. (2020). Eclipta alba (Family: Asteraceae): A review of botanical, ethnopharmacological, phytochemical and pharmacological studies. International Journal of Botany, 17(6), 338–352. https://innspub.net/eclipta-alba-family-asteraceae-a-review-of-botanical-ethnopharmacological-phytochemical-and-pharmacological-studies/
[5] Udayshankar, A. C., Nandini, M., Rajani, S. B., & Prakash, H. S. (2019). Pharmacological Significance of Medicinal Herb Eclipta alba L. – A Review. International Journal of Pharmaceutical Sciences and Research, 10(8), 3592–3606. https://ijpsr.com/bft-article/pharmacological-significance-of-medicinal-herb-eclipta-alba-l-a-review/
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